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Pushpraj Mishra
- ॐ गं गणपतये नम:- - कुण्डलिया - हे गौरी नंदन विघ्न हरण, मंगल कारक गणराज। सर्व सिद्धि दाता प्रभो, करहु सफल सब काज।। करहु सफल सब काज, नाथ विनवउं प्रभु तोहीं। बुद्धि निधान ज्ञान के सागर, एकदंत प्रभु सोहीं। कहते कवि पुष्पराज, जम्बु मोदक प्रिय तोहीं। असरण सरण हरो भव बाधा, ज्ञान दान दो मोहीं।। -पं. पुष्पराज मिश्र 'पुष्प' कुण्डलिया
Jitendra Kumar 'Noor'
कुण्डलिया निर्ममता तो देखिए, किया हृदय पाषाण। फिर भी उसके प्रेम में, व्याकुल हैं ये प्राण॥ व्याकुल हैं ये प्राण, ढूँढते फिरते उसको। रत्ती भर भी नहीं, हमारी चिन्ता जिसको। सूख गये हैं अश्रु, रक्त धमनी में जमता। वह निष्ठुर निश्चिन्त, हाय! ऐसी निर्ममता॥ ©Jitendra Kumar 'Noor' #कुण्डलिया
Anand Ji Mayura Ji
समझाया कई बार मत कर प्यार यार, अङे रहे जिद्द पर सुनी नही बात । दौगले है दगाबाज साथी तेरे प्यार के, कर देंगे इक दिन संग तेरे,घात । आदतो से अपनी बाज नही आए और, प्यार में तुने क्या पाई है सौगात। बैशाखी नंदन के पिछे नही चलते तो , खानी नही पङती मुंह पर लात । -'---'------------------------------------------- अपनी ही करनी का फल तुम्हे पाना है, आज नही तो ये तुम्हे कल मिल जाएगा । जले हुए जख्मो पे नमक लगाने से , जला हुआ घा भर नही पाएगा । जलती हुई ज्वालो बुझानी है अगर तुम्हे, ठण्डा पानी ही असर दिखाएगा। जियो और जीने दो का मंत्र जाप करने से, जीवन तो क्या जग सारा तिर जाएगा। ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के छंद
kavi Rajan Bhadauriya
सुप्रभात नोजोटो परिवार , एक कुण्डलिया छंद काया कंचन कान्तिमय,मनवा रहे निरोग । रोग नहीं घेरे कभी,करे नित्य जो योग । करे नित्य जो योग,ज्ञान खिड़की खोलो । ये विशुद्ध विज्ञान,नहीं मजहब से तोलो । "राजन" कुछ तो बात,विश्व ने जो अपनाया । कर के देखो योग,स्वस्थ यदि चाहो काया । ©kavi Rajan Bhadauriya कुण्डलिया छंद #YogaGoodHealth SHANU KI सरगम WRITER SACHIN Sonu Prajapati Dolly Rahangdale Divya patle
मोहित "बेख़बर"
बेटा पाले बाप ने ,एक नहीं दो चार। तेउ मिलि ना सहि सके , मातु पिता को भार मातु पिता को भार, करैं नित उनकी ख्बारी कोउ तरेरै आंख कोउ तो दैबै गारी मोहित कहे सुनाय पूत वे मन के काले। सोई आस्तीन के सांप मोह बस सबनै पाले। ©Rohit Sharma ##आस्तीन के सांप ## छंद##
Shivshankar pathak
Alone "कुण्डलिया-छन्द " धरती की जल शान है , जानो ऐको मोल । जल-संरक्षण अपना ले , पानी है अनमोल ।। पानी है अनमोल , ये जीवन सबको देता ।। नित्य है रत् परमार्थ में,ए जग से कुछ न लेता ।। कह शिवसागर सुनैं , सावधानी न बरती । सबकी जान पानी , पानी से ही धरती ।। -शिवशंकर पाठक "शिवसागर" सागर , मध्यप्रदेश ©Shivshankar pathak #alone#कुण्डलिया #छन्द