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Ek villain

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताया है कि मनुष्य का काम क्रम में से भी चाहता है जिसके फलस्वरूप यह देवताओं की पूजा करता है माया रुपी संसार में मनुष्य श्रेणी वस्तु तथा संपति हर की सामग्री के लिए हर संभव प्रयास में रहता है परंतु शैक्षणिक सुख देता है

©Ek villain मोक्ष की प्राप्ति

मोक्ष की प्राप्ति #Society

11 Love

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Ved Prakash

जिन्दगी है क्या? 
बहुत सारी ख्वाहिशें 
कुछ सपने ,
ढेर सारा संघर्ष,
अनेकों खुशियाँ,
कई सारे ग़म,
कुछ रिश्तों का मोह,
जिनसे बँधे हैं हम,, 
इन सबमें उलझकर
ज़िंदगी को ही जी नहीं पाते हैं हम,
थोड़ा भागा-दौड़ी से रुकिए, 
थोड़ा ध्यान करिए, 
आत्मज्ञान से खुल जाएगा
अंतर्मन का रोम रोम,
जीवन का प्रारंभ भी है ओम , 
 सम्पूर्ण जीवन भी है ओम ,
जीवन का अंत भी है ओम 
ओम ही सत्य है , 
समस्त मानवता के लिए 
अमूल्य धरोहर है ओम 
ओम ही सत्य है! 
ओम ही मोक्ष है!! 

ओम नमः शिवाय🕉️

©Ved Prakash
  ओम 🕉️ही मोक्ष है और ओम ही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी....
#myspiritualgurulordshiva, #omnamahshivaye, #omshanti, #om, #jindagi, #moksh, #s

ओम 🕉️ही मोक्ष है और ओम ही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी.... #myspiritualgurulordshiva, #Omnamahshivaye, #OmShanti, #om, #Jindagi, #Moksh, s #समाज #sanatansanskriti #sanatanwords #sanatandharohar

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Simran kaur

 #नवरात्री2019
संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु है क्योंकि वह सभी वेद शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान बताते है
संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन सु

#नवरात्री2019 संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु है क्योंकि वह सभी वेद शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान बताते है संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन सु #nojotophoto

2 Love

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Paramjeet kaur Mehra

 इस होली पर हमें वास्तविक राम नाम की होली के बारे में जानना होगा। जिससे हमारे सभी दुःख टलेंगे, सर्व सुख तथा पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होगी।असली

इस होली पर हमें वास्तविक राम नाम की होली के बारे में जानना होगा। जिससे हमारे सभी दुःख टलेंगे, सर्व सुख तथा पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होगी।असली #story #nojotophoto

9 Love

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Naresh K Chouhan

Tum chirag jalake kya kroge
aaj isi chirag se kisi ka CHIRAG bhuj gya
Un MAAO ka dil chhalni isi ek Chiirag se ho gya

Om Shanti सुरत में अगनिताण्डव में समाहित मासूमियतकता से परिपूर्ण बच्चो कि दिव्यात्मा के लिए दिल से प्रार्थना और परमात्मा उन्हे मोक्ष की प्राप्ति करावे

सुरत में अगनिताण्डव में समाहित मासूमियतकता से परिपूर्ण बच्चो कि दिव्यात्मा के लिए दिल से प्रार्थना और परमात्मा उन्हे मोक्ष की प्राप्ति करावे #परिवार #kp

6 Love

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Vickram

अगर मोक्ष की प्राप्ति करनी ही है
तो अरबो के ख्वाबों को देखना छोड़ दो
त्याग भाव लाओ अपने जीवन में तुम
ये अपना पराया समझना छोड़ दो,,
फिर देखो हर खुशी और गम एक
जैसा लगेगा,हर किसी को एक नजर
से देखो खुद भगवान शिव ने विश्व
के कल्याण हेतु हर चीज त्याग दी
उन्हें त्यागी किस लिए कहा गया है
खुद परमेश्वर होकर सुख दुख का
त्याग कर दिया,तुम अपनी छोटी छोटी
चीजो के लिए लड़ते हो,, इस त्याग शब्द
की उत्पत्ति खुद उन्हीं से हुई है तुम
क्या हो, इच्छाएं और जरूरतें हमसे
हमेशा कुकर्म कराती है, बाद में बुरा
फंसकर रोना क्यों,, अच्छेपन का
नाटक करके ईश्वर को थोडी ठग लोगे







