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lalitha sai
माँ.. तू सर्व जगत जननी.. माँ.. तू सर्वांतर्यामी..❤️❤️ अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भू
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि॥18॥ हनुमानजी ने कुछ राक्षसों को मारा और कुछ को कुचल डाला और कुछ को धूल में मिला दिया और जो बच गए थे वे जाकर रावण के आगे पुकारे कि हे नाथ! वानर बड़ा बलवान है।उसने अक्षय कुमार को मार कर सारे राक्षसों का संहार कर डाला ॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम मेघनाद और ब्रह्मास्त्र का प्रसंग रावण मेघनाद को भेजता है सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना॥ मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥ रावण राक्षसों के मुख से अपने पुत्र का वध सुन कर बड़ा गुस्सा हुआ और महाबली मेघनादको भेजा॥और मेघनाद से कहा कि हे पुत्र!उसे मारना मत किंतु बांध कर पकड़ लें आना, क्योंकि मैं भी उसे देखूं तो सही वह वानर कहाँ का है॥ मेघनाद हनुमानजी को बंदी बनाने के लिए आता है चला इंद्रजित अतुलित जोधा। बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा॥ कपि देखा दारुन भट आवा। कटकटाइ गर्जा अरु धावा॥ इन्द्रजीत (इंद्र को जीतनेवाला) योद्धा मेघनाद असंख्य योद्धाओ को संग लेकर चला। भाई के वध का समाचार सुनकर उसे बड़ा गुस्सा आया॥हनुमान जी ने उसे देख कर यह कोई दारुण भट (भयानक योद्धा) आता है ऐसे जानकार कटकटा के महाघोर गर्जना की और दौड़े॥ हनुमानजी ने मेघनाद के रथ को नष्ट किया अति बिसाल तरु एक उपारा। बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा॥ रहे महाभट ताके संगा। गहि गहि कपि मर्दई निज अंगा॥ एक बड़ा भारी वृक्ष उखाड़ कर उससे लंकेश्र्वर रावण के पुत्र मेघनाद को विरथ अर्थात रथहीन, बिना रथ का कर दिया॥उसके साथ जो बड़े बड़े महाबली योद्धा थे,उन सबको पकड़ पकड़ कर हनुमान जी ने अपने शरीर से मसल डाला॥ हनुमानजी ने मेघनाद को घूंसा मारा तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा। भिरे जुगल मानहुँ गजराजा॥ मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई। ताहि एक छन मुरुछा आई॥ ऐसे उन राक्षसों को मारकर हनुमानजी मेघनाद के पास पहुँचे।फिर वे दोनों ऐसे भिड़े कि मानो दो गजराज आपस में भीड़ रहे है॥हनुमानजी मेघनाद को एक घूँसा मारकर वृक्ष पर जा चढ़े और मेघनाद को उस प्रहार से एक क्षण भर के लिए मूर्च्छा आ गयी। मेघनाद हनुमानजी से जीत नहीं पाया उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया। जीति न जाइ प्रभंजन जाया॥ फिर मेघनाद ने सचेत होकर बहुत माया रची, अनेक माया ये फैलायी पर वह हनुमानजी से किसी प्रकार जीत नहीं पाया॥ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 718 से 729 नाम 718 महामूर्तिः जिनकी मूर्ति बहुत बड़ी है 719 दीप्तमूर्तिः जिनकी मूर्ति दीप्तमति है 720 अमूर्तिमान् जिनकी कोई कर्मजन्य मूर्ति नहीं है 721 अनेकमूर्तिः अवतारों में लोकों का उपकार करने वाली अनेकों मूर्तियां धारण करते हैं 722 अव्यक्तः जो व्यक्त नहीं होते 723 शतमूर्तिः जिनकी विकल्पजन्य अनेक मूर्तियां हैं 724 शताननः जो सैंकड़ों मुख वाले है 725 एकः जो सजातीय, विजातीय और बाकी भेदों से शून्य हैं 726 नैकः जिनके माया से अनेक रूप हैं 727 सवः वो यज्ञ हैं जिससे सोम निकाला जाता है 728 कः सुखस्वरूप 729 किम् जो विचार करने योग्य है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड🙏 दोहा – 17 प्रभु श्री राम के चरणों में मन रखकर कार्य करें देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु। रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु॥17॥ तुलसीदास जी कहते है कि हनुमान जी का विलक्षण बुद्धिबल देख कर सीता जी ने कहा कि हे पुत्र !जाओ, रामचन्द्र जी के चरणों को हृदय मे रख कर मधुर मधुर फल खाओ ॥17॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम हनुमानजी फल खाते है और कुछ राक्षसों का संहार करते है चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा। फल खाएसि तरु तोरैं लागा॥ रहे तहाँ बहु भट रखवारे। कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे॥1॥ सीताजी के वचन सुन कर उनको प्रणाम करके हनुमान जी बाग के अन्दर घुस गए।फल फल तो सब खा गए और वृक्षों को तोड़ मरोड़ दिया॥