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Nk Nitesh

# कारागार लक्ष्मी कर मध्य सरस्वती कर्मुले तू गोविंदा प्रभाते कर दर्शनम् 🙏 #कविता

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Manavazhagan

14.08.23 माता पुसम ज्योति दर्शनम्, वडालूर. #latestnewshindhi #toptrendingtoday #fbhindhi #instahindi #inhindi #googletopheadlines #googletop #trendingnow #पौराणिककथा #viralshorts

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kaushik

कणाद एक ऋषि थे। वायुपुराण में उनका जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया है। स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे #YourQuoteAndMine #BMVS #BMVS_kanaad

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कणाद एक ऋषि थे।
 वायुपुराण में उनका जन्म स्थान 
प्रभास पाटण बताया है। 
स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी 
दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के
 विचारों का सबसे पहले 
महर्षि कणाद ने सूत्र रूप में लिखा।
- caption में पढ़िए  कणाद एक ऋषि थे। वायुपुराण में उनका जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया है। स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे

Charudatta Thorat . in Abhyasaka

|| गुप्तज्ञान दत्ताश्रयम् || सर्वेक हरिरूपातळी | सुख सदा लायिं हरिपूर्ण || सर्वेक धन्यता अमृतमयः | आश्रयीत चित्त भावपूर्णः || सेवेंसीं सदैव #Indian #Trending #spiritual #nojotophoto #ॐ #मराठी #letest #nashik #charudattaThorat #CMThorat #kavyavishnusadan #IndianYogi #महाराष्ट्रधर्म #नशामुक्तसमाज

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 || गुप्तज्ञान दत्ताश्रयम् ||

सर्वेक हरिरूपातळी |
सुख सदा लायिं हरिपूर्ण ||
सर्वेक धन्यता अमृतमयः |
आश्रयीत चित्त भावपूर्णः ||
सेवेंसीं सदैव

Charudatta Thorat . in Abhyasaka

|| गुप्तज्ञान दत्ताश्रयम् || सर्वेक हरिरूपातळी | सुख सदा लायिं हरिपूर्ण || सर्वेक धन्यता अमृतमयः | आश्रयीत चित्त भावपूर्णः || सेवेंसीं सदैव #Indian #Trending #spiritual #nojotophoto #ॐ #मराठी #letest #nashik #charudattaThorat #CMThorat #kavyavishnusadan #IndianYogi #महाराष्ट्रधर्म #नशामुक्तसमाज

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 || गुप्तज्ञान दत्ताश्रयम् ||

सर्वेक हरिरूपातळी |
सुख सदा लायिं हरिपूर्ण ||
सर्वेक धन्यता अमृतमयः |
आश्रयीत चित्त भावपूर्णः ||
सेवेंसीं सदैव

Vikas Sharma Shivaaya'

*सुबह उठते ही 'कर (हथेली) दर्शन' का महत्त्व क्यों?* *हमारी संस्कृति हमें धर्ममय जीवन जीना सिखाती है। हमारा जीवन सुखी, समृद्ध, आनंदमय बने इस #समाज

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*सुबह उठते ही 'कर (हथेली) दर्शन' का महत्त्व क्यों?*

*हमारी संस्कृति हमें धर्ममय जीवन जीना सिखाती है। हमारा जीवन सुखी, समृद्ध, आनंदमय बने इसके लिए संस्कार रचे गए और दिनचर्या तय की गई। दिनचर्या का आरंभ नींद खुलने के तत्काल बाद शुरू हो जाता है। दिन की शुरुआत का पहला कदम है- कर दर्शनम् अर्थात हथेलियों को देखना। सुबह उठते ही सबसे पहले हमें हथेलियों के ही दर्शन करना चाहिए। 