त्याग क्या है

©Vickram
  #PhisaltaSamay अगर मोक्ष की
प्राप्ति करनी ही है,,इन चीजों का परित्याग करना बेहद जरूरी है
#मोक्ष #लालच #अहंकार #क्रोध 
#अपना पराया समझना #नफर

#PhisaltaSamay अगर मोक्ष की प्राप्ति करनी ही है,,इन चीजों का परित्याग करना बेहद जरूरी है #मोक्ष #लालच #अहंकार #क्रोध #अपना पराया समझना नफर #शायरी #और #नफरत #उम्मीद #शड़यंत्र

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Vikram Rai

 #जन्माष्टमी
क्या कृष्ण जी सबसे शक्तिशाली भगवान हैं?
लेकिन उन्होंने खुद गीता अ.18 श्लोक 62 में अर्जुन को बताया कि मेरे से सर्वश्रेष्ठ शक्तिशा

#जन्माष्टमी क्या कृष्ण जी सबसे शक्तिशाली भगवान हैं? लेकिन उन्होंने खुद गीता अ.18 श्लोक 62 में अर्जुन को बताया कि मेरे से सर्वश्रेष्ठ शक्तिशा #nojotophoto

5 Love

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AK__Alfaaz..

आत्मा..
अमर,,अमोघ..
चिर शाश्वत..
सत्य,,परम पूर्ण..
अविघटित,,अविनाशी..
मानुष काया..
अन्तोपरान्त,,पर..
पुनः जन्म..
या..
मोक्ष विरल..
जीवन कलश..
समय प्रबल..
अति बलशाली..
अतिअनंत..
माया चक्र यह..
सृष्टि संतुलन पर..
विवश..
मृत्यु मात्र,,केवल..
शुभस्य सुंदरतम् शुभारंभ..।।




 #बोध_रहस्य..
आत्मा तो अजर है अमर है...चिर शास्वत एवं पूर्ण सत्य है..अविघटित तथा अविनाशी है..
मनुष्य की काया का जब अन्त होता है.. तो केवल शरी

#बोध_रहस्य.. आत्मा तो अजर है अमर है...चिर शास्वत एवं पूर्ण सत्य है..अविघटित तथा अविनाशी है.. मनुष्य की काया का जब अन्त होता है.. तो केवल शरी #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yqthoughts #bestyqhindiquotes #yqsahitya

0 Love

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Gulab Malakar

ॐ नमोः नारायणाय नमः
षटतिला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं

©Gulab Malakar ॐ नमोः नारायणाय नमः
जो व्यक्ति षटतिला एकादशी व्रत का पालन
सच्चे मन से करता है उसे भौतिक सुख तो प्राप्त होता ही है,
मृत्यु के बाद मोक्ष की प्

ॐ नमोः नारायणाय नमः जो व्यक्ति षटतिला एकादशी व्रत का पालन सच्चे मन से करता है उसे भौतिक सुख तो प्राप्त होता ही है, मृत्यु के बाद मोक्ष की प् #Society

11 Love

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Soul Hacker

तंबाकू अपनाएं 
शीघ्र मोक्ष पायें तंबाकू में इतनी शक्ति है कि अगर सच्चे मन से इसका निरंतर उपयोग किया जाए तो यह कुछ ही समय में आप को भगवान से मिला सकता है और मोक्ष की प्राप्ति

तंबाकू में इतनी शक्ति है कि अगर सच्चे मन से इसका निरंतर उपयोग किया जाए तो यह कुछ ही समय में आप को भगवान से मिला सकता है और मोक्ष की प्राप्ति #Poetry #Quotes #Humour #Love #joke #Comedy #nojotohindi #NojotoMeme #Nojotocomedy #Soul_Hacker #NoTobacco

104 Love

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Richa Mishra

|| शबरी मां का इंतजार ||

गुरु का उपदेश लेकर 
चली कुटिया में रहने ।
कीर्तन करती संतो संग
बनाती फूलों की मालाएं ।
चखती बेर ; प्रभु राम के लिए
मीठे बेर रखती .....
फूलों की शोभा से 
यात्रा मार्ग संवारती ।
करती प्रतिदिन प्रतीक्षा 
अपने प्रभु श्री राम की ।।

• पढ़े अनुशीर्षक में • वर्षों व्यतीत हुए ....
संत कहते कहां हैं 
तुम्हारे प्रभु राम ??
मां कहती मेरे गुरु के 
उपदेश गलत नहीं 
हो सकते हैं ।
आयेंगे प्रभु अपनी भार्य