जो वहां रक्षा के लिए राक्षस रहते थे उनमे से कुछ को मार डाला और कुछ ने जाकर रावण से पुकार की (रावण के पास गए और कहा)॥ राक्षस रावण को हनुमानजी के बारे में बताते है नाथ एक आवा कपि भारी। तेहिं असोक बाटिका उजारी॥ खाएसि फल अरु बिटप उपारे। रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे॥2॥ कि हे नाथ! एक बड़ा भारी वानर आया है ।उसने तमाम अशोकवन का सत्यानाश कर दिया है॥उसने फल फल तो सारे खा लिए है, और वृक्षोंको उखड दिया है।और रखवारे राक्षसों को पटक पटक कर मार गिराया है,उनको मसल-मसलकर जमीन पर डाल दिया है॥ रावण और राक्षसों को भेजता है सुनि रावन पठए भट नाना। तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना॥ सब रजनीचर कपि संघारे। गए पुकारत कछु अधमारे॥3॥ यह बात सुनकर रावण ने बहुत से राक्षस योद्धा भेजे।उनको देखकर युद्ध के उत्साह से हनुमान जी ने भारी गर्जना की॥हनुमानजी ने उन तमाम राक्षसों को मार डाला।जो कुछ अधमरे रह गए थे,वे वहा से पुकारते हुए भागकर गए॥ अक्षयकुमार का प्रसंग रावण अक्षय कुमार को भेजता है पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा। चला संग लै सुभट अपारा॥ आवत देखि बिटप गहि तर्जा। ताहि निपाति महाधुनि गर्जा॥4॥ फिर रावण ने मंदोदरि के पुत्र अक्षय कुमार को भेजा।वह भी असंख्य योद्धाओं को संग लेकर गया॥उसे आते देखते ही हनुमानजी ने हाथ में वृक्ष लेकर उस पर प्रहार किया और उसे मारकर फिर बड़े भारी शब्दसे (महाध्वनि से, जोर से) गर्जना की॥ आगे मंगलवार को ..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 682 से 693 नाम 682 स्तुतिः स्तवन क्रिया 683 स्तोता सर्वरूप होने के कारण स्तुति करने वाले भी स्वयं हैं 684 रणप्रियः जिन्हे रण प्रिय है 685 पूर्णः जो समस्त कामनाओं और शक्तियों से संपन्न हैं 686 पूरयिता जो केवल पूर्ण ही नहीं हैं बल्कि सबको संपत्ति से पूर्ण करने भी वाले हैं 687 पुण्यः स्मरण मात्र से पापों का क्षय करने वाले हैं 688 पुण्यकीर्तिः जिनकी कीर्ति मनुष्यों को पुण्य प्रदान करने वाली है 689 अनामयः जो व्याधियों से पीड़ित नहीं होते 690 मनोजवः जिनका मन वेग समान तीव्र है 691 तीर्थकरः जो चौदह विद्याओं और वेद विद्याओं के कर्ता तथा वक्ता हैं 692 वसुरेताः स्वर्ण जिनका वीर्य है 693 वसुप्रदः जो खुले हाथ से धन देते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏 दोहा – 17 प्रभु श्री राम के चरणों में मन रखकर कार्य करें देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु। रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधु
Jangid Damodar
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी
K S Ujjain
💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 निजात-ए-दर्द अगर पाना चाहते हैं जनाब, तो गैरतलब होगा की कभी किसी से इश्क ना फर्माए| 💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 कौशल उज्जैन #निजात
Manmohan Dheer
निजात मांगते तुमसे जो ख्वाबों में मेरे आये होते सुना आजकल नींद में तुम सियासी सूबे बांटते हो निजात
adure alfaz
मेरी बर्बादी की वजह तुम थे दिल दिमाग हर जगह में तुम थे तुझे भूल ना सके हर याद में तुम थे बेदर्दी कभी तो तेरे लिए भी सब कुछ हम थे तुम हवा के झोंके की तरह आए और चले गए हम तुम्हें दीवानों की तरह तकते रह गए तू बेवफा है यह जानते हैं पर क्या करें तुम्हें हम अपना मानते हैं काश जिंदगी में आगे बढ़ जाने की दवा आ जाए मुझे इश्क की कैद से निजात मिल जाए आलम यह है कि या तो तू मिल जाए या मुझे मेरा दिल वापस मिल जाए ©Er.Amit Kumar #इश्क़ से निजात
Ravi Gupta
देख रहें हैं सब तुम को चेहरा छुपा के रोइये सिसकियाँ न सुन ले कोई मुँह दबा के रोइये निशात ए वक़्त में भी आँशू! हैरान हैं सब ख़ुशी के हैं कि ग़म के बता के रोइये हम से न पूछिये क्या है अंजाम इश्क़ का ख़ुद ही किसी से दिल लगा के रोइये हँसते हँसते भी तो आँखों में आ जातें हैं आँशू आप तो ऐसा कीजिये कह'कहा के रोइये रोने से अगर ग़म दूर होता है! सच है ? हम भी हैं ग़म-जदा हम को रुला के रोइये आँशू तो होते हैं मिल्कियत आँखों की यूँ ही न खर्चिये थोड़ा बचा के रोइये ©Ravi Gupta निशात-: ख़ुशी #udas
Manjul
ऐसा नस्तर चुभा दे कोई.. उसकी यादों से निज़ात दिला दे कोई.. ©Manjul Sarkar #नस्तर #यादों #निजात #jail