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Santosh Kumar

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Deepak Mubarakpuri

पुराना वर्षा vs नया वर्ष new_poetry New_Year कविता Poetry kavita dk_sayar_multiple_articles Luminance

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शीर्षक -: 
आंसू खुशियां दुख दर्द भरे 

फिर ये पुराने वर्ष के जाने का गम 
कौन सुनाएगा ?
की किस तरह से निकाला दिल का गम
और आंखे रोई फूट फूट 
की शमशान में भी जगह ना रही
और माएं बहने रोई टूट टूट
कैसे भीषण कोरोना ने 
घर घर कहर मचाया था 
मौत का तांडव दुनिया भर में 
सन इक्कीस में जो आया था
एक दिवाला था जिस घर का 
यह उसको भी मार गिराया था
कई सरकारी नौकरी वाले शिक्षक
तो कई डाक्टरों ने भी प्राण गंवाया था
बचे नहीं बच्चे बूढ़े ना युवा
गरीब दुखिया निर्धन कुटिया ने भी प्राण लुटाया था
कोरोना सा काल जिसका भय घर घर समाया था
चलो गया ओ दौर और अब वक्त ने करवट बदली है 
नई नई उम्मीदें कायम और मन ने भी हिम्मत रख ली है
अब नया वर्ष आशीष हमे दे 
मंगल कामना चाहे हम
यस मिले और हो गौरव वासी
नई नई उम्मीदों वाला 
नव प्रभात का उदय नया हो
दुनिया में ओ हर दीप बुझे नहीं
जिनसे सम्मानित नाम बयां हो 
गया वर्ष ओ जाने वाला 
कई ऐतिहासिक कदम बढ़ाने वाला 
जिसने कोरोना काल में भी 
एक नया परिवर्तन दिखलाने वाला 

दीपक कुमार विश्वकर्मा
फतेहपुर उत्तर प्रदेश
Thought Writer dk sayar ✍️

©D.K. Sayar Multiple articles पुराना वर्षा vs नया वर्ष  #new_poetry #New_Year #कविता #Poetry #kavita #dk_sayar_multiple_articles 

#Luminance

Dharmendra singh

वर्षा

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मुझे बारिस में  भीगना  पसंद है ताकि लोग मेरे आंसू न देख सके।

©Dharmendra singh वर्षा

Swåßhímåñ Sîñgh

आज नहीं बूँदें हैं केवल
आज मूसलाधार हुई है
स्नेह लिए उन्मुक्त गगन से
पावस की बौछार हुई है
हल्की ठण्डक भी हुई आज
किसलय का तन हर्षाया है
वसुधा के आँचल में फिर से
वर्षा की भीषण मार हुई है | #वर्षा

KavyaVarsha

कुछ फूल मेरे पिंजरे तक भी पहुंचाए रखना, पर्वत-बगीचे तो नसीब नहीं हमें 
वर्षा, तुम गमलों से ही दिल बहलाए रखना #वर्षा

rakesh

वर्षा #कविता

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फिर वर्षा को आते देखा
रेगिस्तान मे वही मासूमित
लिए जैसे मौसम हो बहार के
अपनी धरा से सींच रहा मिट्टी को
जैसे प्यासे बैठी हो उसी कीआस में
नई जान दे गई मृत पड़े रेगिस्तान को, नवजीवन दे गई हर इंसान की वर्षा
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