वर्षों व्यतीत हुए .... संत कहते कहां हैं तुम्हारे प्रभु राम ?? मां कहती मेरे गुरु के उपदेश गलत नहीं हो सकते हैं । आयेंगे प्रभु अपनी भार्य #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #भक्तिकीशक्ति #bhaktiquote #भक्ति_रस

0 Love

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Nazar Biswas

जहां भीड़ में भी रूह एक सुकून पा जाती है,
ये बनारस है साहब,
यहां तंग गलियां भी खूब भा जाती हैं मेरे पास लफ़्ज़ों की कमी जरूर हो जाएगी अगर मैंने इन चंद लफ़्ज़ों के सहारे बनारस के प्रति अपना प्यार व्यक्त किया तो।
दुनिया ज़्यादा तो नहीं घ

मेरे पास लफ़्ज़ों की कमी जरूर हो जाएगी अगर मैंने इन चंद लफ़्ज़ों के सहारे बनारस के प्रति अपना प्यार व्यक्त किया तो। दुनिया ज़्यादा तो नहीं घ #poem #Banaras #hindipoetry #yqdidi #banarasi_writes #astheticthoughts #nazarbiswas

0 Love

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AB

........ 
भावार्थ :- हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्णतः जगत का पा

भावार्थ :- हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्णतः जगत का पा

0 Love

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

#5LinePoetry vishw Shanti Sanatan Seva Trust

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust Trust गंगा सप्तमी आज है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शंकर की जटाओं में विराजमान हुई थीं। इस

गंगा सप्तमी आज है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शंकर की जटाओं में विराजमान हुई थीं। इस #5LinePoetry

3 Love

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N S Yadav GoldMine

ब्रह्म पुराण में बताया गया है, कि जो व्यक्ति हर रोज शिवलिंग की पूजा करता है, उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है 🗻🗻 गले में तुलसी की माला पहनने से शरीर निर्मल होता है, और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य भी बेहतर होता है 🌎🌎

🌷 शिवलिंग की पूजा करने से ना केवल आपको भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा, बल्कि लक्ष्मी माता की भी आप पर कृपा बनी रहेगी। साथ ही शिवलिंग की पूजा करने से विभिन्न प्रकार के ग्रह-दोष से शांति मिलती है। ब्रह्म पुराण में बताया गया है, कि जो व्यक्ति हर रोज शिवलिंग की पूजा करता है, उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है।

🌷 शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव की लिंग स्वरूप में पूजा करने से भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं, और आपको मन चाहे फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही ज्योतिष अनुसार, सोमवार यानी सौम्य शीतल चंद्रमा का दिन माना गया है। सफेद शिवलिंग का बहुत अधिक महत्व है, इसलिए इस दिन सफेद कपड़े पहनने से और शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है.

🌷 यदि घर में शिवलिंग रखा है, तो उसकी प्राण प्रतिष्ठा न करवाएं। लेकिन नियमित रूप से उसकी पूजा और अभिषेक जरूर करें। शिवपुराण में कहा गया है,bकि घर में कभी एक से ज्यादा शिवलिंग नहीं रखे जाने चाहिए।

🌷 शिवलिंग को हमेशा खुले स्थान पर रखा जाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के मुताबिक़ चूंकि शिवलिंग से हर वक़्त ऊर्जा का संचार हो रहा होता है, इसलिए शिवलिंग पर हमेशा जलधारा रखनी चाहिए, जो ऊर्जा को शांत रखता है। कुछ लोग शिव लिंग पर हप्ते भर में या फिर प्रतिदिन जल अर्पित करते हैं, वह प्रयाप्त नहीं होता है।

🌷 भगवान शिव की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, इससे घर में खुशहाली बनी रहती है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव का लिंग रूप शिवलिंग कहलाता है। शिव पुराण के मुताबिक शिवलिंग की पूजा करना बहुत लाभदायक माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग की पूजा निरंतर करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं ।

🌷 भगवान शिव की दिशा उत्तर दिशा की मानी गयी है, इसलिए शिवलिंग का मुख उत्तर की दिशा की ओर रखें। उनके साथ आपने नंदी जी भी रखे हैं, तो उनका मुख शिवलिंग या भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा की ओर रखें। पूजा करते समय यदि आप की पश्चिम की तरफ पीठ हो और पूर्व की ओर मुँह करके आप पूजा करें तो यह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

