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Ankit waghela
आज श्रीमती ने कहा जी सुनते हो रचना दुखभरी ही क्यों लिखते हो जिंजोड़े अंतर मन,करे कुछ चिंतन,हम चश्मा सरकाए आसपास देखे,असंख्य दर्द और चिंखे,तो हम बत्याए वही लिखता हूं..जो दिखता है पर जो दिखता है..वो कहा बिकता है सुख यहां हितपथ्य् है दुख संसार का सत्य है यही पारदर्शी तथ्य है बाकी सकल मिथ्य है यही गीता का कथ्य है! सच बताना मेरा कृत्य है जैसे जवाब सुने,श्रीमती चिडचिडाए सच सुनना वैसे जग को भी ना भाए! #सुख#दुख
Parasram Arora
वह भूल ये हो रही है क़ि हम दुख को अस्वीकार करके सुख को खोज लेना चाहते हैजबकि सुख दुख का ही दूसरा रूप है यानि हम जन्म खोज रहे हैँ और हम मरने से इंकार कर रहे हैँ या यूं कहें क़ि हम जवानी बरकरार रखना चाह रहे हैँ और बूढ़ा होने से आँख चुरा रहे हैँ सुखी और दुखी होना हमारी आकांक्षाओं क़े आरोपण से तय होता है ©Parasram Arora #सुख दुख....
deewana ajeet ke alfaj
सुनो यारों!हम होसलो की जान है। अपने किरदार की, खुद पहचान है।। कभी भी दिक्कतों से हारा नही, में मीठा समन्दर हूँ खारा नही।। जब चाहे जीं करे ,तब आ जाया करो यारों,, मगर मेरे मर जाने के बाद मत आया करो।। तुम जानते हो यार , मुझे दुख होगा। शायद! मेरे मरने के बाद सुख होगा।। deewana ajeet सुख दुख
Parasram Arora
कितनी अजीब हैँ ये मानवीय संकीर्णंता भी कि सुख आये कभी जीवन मे तो पूरा स्वयं घटक ले और जब दुख पसरने लगे तो बांटने को निकल पड़े दुख का मनोविज्ञान कहता हैँ कि दुख बांटने से दुख की गुणवत्ता बढ़ जाती हैँ और फिर उस दुख का अतिरेक उस दुखी आदमी को चाटना शुरू कर देता हैँ.............. एक तथ्य ये भी हैँ कि अगर हम दूसरे क़े सुख से सुखी हो जाए तो हमारे दुख सुनने वाला दुख की पीड़ा को अवश्य कम कर सकता हैँ सुख दुख........
Gautam_Anand
किसका जीवन सुखों में बीता है आदमी हर हाल जहाँ में जीता है कौन है जिसने ग़म नहीं देखा ये और बात वो हर हाल मुस्कुराता है सुख दुख
Rohit Kumar
जीवन में कभी भी नहीं दुखी नहीं रहना चाहिए क्योंकि जीवन एक सुख और दुख का संगम है मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होना चाहिए ©Rohit Kumar सुख दुख
KK क्षत्राणी
हमे एक जेसा कुछ नहीं चाहिए... इसलिए दुख भी अलग अलग होते हैं ©KK क्षत्राणी सुख दुख #flowers
motivational writter Surendra kumar bharti
सुख दुख खुशियां जीवन का आधार हैं तो दुख जीवन में आगे बढ़ने का अभ्यास जब तक दुखों से सामना नही होगा तब तक सुख का सही आनंद नही मिलता जिस तरह सोना आग में तपकर खरा होता है उसी तरह दुख हमारे लिये आग की तपिश है और जब हम उस आग की तपिश से निखरते है तभी हम सुख का सही आनंद पाते हैं ©Surendra kumar bharti सुख दुख #candle