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कमलेश मिश्र
सबसे कठिन चुनाव परधानी की एक चर्चा बड़े भोर चलि पड़ा भकोलवा,पुरवा सनसन डोली। सैकल मुड़ी सड़क पर पश्चिम,घण्टी टनटन बोली।। हमहूँ जात रहे टहरै का,आइ गए महुआरी। देखा बड़े बेग से आवत,श्वेत-श्याम पटधारी।। बार खिजाब सुरंजित देखा,नई साइकिल-जूता। रोका कहा कहाँ जाते हो,बनकर इब्न बतूता।। हुए अनमने रुके भकोले,बोले वै पालागी। आदति गड़बड़ रोकटोक कै,हे गुरुदेव न त्यागी।। हम बोले उतरो सइकिल से,हालचाल बतलाओ। एतनी जल्दी करौ न बाबू,खैनी खाकर जाओ।। खैनी ऐसन दिव्य जड़ी बा,जेकर प्रेमी अक्सर। ठहरि-ठहरि बतिआइँ राह माँ,मुसुकावैं मल मलकर।। सुस्ती दूर भगावै सारी,ई फुर्ती लै आवै। अंतरज्ञान जगावै भैया,मन कै भ्रांति मिटावै।। खैनी नई युक्ति बतलावै,नई राह देखरावै। याद करावै उहौ बाति जो,जल्दी याद न आवै।। उतरा खड़ी करा अब सैकल,हम अनजाने टोका। भेद मिटावा रोक टोक कै,बार-बार फिर ठोका।। छींक आइ गइ बगले ठाढ़ा,भैरोनाथ पुजारी। हमने खैनी को रगड़ा,दुइ चारि ठोक फिर मारी।। उतरि परा तत्काल भकोलवा,सैकल को ठढ़ियाया। बहुत देर तक इधर-उधर कै,बात बड़ी बतियाया।। करै लाग अलगंटे हमसे,परधानी कै चर्चा। कहता गुरुवर हमहूँ अबकी,भरी जाइकै पर्चा।। केतना खर्चा बइठे एहमाँ,हे गुरुदेव बतावा। मदति करा एहि बार दास कै,ओट देवाइ जितावा।। तू कहि देबा तौ लड़ि जाबै,रहे न तनिकौ खटका। भैरो इही टोह में आवा,अहै दूर पर अटका।। बोर हो रहा होगा भैरो,सोचा पास बुलाया। वह भी चालू पुरजा ठहरा,सब अनुमान लगाया।। खोंखत आइ खड़ा भा आगे,देखतै भगा भकोले। सनसन सनसन सैकल भागी,लेइ लगा हिचकोले।। ©K C Mishra #कहानी चुनाव की....
Kamlesh Kandpal
बड़े बाबू ने मुस्कराते हुए, तेजा बाबू से कहा "तेजा बाबू चुनाव में, अबकी तो पूरे स्टॉफ की ड्यूटी लगा दी, चुनाव आयोग ने! क्या!मेरी भी, तेजा बाबू ने आश्चर्य से पूछा। उनके ऐसा कहते ही, बड़े बाबू ने सर्कुलर, तेजा बाबू को थमा दिया। सर्कुलर, तेजा बाबू ने पढ़ा और उसे लेकर सीधे साहब के कमरे में दाखिल हो गये। साहब को सर्कुलर पकड़ाते हुए बोले "साहब पढ़िए जरा "। अरे तेजा बाबू आप अगले महीने रिटायर हो रहे है फिर ऑफिस के सर्कुलर, कागज-पत्री का फालतू टेंशन क्यों? "साहब पढ़िए तो मेरा नाम भी है इसमें " तेजा बाबू ने कहा। तेजा बाबू, आप 30 को रिटायर हो जायेंगे, चुनाव तो आपके रिटायर होने के दस दिन बाद है, आप मजे से वोट डालियेगा। "साहब लेकिन मेरी चुनाव ड्यूटी! तेजा बाबू ने आश्चर्य से पूछा। "सब भूल जाइये, पोस्ट रिटायरमेंट की योजना बनाइये, रिटायर इंसान की चुनाव ड्यूटी नहीं लगती"साहब ने कहा। तेजा बाबू रिटायर हुये लेकिन चुनाव ने उनका फेयरवेल फीका कर दिया। रिटायर होने के, वोट डालने के दिन तक, तेजा बाबू डरे रहे कि अभी पेशंन शुरु तो नहीं हुई, इसलिए चुनाव ड्यूटी भी न आ जाय। मतदान की शाम तेजा बाबू के चेहरे की चमक, विजयी प्रत्याशी जैसी लग रही थी। ©Kamlesh Kandpal #चुनाव का चक्कर -कहानी
Di Pi Ka
गजब का किस्मत वाला था वो... उड़ भी गया... और बस भी गया! ©Di Pi Ka #प्रेम_पंक्ति #कहनी कहानी
Homendra Kumar
कछुए की उड़ान कछुओं का एक राजा था।उसे राजा बृहस्पति के विवाह का निमंत्रण मिला।वह आलसी था।फलतः घर पर ही रह गया। विवाह के उत्सव में सम्मिलित नही हुआ।बृहस्पति नाराज हो गए।उन्होंने कछुओं को पीठ पर अपना घर ढोने का साप दे दिया। एक समय एक बड़े तालाब में एक कछुआ रहता था।उसमे अनेक राजहंश भी रहते थे। उनकी उड़ान कछुए को बहुत अच्छी लगती थी। वह भी। ©Homendra Kumar #Colors कविता की कहानी।#कहानी
Vivek
कहानी हमारी नही होती उन हालातों की होती है जिन हालातों में रहकर हम निखरें हैं ज्वाला बने हैं,, हम कितने गहरे होंगे कितने विशाल होंगे ये निर्भर करता है हम कहां उगते हैं उसी तरह इंसान के संस्कार, त्याग, तप, निर्भर करते हैं वो किस हालात में किन स्थितियों में रहता है!! ©Vivek #कहानी हालातों की #कहानी हमारे बनने बिगड़ने की #
Siraj Quraishi
वास्तव में चुनाव दो चरण में होते है। चुनाव से पहले वो आपके चरण में । और चुनाव के बाद आप उनके चरण में। समझे सिन्हा साहब। #चुनाव की चरण
shaurya valvaikar
दिल के न अरमान पूरे हुए न पूरे हुए आँखों देखे सपने हर तरफ से धोखा ही मिला और छोड़ गए साथ जो थे अपने। सांस भी अब नही आती न आ रही है मौत मुझे लफ़्ज़ों से बहे लहू मेरा आँसू भी आंखों में ठहर से गये। जिंदगी तो मेरी बेमतलब की थी बेआबरू तू उसने किया कहता था पलकों में सवारूँगा उसीने मेरी इज्जत को चोहराये पे नंगा किया। कहानी एक आँख की#nojoto#कहानी