🌷 हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें। यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए। पुराणों के अनुसार खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से यह शिव जी को समर्पित नहीं होता है और इसका पुण्य प्राप्त नहीं होता है। 
{Bolo Ji Radhey Radhey}

©N S Yadav GoldMine
  #mahashivaratri ब्रह्म पुराण में बताया गया है, कि जो व्यक्ति हर रोज शिवलिंग की पूजा करता है, उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है 🗻🗻 गले में तुलसी

#mahashivaratri ब्रह्म पुराण में बताया गया है, कि जो व्यक्ति हर रोज शिवलिंग की पूजा करता है, उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है 🗻🗻 गले में तुलसी #पौराणिककथा

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AK__Alfaaz..

चार दिवस,,
​अध्याय यह,,
​नश्वर जीवन का,,
​
​पहला दिवस-
​जीवन संकल्पना पूरित,,
​भौतिक वाद का,,
​
​द्वितीय दिवस- 
​भोग विलास,धन वैभव,,
​ प्रतिपूर्ति आचार विचार का,,
​
​तृतीय दिवस-
​चिंतन-मनन कर,,
​स्थिर मन कर्म वचन समभाव का,,
​
​चतुर्थ दिवस- 
​त्याग..अंधकार मोह-माया का,,
​छोड़ मृत्यु लोक,,
​आथित्य बन मृत्यु का..।। मनुष्य का यह नश्वर जीवन मात्र केवल जन्म पश्चात चार दिवस का ही है..

पहले दिवस मे मनुष्य भौतिकवादी हो अपनी इच्छा पूर्ति के लिए संकल्पित व प्र

मनुष्य का यह नश्वर जीवन मात्र केवल जन्म पश्चात चार दिवस का ही है.. पहले दिवस मे मनुष्य भौतिकवादी हो अपनी इच्छा पूर्ति के लिए संकल्पित व प्र #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yqthoughts #bestyqhindiquotes #yqsahitya

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AK__Alfaaz..

आज दिल के घाट पर,
​प्रेम का मेला लगा था,
​मौनी अमावस्या का...संगम स्नान जो था,
​नैनों की नदियों का जल,
​छलक रहा था...भीगोने को तन प्रीत का,
​आज सभी इकठ्ठा थें,
​पर...सभी मौन थें,
​और.....
​एक दूसरे को देखकर...​
​अपने-अपने,
पश्चाताप के ​नैनों की नदी से,
​निकलने वाले पवित्र जल मे,
​मौन हो स्नान कर रहें थें...
​आज अहंकार का मैल...मन से छूटकर,
​आत्मा को साफ कर रहा था...
​क्योंकि...इस काली अमावस्या के बाद,
​खुशियों का सूरज... दुःख के दक्षिणायन से,
​सुख के उत्तरायण मे जो आने वाला था...।।
​ भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प

भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust गीता जयंती 14 दिसंबर को, रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरु

गीता जयंती 14 दिसंबर को, रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरु #समाज

7 Love

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Sumit Upadhyay

मृत्यु के द्वार पर खड़ा मनुष्य केवल भगवान की कृपा से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। और यह कृपा उसे केवल भगवद भ

मृत्यु के द्वार पर खड़ा मनुष्य केवल भगवान की कृपा से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। और यह कृपा उसे केवल भगवद भ

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Vikas Sharma Shivaaya'

शिव मूल मंत्र:-
ॐ नमः शिवाय

महामृत्युंजय मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युञ्जय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ

भगवान शिव को हर कहा जाता है क्योंकि वे भक्त के जीवन से कष्ट हर लेते हैं-उन्हें महेश्वर इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि वे महान ईश्वर, देवताओं के देवता, ब्रह्मांड के नियंत्रक हैं...,

भगवान शिव ऐसे भगवान हैं जो सभी जानवरों में रहते हैं- उन्हें “पशुपति” भी कहा जाता है जो दर्शाता है कि वे सभी प्राणियों के भगवान हैं। हम सभी जानवर या “पशु” हैं और हमारे भगवान शिव हैं जो हमें नियंत्रित करते हैं, हम पर दया करते हैं, वे हम सब के प्रभु हैं।

हम आत्मन या आत्मा हैं और भगवान शिव परमात्मा हैं जो सबसे बड़ी आत्मा और सर्वोच्च वास्तविकता हैं-ऐसे देवो के देव महादेव भगवान शिव को बारम्बार नमस्कार करते है ...!