*सुबह सुहानी हो तो दिन अच्छा गुजरता है। दिन अच्छा हो इसके लिए हम सुबह अपने अंदर और बाहर अर्थात मन में और घर में शांति और प्रसन्नता चाहते हैं। हम आंख खुलते ही कोई ऐसी चीज देखना पसंद नहीं करते जिससे हमारा दिन खराब हो। हमारा दिन हमारे लिए शुभ हो इसके लिए ऋषियों ने कर दर्शनम् का संस्कार हमें दिया है।*

*⚜️कैसे करें कर दर्शनम्*
सुबह जब नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस मे मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-

*🚩कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।*
*कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥*

*🌷अर्थात-* (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।

*⚜️हथेलियों के दर्शन करते समय एक और मंत्र भी बोला जाता है...*
*🚩कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।*
*करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥*

*🌷अर्थात-* (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है।

हथेलियों के दर्शन का मूल भाव तो यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त करें। हमारे हाथों से ऐसा कर्म हों जिससे दूसरों का कल्याण हो। संसार में इन हाथों से कोई बुरा कार्य न करें।

हथेलियों के दर्शन के समय मन में संकल्प लें कि मैं परिश्रम कर दरिद्रता और अज्ञान को दूर करूंगा और अपना व जगत का कल्याण करूंगा।

*⚜️हाथों का ही दर्शन क्यों* 
हमारी संस्कृति हमें सदैव कर्म का संदेश देती है। जीवन के चार आधार- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पुरुषार्थ कहा गया है। ईश्वर पुरुषार्थी मनुष्य की ही सहायता करते हैं। कर्म से हम अपने जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं और नर्क में भी ढकेल सकते हैं। मनुष्य के हाथ शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। हमारे दो हाथ पुरुषार्थ और सफलता के प्रतीक हैं।

*⚜️इस परंपरा के संबंध में वेद कहते हैं*
*🚩कृतं मे दक्षिणेहस्ते जयो मे सष्य आहित:।*
*•- अथर्ववेद 7/50/8*
*🌷अर्थात-* मेरे दाहिने हाथ में पुरुषार्थ है और बाएं हाथ में सफलता। भावार्थ यही है कि हम यदि परिश्रम करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। हमे अपने कर्म में पीछे नहीं हटना चाहिए, क्योंकि-

*🚩अयं मे हस्तो भगवानयं मे भगवत्तर:।*
*•- ऋग्वेद 10/60/12*
*🌷अर्थात-* परिश्रम से हमारे हाथों में श्री और सौभाग्य होते हैं। अर्थ यह है कि हम परिश्रम करेंगे तो ही हमें धन मिलेगा। धन से हम सुख-समृद्धि का सौभाग्य पाएंगे। वेद हमें यह भी सचेत करते हैं कि हमारे हाथ से कोई बुरा काम न हो।

*🌷हस्तच्युतं जनयत प्रशस्तम्।*
*•- सामवेद -72*

*🌷अर्थात-*  हमारे हाथों से सदा श्रेष्ठ का निर्माण हो। हम सदा अच्छे काम करें। किसी का बुरा न करें। किसी को दु:ख न पहुंचाएं।

*⚜️शिक्षा-*
प्रभाते कर दर्शनम् का यही संदेश है। हम सुबह उठते ही अपनी हथेलियों के दर्शन कर अच्छे कार्य करने का संकल्प लें, ताकि दिनभर हमारे मन में कोई बुरे विचार न आएं। अच्छे कार्यां से ही हमारी अलग पहचान बनती है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 730 से 741 नाम 
730 यत् जिनसे सब भूत उत्पन्न होते हैं
731 तत् जो विस्तार करता है
732 पदमनुत्तमम् वह पद हैं और उनसे श्रेष्ठ कोई नहीं है इसलिए अनुत्तम भी हैं
733 लोकबन्धुः जिनमे सब लोक बंधे रहते हैं
734 लोकनाथः जो लोकों से याचना किये जाते हैं और उनपर शासन करते हैं
735 माधवः मधुवंश में उत्पन्न होने वाले हैं
736 भक्तवत्सलः जो भक्तों के प्रति स्नेहयुक्त हैं
737 सुवर्णवर्णः जिनका वर्ण सुवर्ण के समान है
738 हेमांगः जिनका शरीर हेम(सुवर्ण) के समान है
739 वरांगः जिनके अंग वर (सुन्दर) हैं
740 चन्दनांगदी जो चंदनों और अंगदों(भुजबन्द) से विभूषित हैं
741 वीरहा धर्म की रक्षा के लिए दैत्यवीरों का हनन करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *सुबह उठते ही 'कर (हथेली) दर्शन' का महत्त्व क्यों?*

