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S. Bhaskar
मैं किसे भगवान कहूं इस धरती के सपूत सभी, ईसा पैगम्बर या फिर गजनवी, मैं कैसे किसी को माहन कहूं, कौन बताए मैं किसे भगवान कहूं। सच देखू या फिर सार पढूं, बाईबल देखूं या कुरान धरूं, जो पैदा हुआ उनको मैं इंसान कहूं, तो फिर मैं किसे भगवान कहूं। पीर फकीर ओझा गुनी सब झूठ है, डर से झुके सर देखो सब एकजूट है, मंदिर मस्जिद गिरजों में मैं भी रहूं, तो क्या मैं खुद को भगवान कहूं। मेरी नजर में सब उम्मीद के दर है, विश्वास मौला पर भरोसा उनका घर है, इंसानों में त्रिलोक देखू तो रब कहूं, मैं सब के अंदर के शक्ति को भगवान कहूं। मैं किसे भगवान कहूं इस धरती के सपूत सभी, ईसा पैगम्बर या फिर गजनवी, मैं कैसे किसी को माहन कहूं, कौन बताए मैं किसे भगवान कहूं। सच देखू या फि
Nisheeth pandey
सिकन्दर ने भारत पर जब 326 B.C. आक्रमण किया तो पंजाब छोटे छोटे राज्यों में बंटा हुआ था अतः वह कुछ छोटे राज्य जीतने में सफल हो गया। किन्तु 305 B. C. में जब उसके उत्तराधिकारी सेल्यूकस ने भारत पर आक्रमण किया तो उसका सामना चंद्रगुप्त मौर्य के एकछत्र शासन से हुआ। परिणामस्वरूप न केवल उसकी हार हुई बल्कि उसे अपनी पुत्री हेलेना की शादी चंन्द्रगुप्त से करनी पडी तथा काबुल, कंधार, हेरात व बिलोचिस्तान 4 प्रांत भी देने पडे जो आज अफगानिस्तान व पाकिस्तान हैं। ऐसे ही जब मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, मौहम्मद गौरी, तैमूर और बाबर ने भारत पर आक्रमण किये थे भारत बिखरा हुआ था इसलिए वे लोग सफल हो गये। किन्तु इस समय भारत एक मजबूत देश है इसलिए अगर किसी पाकिस्तानी या तालिबानी या उनके किसी भारतीय रिश्तेदार को लगता हो कि वो भारत पर कब्जा कर लेंगे तो भूल जाना। पिटोगे तो है ही हेलेना भी देनी पड़ेगी। और अखण्ड भारत का नक्शा अभी हमारे जैसे बहुत पागलों ने संभाल कर रक्खा है। भारत माता की जय । वन्दे मातरम् । ©Nisheeth pandey सिकन्दर ने भारत पर जब 326 B.C. आक्रमण किया तो पंजाब छोटे छोटे राज्यों में बंटा हुआ था अतः वह कुछ छोटे राज्य जीतने में सफल हो गया। किन्तु 305
Kh_Nazim
इतने अच्छे भी नही है हम.. हर बार तुझे माफ कर दु मोहब्बत के हक से इतना अच्छा भी नही हु मैं, अब खड़ा हूं देश हित में तो मृत-भूमि छोड़ तुझे आने दु दिल में इतना अच्छा भी नही हु मैं मानता हु तू सांसो की जरूरत है मेरी पर छोड़ अपनी माँ को तुझे बसा लू दिल में इतना अच्छा भी नही हु मैं अगर तू ज़िक्र करती अपनी ख़ुशामद का तो शायद कर भी लेता फिर जो तूने उंगली उठाई मेरे वतन-ए-मक्का पे उसको भुला कर माफ कर दु इतना अच्छा भी नही हु मैं जानता है मेरा पूरा कुनबा-ए-यार की