शिव की आराधना में शिवाभिषेक का विशेष महत्व है और अवसर महाशिवरात्र‍ि का हो, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। 

अलग-अलग फलों की प्राप्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है:-
 1 - भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है...,
 2 - जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है...,
3 - घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है...,
4 - इत्र की धारा चढ़ाने से काम सुख व भोग की वृद्धि होती है...,
 5 - शहद के अभिषेक से टीबी रोग का नाश होता है...,
 6 - गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है...,
 7- गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है...,

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' शिव मूल मंत्र:-
ॐ नमः शिवाय

महामृत्युंजय मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव मूल मंत्र:- ॐ नमः शिवाय महामृत्युंजय मंत्र:- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ #समाज

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Richa Mishra

|| शबरी मां का इंतजार ||

गुरु का उपदेश लेकर 
चली कुटिया में रहने ।
कीर्तन करती संतो संग
बनाती फूलों की मालाएं ।
चखती बेर ; प्रभु राम के लिए
मीठे बेर रखती .....
फूलों की शोभा से 
यात्रा मार्ग संवारती ।
करती प्रतिदिन प्रतीक्षा 
अपने प्रभु श्री राम की ।।

• पढ़े अनुशीर्षक में • वर्षों व्यतीत हुए ....
संत कहते कहां हैं 
तुम्हारे प्रभु राम ??
मां कहती मेरे गुरु के 
उपदेश गलत नहीं 
हो सकते हैं ।
आयेंगे प्रभु अपनी भार्य

वर्षों व्यतीत हुए .... संत कहते कहां हैं तुम्हारे प्रभु राम ?? मां कहती मेरे गुरु के उपदेश गलत नहीं हो सकते हैं । आयेंगे प्रभु अपनी भार्य #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #भक्तिकीशक्ति #bhaktiquote #भक्ति_रस

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Vikas Sharma Shivaaya'

एकादशी:-
हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए एकादशी को हरि वासर या हरि का दिन भी कहा जाता है।

एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य का अर्चन-वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही 'एकादशी व्रत' है।

एकादशी का नाम मास पक्ष:-
कामदा एकादशी- चैत्र शुक्ल
वरूथिनी एकादशी- वैशाख कृष्ण
मोहिनी एकादशी -वैशाख शुक्ल
अपरा एकादशी -ज्येष्ठ कृष्ण
निर्जला एकादशी- ज्येष्ठ शुक्ल
योगिनी एकादशी- आषाढ़ कृष्ण
देवशयनी एकादशी -आषाढ़ शुक्ल
कामिका एकादशी- श्रावण कृष्ण
पुत्रदा एकादशी- श्रावण शुक्ल
अजा एकादशी- भाद्रपद कृष्ण
परिवर्तिनी एकादशी- भाद्रपद शुक्ल
इंदिरा एकादशी -आश्विन कृष्ण
पापांकुशा एकादशी- आश्विन शुक्ल
रमा एकादशी -कार्तिक कृष्ण
देव प्रबोधिनी एकादशी -कार्तिक शुक्ल
उत्पन्ना एकादशी- मार्गशीर्ष कृष्ण
मोक्षदा एकादशी- मार्गशीर्ष शुक्ल
सफला एकादशी- पौष कृष्ण
पुत्रदा एकादशी- पौष शुक्ल
षटतिला एकादशी -माघ कृष्ण
जया एकादशी- माघ शुक् ल
विजया एकादशी- फाल्गुन कृष्ण
आमलकी एकादशी- फाल्गुन शुक्ल
पापमोचिनी एकादशी- चैत्र कृष्ण
पद्‍मिनी एकादशी- अधिक मास शुक्ल
परमा एकादशी -अधिक मास कृष्ण

पुत्रदा एकादशी:-
 पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं- पुत्रदा एकादशी के पुण्य फल से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी व्रत रखा जाता है. पुत्रदा एकादशी व्रत हर संतानहीन दंपत्ति को रखने के लिए कहा जाता है. 

