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anuragbauddh

ज्ञान के प्रतीक के प्रतीक सिर्फ कांशीराम है.

सारे महापुरुष प्रेरणा, प्रभाव सिर्फ कांशीराम है 

नायकों की सूचियां बहुत है, नायक सिर्फ कांशीराम है.

तुलना के दौर में अतुलनीय सिर्फ कांशीराम है.

घर बार त्याग संघर्ष की रहा मे,

न दाम न ही किसी नाम की तलाश मे.

साहब खुद चले साहब की तलाश मे.

दुख मे भी अभाव के अभाव सिर्फ कांशीराम है .

हर घड़ी नये- नये भाव सिर्फ कांशीराम है.

बहुजन के दुखों का एक ऐसा हल दे गये .

कर संगठित BSP का निर्माण
 कर गये...

©anuragbauddh #कांशीराम #जयभीम

Siddharth O. Bauddh

मां कांशीराम साहब की कहानी पार्ट-१

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R RaNa

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jyoti sagar

कांशीराम साहब जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन #Shayari

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Er.Mahesh

#काशीराम साहब को जन्मदिन की सुभकमानाए #hills #विचार

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माननीय काशीराम साहब को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं  उन व्यक्तियों को साहब से सीख लेनी चाहिए जो उन्हे अपना आदर्श मानते है इन्होंने  जो व्यक्ति सिर्फ व्यक्तिगत फायदे की वजय से  उस समय राजनेतिक पार्टियों की चापलूसी कर रहे थे व समाज का शोषण कर रहे थे ऐसे नेताओं से दुखी होकर दलित समाज के उत्थान के लिए एक नई पार्टी का गठन किया ताकि वो उस समाज को समृद्ध एवम शोषित रहित कर सकें लेकिन आज उन्ही अंधभक्तों की वजय से उनकी महनत से बनी पार्टी गर्त में चली गई है अतः उन लोगों को समझना चाहिए सामाजिक संस्था सामाजिक उत्थान के लिए होती है अपने निजी फायदे के लिए नही
यदि आप समाज में कुछ सुधार करना चाहते हो तो तुम्हे चापलूसी छोड गलत का विरोध करने की हिम्मत जगानी पड़ेगी और सच्चाई के लिए लड़ना पड़ेगा

©Er.Mahesh #काशीराम साहब को जन्मदिन की सुभकमानाए

#hills

Deepak Kurai

#BuddhaPurnima2021 गौतम बुद्ध की जीवनी #जीवन #विचार

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गौतम बुद्ध 

यह एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।

 इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय
 क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। 
 उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका
 इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन
 महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 
29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम
 नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर
 संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य
 दिव्य
 ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की
 ओर चले गए । 
 वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि
 वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से
 भगवान बुद्ध बन गए।

कई ग्रंथों में यह मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है.

©Deepak Kurai #BuddhaPurnima2021 

गौतम बुद्ध की जीवनी
#जीवन
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