मैं लिखता हूँ।।
बातें सबकी मैं लिखता हूँ,
सच के सम्मुख मैं टिकता हूँ।
कभी बंधा मैं पन्नों में,
फिर सरेआम मैं बिकता हूँ।
कभी विरल तो कभी सघ #Poetry#kavita#tourgurugram#tourdelhi
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रजनीश "स्वच्छंद"
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।।
हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।
अन्तर्द्वन्द #Poetry#kavita
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Divyanshu Pathak
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माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता