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Bitterone_me
White "शब्द" काळजीपूर्वक वापरा, हे "पालकत्व" चा उत्कृष्ट पुरावा आहेत. ©Bitterone_me #शब्द #काळजी #पालकत्व #उत्कृष्ट #पुरावा #जिंदगी #अनुभव #viral #Popular #bitteroneme
preeti shukla
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
Ashok Yadav Amit
🙏🙏आज का विचार🙏🙏 आप जितना हो सके उतना चतुर बने लेकिन याद रखें कि विवेकी होना चतुर होने से हमेशा बेहतर है! 🙏 Ashok Yadav "Amit"🙏 ©Ashok Yadav Amit *🙏🙏आज का विचार🙏🙏* आप जितना हो सके उतना चतुर बने लेकिन याद रखें कि विवेकी होना चतुर होने से हमेशा बेहतर है! *🙏🙏 Ashok Yadav "Amit"
Pnkj Dixit
मानव... मौन धारण , कर ज्ञान अर्जन मंथन कर ,विषय पर नया सृजन नित नए आयाम बना जग में स्वयं को ध्रुवतारा-सा चमका ज्ञान ज्योति दीपक जलाकर संसार को विवेकी शीतल बना चांदनी-सा जगमगा , चहुं दिशा भावना भर ह्रदय में , मानव बन सद्भावना प्रसार हर हृदय संस्कृति सभ्यता आगे बढ़ा अरे मानव ! नवयुग विस्तार कर १२/०७/२०१८ 🌷👰💓💝 ... ✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' मानव... मौन धारण , कर ज्ञान अर्जन मंथन कर ,विषय पर नया सृजन नित नए आयाम बना जग में स्वयं को ध्रुवतारा-सा चमका ज्ञान ज्योति दीपक जलाकर स
Pratik Patil Patu
आत्महत्या! चुकीचा विचार एक वैचारिक लेख (Caption मध्ये) आज-काल पाहतोय, दररोज किमान पाच आत्महत्येच्या बातम्या वृत्तपत्रांमध्ये असतात. आणि धक्कादायक बाब अशी की पाचपैकी तीन आत्महत्या तरुण किंवा किशोर
VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕
jai mata Di🙏🙏 एक बच्चे ने अपनी माँ को रोते देखा तो पापा से पुछा माँ क्यो रोती है पापा ने जवाब दिया सारी औरते बिना बात के रोती है.. बच्चा कुछ समझ ना पाया औ
AB
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः। तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥ अर्थात- देवांगनाओं के सिर में गूंथे पुष्पों की मालाओं के झड़ते हुए सुगंधमय पराग से मनोहर, परम शोभा के धाम महादेवजी के अंगों की सुंदरताएं परमानंद युक्त हमारे मन की प्रसन्नता को सर्वदा बढ़ाती रहे,! ll🌸ll ॐ नमः शिवाय ll🌸ll _________________________________________________ Wed, June 2021, 7:09 आपको पता इतनी बड़ी
रजनीश "स्वच्छंद"
तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा।। सांत्वने का दौर नहीं, तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा। कोई है अवतार नहीं, तुम्हे बढ़ खुद ही लड़ना होगा। शकुनि से भरा संसार है, पग पग खड़ा है कंस भी, मुंह बाए कहीं है कालिया, जहरीला बड़ा है दंश भी। ग्वाल बालों की क्रिया से अब हो जरा निवृत चलो, जागने की बेला है आई, है सुबह, अभी तुम ना ढलो। हर युग मे महाभारत रहा, तुम्हे कृष्ण बनना चाहिए, लहु बड़ा अनमोल है, मनुज सेवा में बहना चाहिए। छोड़ शय्या फूलों की तुम्हे कांटों पर ही पलना होगा। सांत्वने का दौर नहीं, तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा। कोई क्यूँ है भूखा रोता रहा, अस्थियों का पंजर लिए, क्यूँ डबडबाई सी आंख है, आंसुओं का समंदर लिए। मन द्रवित होता नहीं क्यूँ, बस स्वार्थ सर चढ़ बोलता। आंखें तू अपनी मूंद कर, क्यूँ मन को नहीं है टटोलता। कौन तेरा अपना रहा, किसी से रहा पराये का भेद क्यूँ, किसी के दर्द में रोया बहुत, किसी पर हुआ ना खेद क्यूँ। आंसू पोछने को इनके, अविरल तुम्हे ही बहना होगा, सांत्वने का दौर नहीं, तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा। सीख क्या मैं दूँ तुम्हे, तुम ज्ञानी विवेकी बलवान हो, अंदर तुम झांको जरा, ख़ुद का तुम ही तो सम्मान हो। जीवित किस ख़ातिर हो तुम, अहसान किसका रहा, तुम भी मनुज, मैं भी मनुज, अभिमान किसका रहा। रहा कोई अब देव नहीं, दानव भी कहाँ अब शेष है। दोनों हैं तुझमे ही, मनुज ही लिए देव दानव भेष है। बन देव, दानवों को, तुम्हे उठ ख़ुद ही दलना होगा, सांत्वने का दौर नहीं, तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा। ©रजनीश "स्वछंद" तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा।। सांत्वने का दौर नहीं, तुम्हे उठ ख़ुद ही चलना होगा। कोई है अवतार नहीं, तुम्हे बढ़ खुद ही लड़ना होगा। शकुनि से भरा