इश्क़-ए-मोहब्बत में तुझे एक गज मिट्टी ले जाने दूं अपने मका से इतना अच्छा भी नही हूँ मैं हम भारतीय है , हमारे यह पे "अतिथि देवो भवः" की रीत वर्षों से है, अगर फिर बनके आओगें गजनवी-ए- नकल और इस बार छोड़ दे गए तुमको तो इतने अच्छे भी नही है हम मेरे मका में शिव की शक्ति, गॉड-ए-बुद्ध का ज्ञान, चिश्ती का रंग,गुरु की शिक्षा, कण कण में जीवन, जानवरो में मौला का अंश...... और इसी कारण इतने हटके इतने अच्छे है हम। इतने अच्छे भी नही है हम.. हर बार तुझे माफ कर दु मोहब्बत के हक से इतना अच्छा भी नही हु मैं, अब खड़ा हूं देश हित में तो मृत-भूमि छोड़ तुझे आने
Roshan Mishra
Secret door मनोदशा कुछ इस प्रकार की हो गई है मेरी.. कि कोई अजनबी कुछ क्षण के लिए पास बैठ जाए और प्यार से बोल दे तो सारा दुख दर्द बताने को मन करने लगता है और बहुत कुछ बता भी देता हूं...!!! #अजनवी
Writer Vikas Aznabi
भीगकर मरने को तो मैं भी तैयार हूँ........ मगर बारिश तेरी मोहब्बत की तो हो........ ----------/!/---------- - विकास अजनवी ✍️ #अजनवी
dilip khan anpadh
अजनबी ******* लोग कहते हैं, अजनबी तुम हो अजनबी मेरी जिंदगी तुम हो मेरा गम,मेरी खुशी, दिल्लगी तुम हो लोग कहते हैं अजनबी तुम हो... **** तुम मेरे ख्वाब,मेरी तमन्ना,मेरी जां हो तुम हर रूप,हर पल हर अश्क़ में रंवा हो मेरे अंग-अंग में, मेरे रूप रंग में,मन के तरंग में तुम ही तो हो लोग कहते हैं अजनबी तुम हो..... ****** मेरी बातों में,मेरी रातों में,मेरी यादों में तुम हो मेरे किस्से और खयालो में तुम हो, मेरे जीने -मरने,रूठने-मनाने में तुम ही तो हो लोग कहते हैं अजनबी तुम हो.... ****** मुझे सताने वाले,पल-पल हँसाने वाले तुम हो सर्द अंधेरी रातों में गलियों में बुलाने वाले तुम हो प्यार,इजहार और गले से लगाने वाले तुम ही तो हो फिर क्यूं मेरे आँसूं देखकर भी गुमसुम हो मेरे रुखसत के सफर में कफन भी तुम हो लोग कहते हैं अजनबी तुम हो ऐ अजनबी मेरी जिंदगी तुम हो।। @दिलीप कुमार खां"""अनपढ़"" #अजनवी
vivek d tiwari (जिंदा लाश)
भूलना चाहा मैंने तुझे पर,तेरी जुल्फों में फस गया हूँ मैं, इसे एक तरफ़ा प्यार समझने की कोशिश न करना, तेरे दिल केे हर एक हिस्से में बस गया हूँ मैं|| विदा करकर तुझे हँसकर,एक लाश सी बन गया हूँ मैं, पागल हूँ मैं,पागल हूँ मैं,जो तेरे जाने पर हँस गया हूँ मैं, जाम-ए-मुहब्बत का पिलाया था इस कदर मुझे कि, तुझे भूल जाने के लिये मैखाने में बस गया हूँ मैं|| न जाने कब तक भूल पाउँगा तुझे,ये सोचकर डर गया हूँ मैं, तुझे भूल जाने के डर से,जीते जी मर गया हूँ मैं अरे!बड़ा मुश्किल है तुझे यूँ भूल पाना, तुझे पाने की चाहत में,जाने कितनों के घर गया हूँ मैं|| अजनवी