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Suraj Sharma
फूल देना मोहब्बत नहीं फूल की तरह उसे रखना मोहब्ब है ©Suraj Sharma एचडीएफ
Preetam Kumar sahu
सौदा दोस्ती करो या प्यार मुझे नहीं है इन्कार पर सौदा करने बालो की में करूंगा धूलाई बहत यार... #सौदा@पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
जाति धर्म बर्ण से परे है हमारा प्यार जितना समेय लगेगा लगने दो मेरे यार दुनिया को बहाके ले आऊंगा उस पार कोशिश रहेगी जरूर मेरी.. जो काम तूने अधूरा किए हो बो में पूरा करूंगा...! बीता हुआ कल तो नहीं लस्कता पर आज के समय में लाऊंगा जितना समेय लगेगा लगने दो मेरे यार दुनिया को बहाके ले आऊंगा उस पार #कोशिश@पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
#Chandrayaan माता और पिता के सात #चांद@पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
#OpenPoetry हर एक चीज में खूबसूरती बसी होती है लेकिन उसे हर कोई देख नहीं पाता....! #खुबसूरती@पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
बचपन और गिल्ली डंडा गिल्ली - डंडा खेलनेंवले मेरे छोटे मोटे भाई बहन...! जो मिली है जिंदेगी उसे खुल के जियो....! क्या पता ये कल हो ना हो.......? @पीबीएस# #GilliDanda @पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
Guru Purnima १..पिता और माता ही प्रथम गुरु २.....अध्यापक ३.... समाज और परिवेश #गुरु@पीबीएस#
Preetam Kumar sahu
मेरी किसिमत में तू नहीं सायत में तुझे अभी प्यार करता हूं मेतुझे कल भी प्यार करता था तू मेरी जिंदगी है तू मेरी मोहब्त ईस दुनियां में तू नहीं सायत पर मेरी दुनिया में रहेगी हर पल मेतुझे कल भी प्यार करता था मैं तुझे आज भी प्यार करता हूं. #किस्मत@पीबीएस#
Dilip Karndhar
"पीडाएं" कहानियों का क्या है यह तो सदा पीडाएं बनकर उभरती रहती हैं ,,,और पीडाओं से ही संसार बसा है ,,जीवन मृत्यु के इस काल में दर्द,गम दुख, पीडाएं नहीं होगी तो इंसान असल जिदंगी का मतलब समझेंगा कैसे ,,,वैसे तो दुनियाभर में हर किसी को पीडाएं है "असल जिंदगी में वह ही खूश है नहीं कोई आस नहीं किसी से मतबल नहीं ,,अपनी मस्ती में मस्त ...ऐसा शायद दुनियाभर में कोई ऐसा होगा जैसे दुख तकलीफें नहीं ,,,अगर मान भी लेकि साधु संतों को कोई दर्द ,पीडाएं नहीं तो वह कहेना भी बेमानी होगा ,,क्योंकि ईश्वरीय शक्ति की शक्ति में लिंन साधु संतों में सनातन धर्म में विभिन्न प्रकार के घटनाक्रमों को लेकर चिंताएं सताती रहती हैं। यह पीडाएं ही है ,,,इन पीडाओं से खुद मजबूत होकर इंसान को जीवनचक्र का आनदं लेना होगा तभी असल जिंदगीनी है अगर सुख और खुशियों ही आती रही तो इंसान जीवन का सही मतलब समझेगा नहीं कि उसके जन्म का उद्देश्य आखिर क्या है और अंत क्या होगा ...।बात कहानियों से निकलीं है कहानियां जब तक नहीं बनती हैं जबतक उसमें प्रेमरस नहीं घोला जाएं ..और यही प्रेम बनता है दर्द और पीडाओं का कारण क्योंकि जंहा मोहब्बत है वाह टकराव भी है तो जुदाई भी है तो वनवास भी है तो और खुशियाँ भी है ,,,वैसे तो असल प्रेम को समर्पित भाव से देखा जाता हैं केवल वाह भावनात्मक जुड़ाव महसूस किया जा सकता है वह असल जिंदगी का प्रेम है,, बाकी सब तो बकवास है ,,पर वर्तमान स्थिति का प्रेम सिर्फ आकर्षित करने वाला प्रेम है या फिर जिस्मानी मोहब्बत ...इस स्नेहरुपी प्रेम ने नासमझ लोगों को इतना भ्रमित कर दिया कि यह खुद को इस प्यार के माया जाल में उलझाकर अपनी जिंदगियां खत्म कर लेते है और अपनी प्रेम कहानियों का दुखद अंत कर लेते हैं ,,प्रेम करों पर यह ध्यान रहे कि उसमें नाखून बराबर स्वार्थ आ गया तो वह प्रेम नहीं है ,,और जंहा प्रेम है वहां पीडाएं है ,,चुनाव आ गये है पक्ष विपक्ष राजनीतिक मनुष्य जनता को जनता का दर्द ,पीडाएं बताएंगे ,और घर घर जाकर इंसानों की समस्याओं पीडाओं को कम करने के झूठे वादे करेगें ,,आपकों प्रेम रुपी माया जाल में उलझाकर विकासरुपी प्रेम का वादा करेगें और जनता से बेवफाई करके अपना किया गया वाद तोड़ देगें या भूल जाएगें ,,सोच समझकर जनता के समर्पित भाव के प्रेम को पंसद विकास व्यक्तित्व ही चुनें । ©Dilip Karndhar पीडिए
Suraj Jha
परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते ha ©Suraj Jha परमाणु