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SHANU KI सरगम
जनसंख्या विस्फोट हुआ प्रकृति शोषण जारी है । शुद्ध हवा को तरसे पीढ़ी चले पेड़ पर आरी है । होगा क्या अनुमान लगाओ आने वाले साल में। हाल हुआ बेहाल वही फिर छोड़ा था जिस हाल में । --(2) सर्वनाश करने को आतुर,बैठा मन में ठान लिया। जानबूझकर गलती करते, इतना तो पहचान लिया, छुपा जानवर देखो बैठा इंसानों की खाल में, हाल हुआ बेहाल वही फिर छोड़ा था जिस हाल में । --------(3) संगीता शर्मा शानू ©SHANU KI सरगम विश्व जनसंख्या दिवस
Instagram id @kavi_neetesh
बेटी बचाओ यह उजालों सी बाहखड़ी बेटियां। देर तक खिल खिलाकर हंसी बेटियां।। दिन की परछाई सी अचानक बढ़ी। ना जाने कब बड़ी हुई बेटियां।। घर की आंगन में चिड़ियों सी चहककरी। देखते ही देखते उड़ी बेटियां।। मौसमों की तरह आती जाती रही। दूर परदेस में जा बसी बेटियां।। छोड़कर परछाई हल्दी भरे हाथ की। सिसकियां सिसकिया लो चली बेटियां।। बेटियां घर में आई हंसी गूंजती। कहकहों की सुबह सी लगी बेटियां।। बेटियां फूल सी बेटियां दूब सी बेटियां शुभ शगुन रोशनी बेटियां ✍️ कवि नीतेश राजकुमार गुप्ता सनातनी ©Instagram id @kavi_neetesh *विश्व विश्व बालिका दिवस पर कविता* : *बेटियां* #बालिकादिवस
चेतन घणावत स.मा.
स्वरचित कविता ©chetan ghunawat विश्व हिंदी दिवस पर स्वरचित कविता
Brandavan Bairagi "krishna"
विश्व कविता दिवस 21 मार्च, के अवसर पर सभी साहित्य साधकों को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" विश्व कविता दिवस
Trilokinath Sharma
World Poetry Day 21 March बहुत कुछ समाया हुआ है मेरी कविताओं में मैने अपना दर्द छिपाया है अपनी कविताओं में वैसे तो वो मेरे पास पास बैठती नहीं है पर नजदीक भी आयी है मेरी कविताओं में लोगो के लिए वो आम खास इंसान जैसी है पर मैंने उसे रब बनाया है अपनी कविताओं में वैसे तो मैं ज़िन्दगी में जुदाई का ग़म झेल रहा हूं पर मैंने जश्न मनाया है अपनी कविताओं में सपने भी मेरे है गहरी रात जैसे पर मैंने चढ़ता हुआ सूरज दिखाया है अपनी कविताओं में वैसे तो उसने चिट्ठी पत्र भेजा नहीं पर उसका कई बार खत आया है मेरी कविताओं में।। ✍️त्रिलोकीनाथ विश्व कविता दिवस।
bajpaimahanand@gmail.com
संकट मे आजादी, यह बढ़ती आबादी/ जीवन सुलभ साधनों की अब न रही ज्यातादी/ बिस्फोटक उन्मादी, यह बढ़ती आबादी// कुछ कहते हैं हम क्या उसने खुद दी, यह उसकी है मरजी. यह कहना ज्यतादी// संकट में आजादी/ ©bajpaimahanand@gmail.com जनसंख्या दिवस पर
Rajendra Kumar Ratnesh
#कविता मन की शांति में लिप्त होकर, शब्दों को समेटे, धो- धोकर। करते जागृत,खंडित जहां मानवता है। हो अलंकार ऐसी, वह कविता है। - राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल ( बिहार) ©Rajendra Kumar Ratnesh #विश्व कविता दिवस #WorldPoetryDay