विष्णु सहस्रनाम( एक हजार नाम) आज 312 से 322 नाम 
 
312 नहुषः भूतों को माया से बाँधने वाले
313 वृषः कामनाओं की वर्षा करने वाले
314 क्रोधहा साधुओं का क्रोध नष्ट करने वाले
315 क्रोधकृत्कर्ता क्रोध करने वाले दैत्यादिकों के कर्तन करने वाले हैं
316 विश्वबाहुः जिनके बाहु सब और हैं
317 महीधरः महि (पृथ्वी) को धारण करते हैं
318 अच्युतः छः भावविकारों से रहित रहने वाले
319 प्रथितः जगत की उत्पत्ति आदि कर्मो से प्रसिद्ध
320 प्राणः हिरण्यगर्भ रूप से प्रजा को जीवन देने वाले
321 प्राणदः देवताओं और दैत्यों को प्राण देने या नष्ट करने वाले हैं
322 वासवानुजः वासव (इंद्र) के अनुज (वामन अवतार)

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

.

©Vikas Sharma Shivaaya' एकादशी:-
हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बा

एकादशी:- हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बा #समाज

9 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

श्री सूर्य चालीसा               
                      ॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
सूर्यदेव का शरीर स्वर्ण रंग का है व कानों में मकर के कुंडल हैं एवं उनके गले में मोतियों की माला है। पद्मासन होकर शंख और चक्र के साथ सूर्य भगवान का ध्यान लगाना चाहिए।

॥चौपाई॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
हे भगवान सूर्य देव आपकी जय हो, हे दिवाकर आपकी जय हो। हे सहस्त्राशुं, सप्ताश्व, तिमिरहर, भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता हंस, विभाकर, विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, विष्णु रुप विरोचन, अंबर मणि, खग और रवि कहलाने वाले भगवान सूर्य जिन्हें वदों में हिरण्यगर्भ कहा गया है। सहस्त्रांशु प्रद्योतन (देवताओं की रक्षा के लिए देवमाता अदिति के तप से प्रसन्न होकर सूर्य देव उनके पुत्र के रुप में हजारवें अंश में प्रकट हुए थे) कहकर मुनि गण खुशी से झूमते हैं।

अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

 सूर्य देव के सारथी अरुण हैं, जो रथ पर सवार होकर सात घोड़ों को हांकते हैं। आपके मंडल की महिमा बहुत अलग है। हे सूर्यदेव आपके इस तेज रुप, आपके इस प्रकाश रुप पर हम न्यौछावर हैं। आपके रथ में उच्चै:श्रवा (घोड़े की प्रजाति जिसका रंग सफेद होता है जो उड़ते हैं और तेज गति से दौड़ते हैं देवराज इंद्र के पास यह घोड़ा होता था, सागर मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में एक उच्चै:श्रवा घोड़ा भी था जिसे देवराज इंद्र को दिया गया था।) के समान घोड़े जुते हुए हैं, जिन्हें देखकर स्वयं इंद्र भी शर्माते हैं। मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता, सूर्य, अर्क, खग, कलिकर पौष माह में रवि एवं आदित्य नाम लेकर और हिरण्यगर्भाय नम: कहकर बारह मासों में आपके इन नामों का प्रेम से गुणगान करके, बारह बार नमन करने से चारों पदार्थ अर्थ, बल, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है व दुख, दरिद्रता और पाप नष्ट हो जाते हैं।

नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते। सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है। प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

सूर्य नमस्कार का चमत्कार यह होता है कि यह भगवान सूर्यदेव की कृपा पाने का एक आसान तरीका है। जो भी मन लगाकर भगवान सूर्य देव की सेवा करता है, वह आठों सिद्धियां व नौ निधियां प्राप्त करता है। सूर्य देव के बारह नामों का उच्चारण करने से हजारों जन्मों के पापी भी मुक्त हो जाते हैं। जो जन आपकी महिमा का गुणगान करते हैं, आप क्षण में ही उन्हें शत्रुओं से छुटकारा दिलाते हो। जो भी आपकी महिमा गाता है धन, संतान सहित परिवार में समृद्धि बढ़ती है, बड़े से बड़े मोह के बंधन भी कट जाते हैं।

अर्क शीश को रक्षा करते। रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत। कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित। भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे। रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा। तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर। त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन। भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर। कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा। गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी। बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै। रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

