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somnath gawade
आपल्या मुलांची नावे unique असावी या फॅडपायी, पालक संशोधनाअंती एवढी वेगळी ठेवतात की, आपण पृथ्वीग्रहावरच आहोत ना याबाबत कधी-कधी शंका वाटते?? #नावे
𝑽𝒊𝒋𝒂𝒚𝒃𝒉𝒂𝒗𝒂𝒉
उन्होंने कहा क्या करते हो तुम दोनों तो हमने मुस्कुरा के कहा उन नदियों में इश्क़ के नावे चलाते है जिन पर पुल नहीं है इश्क़ की नावे
Parasram Arora
मै तुम्हे डूबते हुए देखता हूँ कोइ गीता की नाव मे डूब रहा है कोई कुरान की नाव मे डूब रहा है कोई बाइबिल की नाव मे डूब रहा है अलग अलग उनकी नावे है लेकिन सब एक ही कागज़ से बनी है हां लेकिन उनकी नाव पर पहचान की लिखावट अलग अलग है किसी पर हिब्रू किसी पर अरबी तो किसी पर संस्कृत की लिखावट है लेकिन इन कागज़ की नावों को अंततः डूबना ही है #कागज़ की नावे........
Ajay Gaikwad
मि माझ्या मनाचा मालक झालोय तीच्या प्रेमात 💘💘💘 अनुभवा वरून कवीता
Hashim azmi
प्यार उसी से करो जिसे कन्टरोल कर सको जब प्यार आपको कन्टरोल करने लगे तो उसे बरबाद कर दो त
shubham hirode
इश्क मोहब्बत प्यार की बातें तुम्हें करनी नहीं है। तो क्या? ये इश्क है या फिर कुछ भी नहीं है। इश्क-ए-समंदर की गहराइयों में डूब कर चाहने लगा हूं। तुझको को जानती हो क्या? तू कभी मेरे इश्क के समंदर में उतरी है क्या? मेरी उम्र कुछ ऐसी है प्यार में हो जाए नादानियां कुछ वैसी है कमबख्त ना कि कोई नादानियां संभल कर रखा है अपने वैशे को। तुझको तो ना अब करनी है नादानी ना शादी के बाद करनी है महा नादानियां। क्या कहु तेरे ऐसे रवविये को गंभीर वक्त पर भी कहां है तूने न जाने कैसे अल्फाज को टूट चुका था दिल से गिर रहे थे आंसू मर रहा था घुट घुट कर फिर भी ना कहा तूने वह सच ऐसा क्या मिला तुझको? झूठे अल्फाजों सी दस्तानों से नीचे गिराया है तुमने अपने ही आपको। तेरा झूठ कोई चतुराई या उमन्दा बात की कोई कहानी नहीं है। तू गिर रही थी मेरी नजरों में तुझको ये पता ही नहीं हैं। वो जो चाहता था तुझको टूट कर वो तो कब का मर चुका है जाने जा। वो जो हुआ करता था उसके अंदर अब वो ही मैं हूं सुना तो होगा ही। मेरे कमीनापन के बारे में उसकी जुबान से याद नहीं कोई बात नहीं अब तुम भी हमको याद नहीं। जोर न दो दिमाग की नसों पर तुमने ही कहा हैं छोड़ दो मुझको। तो सुनो तेरा हुकुम सर आंखों पर। त
shashwat ayush
कर्मों से ही फल पाते हम हैं यही यहाँ बस नियति हैं। कर्म परायणता से पदच्युत होने पर दुर्गति हैं। प्रांजल लोकतंत्र के अर्थों का आलम यहाँ पर ये हैं। सता दुःशासन बनी हुई हैं और लोकतंत्र द्रौपदी हैं। -शाश्वत आयुष ©shashwat ayush त