*हमारी संस्कृति हमें धर्ममय जीवन जीना सिखाती है। हमारा जीवन सुखी, समृद्ध, आनंदमय बने इस

RunstarBy mrityunjay

1600m running time 5:06 ✍कुछ महान कार्यों से सम्बंधित व्यक्ति। 1. ब्रह्म समाज – राजाराममोहन राय 2. आर्य समाज – स्वामी दयानंद सरस्वती 3. #जानकारी

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Divyanshu Pathak

4. देवी कूष्मांडा और संख्या - षष्ठ ( 6 ) --------------------------------- माता शैलपुत्री (9) आरम्भ से अनन्त, ब्रह्मचारिणी (8) अंक से जीवन क #yqdidi #yqquotes #नवरात्रि #पाठकपुराण

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4. देवी कूष्मांडा और संख्या - षष्ठ ( 6 )
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माता शैलपुत्री (9) आरम्भ से अनन्त, ब्रह्मचारिणी (8) अंक से जीवन का पोषण , माता चन्द्रघण्टा (7) से सृष्टि के कौतूहल और चमत्कारों के रुप में दर्शन कर चुके हैं। आज देवी दर्शन का चौथा दिन है दुर्गे मैया के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा कहते हैं।वे ऋतुओं की स्वामिनी हैं और हमारे देश की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ 6 ऋतुयें होती हैं। ऋतुओं के अनुसार मुख्य फ़सल भी 6 ही हैं। सनातन परंपरा के अनुसार शास्त्रों को षड्दर्शन ( सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व-मीमांसा और उत्तर मीमांसा ) कहते हैं। भगवान सूर्य की उपासना भी छठ को की जाती है। शिशु को प्रथम बार दुग्धपान छठवें दिन कराया जाता है।छठी का दूध याद दिलाने का तात्पर्य भी यही है। हमारे शरीर में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास छठी इन्द्रिय से ही होता है। हीरे की आकृति भी षट्कोण वलय होती है। इंद्र के वज्र में भी 6 कोण हैं।योग और उपासना में भी षट्चक्रों ( मूलाधर, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञा ) का विशेष महत्व है। भ्रमर 6 पाँव होने के कारण षडपद कहलाते हैं। साहित्यिक  कृतियों में 6 पदों वाले छंद (गीत-छंद) का ख़ास स्थान हैं। तो आओ माता कूष्मांडा के साक्षात दर्शन करते हैं।
कैप्शन पढ़ें---- 4. देवी कूष्मांडा और संख्या - षष्ठ ( 6 )
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माता शैलपुत्री (9) आरम्भ से अनन्त, ब्रह्मचारिणी (8) अंक से जीवन क

आयुष पंचोली

4 वेद, 4 उपवेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, 108 उपनिषद, 2 महाकाव्य, और 1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!! #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #sanatandharm

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सनातन धर्म की देन "ग्रंथ"
जिनमे छुपा हैं, ब्रह्मांड का हर राज। 4 वेद,
4 उपवेद,
6 शास्त्र,
18 पुराण,
108 उपनिषद,
2 महाकाव्य,
और
1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!

Jaydeep Yadav

कृपया पुरा पढें 🕯🕯 अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है। 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ; कोटि = प्रकार । देवभाषा संस्कृत में #nojotophoto

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 कृपया पुरा पढें 🕯🕯
#अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है।

33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ;

कोटि = प्रकार । 
देवभाषा संस्कृत में
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