भगवान श्री सूर्यदेव अर्क के रुप में शीश की रक्षा करते हैं अर्थात शीश पर विराजमान हैं, तो मस्तक पर रवि नित्य विहार करते हैं। सूर्य रुप में वे आंखों में बसे हैं तो दिनकर रुप में कानों अर्थात श्रवण इंद्रियों पर रहते हैं। भानु रुप में वे नासिका में वास करते हैं तो भास्कर रुप सदा चेहरे के लिए हितकर होता है। सूर्यदेव होठों पर पर्जन्य तो रसना यानि जिह्वा पर तीक्ष्ण अर्थात तीखे रुप में बसते हैं। कंठ पर सुवर्ण रेत की तरह शोभायमान हैं तो कंधों पर तेजधार हथियार के समान तिग्म तेजस: रुप में। भुजाओं में पुषां तो पीठ पर मित्र रुप में त्वष्टा, वरुण के रुप में सदा गर्मी पैदा करते रहते हैं। युगल रुप में रक्षा कारणों से हाथों पर विराजमान हैं, तो भानुमान के रुप में हृदय में आनन्द स्वरुप रहते हुए उदर में विचरते हैं। नाभि में मन का हरण करने वाले अर्थात मन को मोह लेने वाले मनोहर रुप आदित्य बसते हैं, तो वहीं कमर में मन मुदभर के रुप में रहते हैं। जांघों में गोपति सविता रुप में रहते हैं तो दिवाकर रुप में गुप्त इंद्रियों में। पैरों के रक्षक आप विवस्वान रुप में हैं। अंधेरे का नाश करने के लिए आप बाहर रहते हैं। सहस्त्राशुं रुप में आप प्रकृति के हर अंग को संभालते हैं आपका रक्षा कवच बहुत ही विचित्र है।

अस जोजन अपने मन माहीं। भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै। जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता। नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही। कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके। धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा। किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
जो भी व्यक्ति भगवान सूर्य देव को अपने मन में रखता है अर्थात उन्हें स्मरण करता है उसे दुनिया में किसी चीज से भय नहीं रहता। जो भी व्यक्ति सूर्यदेव का जाप करता है उसे किसी भी प्रकार के चर्मरोग एवं कुष्ठ रोग नहीं लगते। सूर्यदेव पूरे संसार के अंधकार को मिटाकर उसमें अपने प्रकाश से आनन्द को भरते हैं। हे सूर्यदेव मैं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं क्योंकि आपके प्रताप से ही अन्य ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं। इन्हीं सूर्यदेव के धर्मराज के समान पुत्र हैं अर्थात भगवान शनिदेव जो धर्मराज की तरह न्यायाधिकारी हैं। हे दिनमनि आप धन्य हैं, देवता, ऋषि-मुनि, सब आपकी सेवा करते हैं।

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों। दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी। हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन। मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै। ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता। कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं। पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥

जो भी नियमपूर्वक पूरे भक्तिभाव से सूर्यदेव की भक्ति करता है, वह भव के भ्रम से दूर हो जाता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। जो भी आपकी भक्ति करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं। जिन पर आपकी कृपा होती है, आप उनके तमाम दुखों के अंधेरे को दूर कर जीवन में खुशियों का प्रकाश लेकर आते हैं। माघ माह में आप अरुण तो फाल्गुन में सूर्य, बसंत ऋतु में वेदांग तो उद्यकाल में आप रवि कहलाते हैं। बैसाख में उदयकाल के समय आप भानु तो ज्येष्ठ माह में इंद्र, वहीं आषाढ़ में रवि कहलाते हैं। भादों माह में यम तो आश्विन में हिमरेता कहलाते हैं, कार्तिक माह में दिवाकर के नाम से आपकी पूजा की जाती है। अगहन (कार्तिक के बाद और पूस के पहले का समय) में भिन्न नामों से पूजे जाते हैं तो पूस माह में विष्णु रुप में आपकी पूजा होती हैं। मलमास या पुरुषोत्तम मास (जब सूर्य दो राशियों में सक्रांति नहीं करता तो वह समय मलमास कहलाता है ऐसा अवसर लगभग तीन साल में एक बार आता है) में आपका नाम रवि लिया जाता है।

॥दोहा॥

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

जो भी व्यक्ति भानु चालीसा को प्रेम से प्रतिदिन गाता है अर्थात इसका पाठ करता है, उसे सुख-समृद्धि तो मिलती ही है, साथ ही उसे हर कार्य में सफलता भी प्राप्त होती है।

        ॥इति श्री सूर्य चालीसा ॥ 

भैरव बाबा चमत्कारी मंत्र :-
 ” ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल
यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे
जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम
ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः “

