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vaishali

रंग तुझ्या प्रेमाचे 
भावले मनाला
निस्वार्थ प्रेम तुझे
भिडले काळजाला

रंगुनी प्रेमरंगात 
तुझ्या झाले मी गुंग
जशी राधा बावरी 
कृष्णाच्या बासुरीत दंग

रंग तुझ्या प्रेमाचा 
हा आहे खूप गहिरा
मनाला ना आवडी 
आता रंग कुठला दुसरा

प्रेम रंगाची करुनि उधळण 
आयुष्य माझे केले रंगीत 
आता रंग तुझ्या प्रेमाचे 
बनले माझ्या हृदयाचे संगीत प्रेमरंग#मराठी कविता#

प्रेमरंगमराठी कविता#

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Prem Chand Mishra

देश प्रेम कविता
प्रेमचंद मिश्रा द्वारा रचित

देश प्रेम कविता प्रेमचंद मिश्रा द्वारा रचित

615 Views

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Sudeep Keshri✍️✍️

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि अभावों के बावजूद सदा मस्त रहते, सादे और सरल जीवन के मालिक थे।
जीवनभर विषमताओं से खेलते रहे, वह हंसोड़ प्रकृति के मालिक थे।
 हृदय में दोस्तों के लिए उदार भाव, गरीबों व पीड़ितों के लिए सहानुभूति रखते थे।
वह हमेशा साधारण गंवई लिबास में रहते,
जीवन का अधिकांश भाग गांव में ही गुजारा था।
वह आडम्बर और दिखावे से मीलों दूर रहते, अपना काम स्वयं करते थे।

जन्म 31 जुलाई 1880                                   निधन 8 अक्टूबर 1936




रचनायें- 15 उपन्यास,                            300 से कुछ अधिक कहानियां,
3 नाटक                            और भी बहुत कुछ । #मुंशी #प्रेमचंद #कलम का #जादूगर
#कविता 
#विचार

मुंशी प्रेमचंद कलम का जादूगर कविता विचार

36 Love

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RADHESHYAM BAIRWA

🐋
     *_मुंसी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_*

_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,"_

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है।_

_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा जाना मुझे,_

        _जिसकी जितनी जरूरत थी_
        _उसने उतना ही पहचाना मुझे!_

_जिन्दगी का फलसफा भी_
_कितना अजीब है,_

        _शामें कटती नहीं और_
        _साल गुजरते चले जा रहे हैं!_

_एक अजीब सी_
_'दौड़' है ये जिन्दगी,_

        _जीत जाओ तो कई_
        _अपने पीछे छूट जाते हैं और_

_हार जाओ तो_
_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं!_

_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अक्सर,_

        _मुझे अपनी_
        _औकात अच्छी लगती है।_

_मैंने समंदर से_
_सीखा है जीने का सलीका,_

        _चुपचाप से बहना और_
        _अपनी मौज में रहना।_

_ऐसा नहीं कि मुझमें_
_कोई ऐब नहीं है,_

        _पर सच कहता हूँ_
        _मुझमें कोई फरेब नहीं है।_

_जल जाते हैं मेरे अंदाज से_
_मेरे दुश्मन,_

              _एक मुद्दत से मैंने_
       _न तो मोहब्बत बदली_ 
      _और न ही दोस्त बदले हैं।_

_एक घड़ी खरीदकर_
_हाथ में क्या बाँध ली,_

        _वक्त पीछे ही_
        _पड़ गया मेरे!_

_सोचा था घर बनाकर_
_बैठूँगा सुकून से,_

        _पर घर की जरूरतों ने_
        _मुसाफिर बना डाला मुझे!_

_सुकून की बात मत कर_
_ऐ गालिब,_

        _बचपन वाला इतवार_
        _अब नहीं आता!_

_जीवन की भागदौड़ में_
_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_

        _हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
        _आम हो जाती है!_

_एक सबेरा था_
_जब हँसकर उठते थे हम,_

        _और आज कई बार बिना मुस्कुराए_
        _ही शाम हो जाती है!_

_कितने दूर निकल गए_
_रिश्तों को निभाते-निभाते,_

        _खुद को खो दिया हमने_
        _अपनों को पाते-पाते।_

_लोग कहते हैं_
_हम मुस्कुराते बहुत हैं,_

        _और हम थक गए_
        _दर्द छुपाते-छुपाते!_

_खुश हूँ और सबको_
_खुश रखता हूँ,_

        _लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए_
        _मगर सबकी परवाह करता हूँ।_

