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Deepak Dixit
आसां नहीं है यूं किसी के इश्क़ में फना हो जाना,बड़ी मुश्किलों से इश्क़ नसीब होता है । #NojotoQuote #दीपक दीक्षित 'दीप "
Ek villain
विवेक रंजन अग्निहोत्री की चर्चित फिल्म का कश्मीर फाइल्स ने दर्शकों की छाई एक चुप्पी को तोड़ा है यह चुप्पी 1990 में कश्मीरी हिंदुओं के सुनियोजित नरसंहार से जुड़ी है जिस पर कदम पंथनिरपेक्ष तबके ने जिस प्रकार का आवरण डाला हुआ था इस्लामिक जिहादियों के हाथों में राज्य में अल्पसंख्यक हिंदुओं के उससे नरसा में लाखों की तादात में लोगों को अपनी जन्मभूमि कर्मभूमि और पुण्य भूमि छोड़ने को विवश कर दिया था नरसिंह घाट के समय की कल्पना है कि फरहान होने लगती है जब जिहादियों और आतंकियों ने रेलवे चावल वाली का नारा दिया था उसका मतलब था कि यह तो मन तारण हो जाओ या गाड़ी छोड़ जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ कश्मीर घाटी की मस्जिदों से बार-बार ऐसे ऐलान हो रहे थे सड़कों पर जमा हिंसक भीड़ की जुबान पर एक ही जुनून चढ़ा हुआ था हिंदुओं के घरों को आग लगाने के हवाले किए जा रहा था ऐसा लगता है कि फिल्म के बाद अब पीड़ितों के सब्र का बांध टूट गया बीते 32 वर्ष से कश्मीर हिंदुओं ने जैसा कर उसके भीतर दबाए रखें उसी अब टीवी चैनल की चर्चाओं में अभिव्यक्त मिल रही है उस यात्रा भरे दौरान में किसी प्रकृतिक जीवित बचे कश्मीर दा हिंदू उस समय के खौफनाक घटना क्रम की स्मृति साझा कर रहे हैं तब उन्हें जम्मू से लेकर दिल्ली तक तबकों में रहकर गुजारा करना पड़ा उस दौरान के संवेदनशील सरकारों को उनसे कोई शक और नहीं तो आधा कश्मीरी फाइल्स वास्तव में ऐसे ही भक्तों बोगियों के उन लोगों पर बनी फिल्म है जो अपनी कहानी सुनाने के लिए जीवित रह गए कश्मीर घाटी में हिंदुओं पर हमले की शुरुआत तो पिछली सदी के नौवें दशक के मध्य से हुई थी ©Ek villain #षड्यंत्र को बेनकाब करती फिल्म #selfhate
Deepak Dixit
कभी तन्हा जो कटती थीं वो रातें महक उठी हैं, कभी चुपचाप रहतीं थीं जो वो चिडियाँ चहक उठी हैं ।। #NojotoQuote #दीपक दीक्षित दीप
Deepak Dixit
आखिर क्यूं मुझसे छुपा रहे हो, माजरा क्या है क्यूं नहीं बता रहे हो । #NojotoQuote #दीपक दीक्षित दीप
Ek villain
भारतीय संस्कृति ने यहां के लोग में वासुदेव कुटुम बंधन के ज्ञान का ऐसा संचार किया है कि हमारे नसों में खून बंद करने लगा प्राकृतिक संस्कृत तौर पर हमारा परिवेश आ जा रहा है कि हम जीव मात्र से प्रेम करते हैं हम अपने प्राकृतिक स्वभाव के अनुरूप सिर्फ प्रेम ही कर सकते हैं हमारे लिए प्रत्येक जीव कुटुंब हमारे ग्रंथों में हमारे प्रेम और प्रार्थना का ज्ञान दिया है सब में मैं हूं और सब मौज में है श्री कृष्ण मंत्री हमारी छाती रही है 12वीं शताब्दी से इसमें बड़ा बदलाव आना शुरू हुआ है जब संस्कृत से बाहर क्यों नहीं बल्कि बिन संस्कृति के लोग भारत आना शुरू हुए थे जब करीब 80000 साल पहले अमरीका से निकले थे तो वह करते हुए आगे बढ़े सफलता में सबसे बेहतर दुनिया में सिर्फ थोड़ा और विस्तार पाया सच होता है आ रही है कि भारतीय जनमानस में स्थापित होती है पर तैयार होती है ©Ek villain #जनमानस को प्रभावित करती फिल्म #LostInSky