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Parasram Arora

प्रतिक्रमण......

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अगर  तुम  ठीक  ठीक शांत  हों जाओ
और  तुम्हारी  वासनाये भी क्षिण और शांत हों जांय
तो समझ लो  क़ि तुमने अपना
साम्राज्य पा  लिया है
फिर तुम्हे किसी से कुछ भी माँगने नही  जाना
किसी से कुछ जीतने  नही जाना और न कोई  आक्रमण करना है
प्रतिक्रिमण   करना है
अपनी तरफ  लौटना है
रिटर्निंग  टू द सोर्स....... जहां  से  चले थे वहीआना है
प्रारम्भ को  पा लेना है  और  अंत को भी पालेना है 
...

©Parasram Arora प्रतिक्रमण......

Naveen Bothra

प्रतिक्रमण में किसका महत्व #विचार

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Anjali

बलिदान देवस् #shaheeddiwas #शायरी

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यू तोह आशिक बहुत है देश मे।।
मगर सुखदेव ,भगतसिंह, राजगुरु, से आशिक  नही।। 
ये वो आशिक है जिनकी अशिकीय देश से थी ll
नमः 🙏

©Anjali बलिदान देवस्
#shaheeddiwas

Ravi Tiwari

मैं सबरी का राम 
औऱ 
मीरा का कृष्ण हूँ
#देवत्व #देवत्व

Anjana Gupta Astrologer

देवीमय संसार

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ऋग्वेद 

मैं रुद्रों के साथ विचरती हूँ ,वसुओं के साथ भी ।
पीठ पर आरूढ होते हैं आदित्य ,
कभी विश्वदेवता भी ।मित्रावरुण को साथ लेकर चलती हूँ ,कभी अश्विनीकुमारों को ।
कभी इन्द्र और अग्नि मेरे साथ चलते हैं।।1
सोम की तरंगों पर बैठी हुई आक्रमण करती हूँ शत्रु पर नवसृजन का कौशल समझती हूँ। 
उन पोषण क्षमताओं से भरी हूँजिनमें भगवत्ता विराजित है ।समर्पण की स्रोतस्विनी हूँ ,यज्ञ को बनाती हूँ औरसमर्पण की स्रोतस्विनी हूँ ,यज्ञ को बनाती हूँ औरयजमान का हृदय खोल देती हूँ।।2।।
मैं सम्पूर्ण भुवन की अधीश्वरी हूँ ,सब वसुओं की संगमनी हूँ ।मैं ही प्रथम यज्ञ की प्रथम ज्वाला ,
सब देवता मुझमें ही रमे हुए ।सबका जीवन मेरे भीतर
और मैं सबके भीतर उतरी हुई हूँ ।।3।।
मुझसे ही यह अन्नमयलोक ,मुझसे ही यह दृश्य जगत् ,
मुझसे ही यह प्राणमयलोक ,मुझसे ही श्रुति-परम्परामेरी शरण में जो नहीं आते ,वे भी मेरे ही आश्रय में ।सुनो , श्रद्धावान् !यह रहस्य मैं बताती हूँ ।
मैं उस ज्ञान की उद्घोषिका हूँजो देवों में , मानुषों में
चिरकाल से स्थापित ।मैं जिसे चाहती हूँ ,उसे तेज से भर देती हूँ ।मैं ही बनाती हूँ ब्रह्मवेत्ता ,मैं ही बनाती हूँ ऋषि ,मैं ही बनाती हूँ मेधावियों को ।।5।।
मैं उठाती हूँ धनुष रुद्र के लिये ,ब्रह्म के द्रोहियों का नाश मैं ही करती हूँ ।शरणागतों की रक्षा के लिये
युद्ध करती हूँ ,इस द्यावा -पृथ्वी में मैं सर्वत्र व्याप्त हूँ ।।
इस विश्व की मूर्धा में मैंने सूर्य को स्थापित किया ।
मेरा घर जल में , अंत:समुद्र में ।सब भुवनों में मैं खड़ी एकाकीछू सकती हूँ सुदूर लोकों के शिखर ।।7।।
सकल भुवनों को रचती हुईमैं वायु की तरह प्रवाहित हूँ ।पृथ्वी पर भी हूँ ,द्युलोक से ऊपर भी हूँ । मैं अपनी ही महिमा से यहाँ भी हूँ , वहाँ भी हूँ ।।8 देवीमय संसार

Nir@j

#मेरी आकांक्षा है कि मैं आपसे बात करू प्रतिपल प्रतिक्षण दिन रात करुं #मेरीभावनाएँ #nirajnandini

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"आकांक्षा"

मेरी आकांक्षा है कि, मैं आपसे बात करूं।
सारी चीज़ें छोड़ कर, सिर्फ वार्तालाप करूं।
लगता है ये चीजें, शायद अभी संभव नहीं है।
सोचा नयनों से, मेघों की तरह सिर्फ़ बरसात करुं। #मेरी आकांक्षा है कि मैं आपसे बात करू प्रतिपल प्रतिक्षण दिन रात करुं #मेरीभावनाएँ   
#nirajnandini
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