_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_

        _कुछ अनमोल लोगों से_
        _रिश्ते रखता हूँ।_ ✍🏻 🙏 Rajesh Kumar Suman Zaniyan 
   मुंशी प्रेमचंद की कविता

Rajesh Kumar Suman Zaniyan मुंशी प्रेमचंद की कविता

6 Love

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Dharmendra singh

इस धरती पर प्रेमचंद एक ऐसे साहित्यकार थे जिनके फ़टे धोती कुर्ता से भी ज्ञान की गंगा बहती थी ।धन्य है वह आत्मा जो तमाम जिंदगी अभाव में रहकर भी देश, दुनिया और समाज के प्रति उनके भाव में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई ।वे जिंदगी से संघर्ष करते हुए लिखते रहे ,लिखते रहे जो हिंदी साहित्य के पाठकों के लिए किसी वेद उपनिषद के ज्ञान से कम न था। बनारस के लमही गांव में31जुलाई1880में जन्म लेकर प्रेमचंद ने बनारस की पवित्रता को  और बढ़ा दिया था।  उस भूमि की उर्वरता का कमाल था कि प्रेमचंद के कलम से निकले गोदान, गबन, कायाकल्प ,रंगभूमि ,कर्मभूमि, सेवा सदन ,प्रतिज्ञा ,निर्मला जैसी अनेक कालजई रचनाएँ आज भी साहित्याकाश में चांद सूरज की तरह दैदीप्यमान है। समाज के उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक की जो भी समस्याएं थी ,विसंगतियां थी कुप्रथा और रूढ़ परंपराएं थी सब पर प्रेमचंद ने लिखा जो पाठकों के मानस पटल पर किसी चलचित्र की भांति चल कर जीवंत हो उठता था। आज हिंदी साहित्य में साहित्य की सेवा करने वाले रचनाकारों की कमी नहीं है किंतु 08 अक्टूबर 1936 में प्रेमचंद के काल कवलित होने के  बाद जो स्थान रिक्त हुआ था वह आज तक भर नहीं पाया है ।आज उनकी जयंती है ।इस पवित्र अवसर पर उनके फटे पुराने जूते से झांकती पावन चरणों में हृदय के अंतर तल से शब्दाजंलि।

©Dharmendra singh प्रेमचंद

प्रेमचंद

16 Love

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Ganesh Shewale

#प्रेमचंद
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Rajesh K

सुप्रभात दोस्तों

©Rajesh K @प्रेमचंद

@प्रेमचंद

10 Love

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अजय शर्मा

सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, 

आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम जिंदगी हैं।

~प्रेमचंद #प्रेमचंद
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~एकता ~

प्रेमचंद आपके नाम की भाती आपने अपने लेखन काव्य में प्रेम की नए नए रूप को दिखाया है ।
प्रेमचंद आपने मन की बातो को ऐसे पिरो कर रखा है मानो आप इंसान के हर भाव के साथ साथ उस इंसान को भी जानते हो ..
आप इंसानों के मन का वो कोना पकड़ कर रोशनी दिखाते हो जो उस कोने तक कोई भी  नहीं पहुंच पाया
और आपकी कहानी , उपन्यास उसके तो क्या कहने है ।जितना लिखूंगी उतना कम होगा 
आपने जीवन की उस स्थिति को दिखाया है ।
और इस प्रकार दिखाया है ।
आप जीवन के हर पहलु को जानते थे ।
और आप सबके मन में एक अटूट प्रेम के साथ साथ  एक कभी भी ना मिटने वाली तस्वीर हो आप प्रेमचंद

प्रेमचंद #अनुभव

11 Love

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Kamlesh Gupta Nirala

प्रेमचंद

प्रेमचंद #Quotes

27 Views

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Prashant Mishra

सन 1880 में वो धरती पर आए थे
लमही की मिट्टी को धन्य बनाये थे
कलम के दम पर दुनियाभर में छाए थे
काशी का परचम खुलकर लहराए थे