🌹बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🙏

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री सूर्य चालीसा               
                      ॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

श्री सूर्य चालीसा ॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ #समाज

9 Love

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JALAJ KUMAR RATHOUR

पार्ट-8
उस रात लगभग दस बज चुके थे।तभी मेरा रूममेट भानू आया और बोला यार स्वप्निल चल बे छत पर चल, जनवरी की कड़कडाती सर्दी में छत पर जाना जिंदगी को जोखिम मे डालना पर कंमबख्त ये दोस्त तुम्हे कहीं पर भी ले जाते है, उपर से रूममेट, थोडी देर में, मैं छत पर था और हमारे आसपास बैठे थे हॉस्टल के वो लड़के जो सिर्फ एक ही ज्ञान देते थे " भाई नौकरी तेरी भी लगेगी नौकरी मेरी भी लगेगी 
हाँ थोड़ा बहुत अंतर होगा रुपयो का " तभी उनमे से एक महानुभाव  बोला "अरे यार जिसकी ना लगे हम उसकी लगवा देंगे " कई लड़के जो युद्ध से पहले ही हथियार डाल चुके थे। उस मित्र के करीब हो गए और बोले " हाँ ये बात तो सही कर रहा है। इसके चाचा एक बडी कंपनी में अच्छे पद पर हैं" बस फिर क्या था जनाब खुश, तभी उस महफ़िल के मुख्य कार्यकरता ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली,पीछे से आवाज आयी कौन से लाये ही बे,"रेड ब्लैक "मुख्य कार्यकरता ने पीछे से आयी इस प्रश्नवाचक ध्वनी का का उत्तर दिया अगर हॉस्टल की  इस महफ़िल को बाबा साहब देख लेते तो वो जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए आरक्षण से पहले ऐसी संगोष्ठियां करवाते यहाँ सब समान होते थे और छुआछूत को तो ये लोग एक दूसरे के द्वारा उपयोग की गयी सिगरेट के सहारे कश भर कर उड़ा देते थे।गोलाई मे सजी इस महफ़िल का नियम था की पहली सिगरेट के बाद ही दुसरी सिगरेट को जलाया जाता था। पांच महानुभावों
से चुंबन प्राप्त कर ये बेबस सिगरेट मेरे पास आयी थी। चाहती थी वो कि मैं उसको मोक्ष की प्राप्ति अपने होठो से कराऊँ पर में अनुभवहीन प्राणी उस तड़पती आत्मा की संतुष्टि का कारण ना बन सका। 
और भानु के द्वारा उस मोक्ष की प्राप्ति हुई। वैसे अगर  व्यक्ति और सिगरेट की तुलना की जाए तो ज्यादा अंतर कहाँ होता है। दोनो की जीवन यात्रा में दोनो को कई लोगो के हाथो से गुजरना पड़ता है। हर व्यक्ति अपनी सुविधा अनुसार उपयोग करता है जीवन भी सुलगता है आग रूपी परेशानियों से और अंत मे बचती है सिर्फ राख,अरे में भी आध्यात्मिक हो रहा हूँ क्या करे इन महफ़िल में हर व्यक्ति ज्ञान बाँटता है।
.... #जलज _ राठौर पार्ट-8
उस रात लगभग दस बज चुके थे।तभी मेरा रूममेट भानू आया और बोला यार स्वप्निल चल बे छत पर चल, जनवरी की कड़कडाती सर्दी में छत पर जाना जिंदग

पार्ट-8 उस रात लगभग दस बज चुके थे।तभी मेरा रूममेट भानू आया और बोला यार स्वप्निल चल बे छत पर चल, जनवरी की कड़कडाती सर्दी में छत पर जाना जिंदग #जलज

13 Love

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

हरे कृष्णा

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust इस एकादशी का व्रत करने से होता है पापों का प्रायश्चित, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि
हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो

इस एकादशी का व्रत करने से होता है पापों का प्रायश्चित, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो #समाज

7 Love

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम
आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले

आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले #लव

8 Love

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AB

" कात्यायनी "
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि
  
   
 नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन भक्तगण देवी कात्यायनी के स्वरुप की उपासना कर उनका आशीर्वाद पाते हैं।

ब्रज मं

नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन भक्तगण देवी कात्यायनी के स्वरुप की उपासना कर उनका आशीर्वाद पाते हैं। ब्रज मं

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