वो 'पूस की रात' में 'दो बैलों की कथा' लिखे
वो 'ईदगाह' में  हामिद का चिमटा लिक्खे
वो कफ़न, ग़बन और 'सवा सेर गेहूँ' लिखकर
'बूढ़ी काकी' में जनमानस की व्यथा लिखे

गोदान लिखे, वरदान लिखे, बलिदान लिखे
आधार लिखे, उद्धार लिखे, धिक्कार लिखे
वो रंगभूमि, वो कर्मभूमि,  अधिकार लिखे
चमत्कार लिखे, सत्याग्रह और शिकार लिखे

वो गिला लिखे, लैला लिक्खें और नशा लिक्खे
चोरी, लांछन, कैदी लिखकर के क्षमा लिक्खे
दफ़्तर लिक्खे, फिर ग़बन, और इस्तीफ़ा लिक्खे
वो शुद्र लिखे और ठाकुर जी का कुआं लिखे 

'बेटों वाली विधवा' लिक्खे और 'माँ' लिक्खे
निर्मला , प्रतिज्ञा , प्रेमाश्रय , प्रेमा  लिक्खे
कितना गिनवाऊँ प्रेमचंद क्या क्या लिक्खे
'पंच परमेश्वर' और 'नमक का दारोगा' लिक्खे

उस उपन्यास सम्राट को चलो नमन कर लें
स्मृतियों से सज्जित यह पूर्ण चमन कर लें

--प्रशान्त मिश्रा प्रेमचंद

प्रेमचंद

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Bhaरती

#प्रेमचंद
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Shivani Goyal

#प्रेमचंद जी
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Sweta choursiya *Modi*

सदैव मेरे प्रिय प्रेमचंद 
#newplace

प्रेमचंद #newplace

7 Love

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Sarika soni

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि आपकी रचनायें हिन्दी साहित्य जगत 
की अमूल्य धरोहर हैं 
आपने अपनी अन मिट  छाप छोडी है 
आप महान हैं ** #nojoto #प्रेमचंद
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Rajesh K

मुंशी प्रेमचंद

©Rajesh K @मुंशी प्रेमचंद

@मुंशी प्रेमचंद

8 Love

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Sanu ankit

#TogetherUs #प्रेमचंद
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Aradhana Prasad

 मुशायरा.. प्रेमचंद रंगशाला

मुशायरा.. प्रेमचंद रंगशाला #story

3 Love

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Ranjeet singh Charan

 मुंशी प्रेमचंद सम्मान

मुंशी प्रेमचंद सम्मान #nojotophoto

17 Love

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S. K. Sargam🖊

मुंशी प्रेमचंद

#munshipremchand

मुंशी प्रेमचंद #munshipremchand #अनुभव

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Farookh Mohammad

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि आपकी कहानियों में इतना असर है कि उसका मिटना लगभग नामुमकिन है। #प्रेमचंद#wod#धनपतराय।

#प्रेमचंदwodधनपतराय। #विचार

23 Love

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A1- शायरी

उत्साह और उम्मीद  सफलता की कुंजी है 
निराशा से कभी लक्ष्य नहीं पाया जा सकता 

NT"रामजी" #nirasha प्रेमचंद जी

#nirasha प्रेमचंद जी #विचार

20 Love

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Dr Aruna KP Tondak

निराशा संभव को असंभव बना देती है
वैसे ही जैसे इंसान की सोच उसे नीचे गिरा देती है
आगे बढने के लिए पैरों में रफ़्तार और आशा का होना जरूरी है,, क्योंकि निराशा संभव को असंभव बना देती है। अरुणा🎓📿 #प्रेमचंद#आशा#ज़िंदगी
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Prachi Mishra

प्रेमचंद जयंती #nojoto

प्रेमचंद जयंती nojoto #Thoughts

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Anshupriya Agrawal

#प्रेमचंद और साहित्य

#प्रेमचंद और साहित्य #कविता

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Anand Kumar

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प्रेमचंद जी

©Savita Patel
  मुंशी प्रेमचंद जी

मुंशी प्रेमचंद जी #समाज

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