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अभिषेक क्षितिज

eveningtea वैभवी पांडेय शायरी

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ज़नाब चाय पीये आप और  मिठास मिरे होंठो में हो।
 चाय के प्याली में लगे होठो के निशां मिरे होठो में हो। ।
जैसे गले से नीचे उतरकर चाय आप को सुकूँ देती है।
वो सुकूँ मिलेगा हमे जब आपके होंठ मिरे होंठो में हो।।

-अभिषेक क्षितिज #eveningtea  वैभवी पांडेय #शायरी

Rudra chhattarpal singh shandilya

#रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य

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रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता है हम गरीब हैं इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता है/

©GSU Rudra shandilya #रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #sharadpurnima #ज़िन्दगी

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चलते चलते कहीं रूका ,
तो कुछ जानने वाले मिले ,
तो लगा कितनी छोटी सी दुनियां है ,
जब जानने वालों ने पहचाना नहीं ,
तो लगा की इस छोटी सी दुनियां में 
हम कितने छोटे हैं।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sharadpurnima

Rudra chhattarpal singh shandilya

रुद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #समाज

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जात पात से ऊपर उठकर 
आओ नई शुरुआत करें 
बेहतर माहौल बनाने के खातिर 
मिलकर समाज का सुधार करें

©GSU Rudra shandilya रुद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #NatureLove #जानकारी

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मेरे पिता ने मेरे सामने इस जल, जंगल, जमीन की रक्षा किये हैं
यह मेरे पुरखों का जंगल है और मेरे पिता ने कहे हैं मेरे चले जाने के बाद तूम सब इस जल, जंगल, जमीन की रक्षा करोगे।। 


जय आदिवासी

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 
#NatureLove

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #BooksBestFriends #विचार

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जिस जंगल के संग मैं बड़ा हुआ
उसको मैं कैसे छोड़ दूं।। 


जोहार प्रकृति जोहार आदिवासी

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#BooksBestFriends

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #sunrays #कविता

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आज मैं सूबह उठा ,
सोचने लगा दुनिया के बारे में,
कैसे जाते हैं हम 
कैसे लगी रहती ये प्रकृति हमारे सहारे में ।
मैं टहल रहा था सड़क पर ,
और हवा की ठंडी झलक आयी ,
सूरज अब निकलने को था ,
चिड़ियो की आवाज़ कहीं दूर दूर तक आयी।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sunrays

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #Butterfly #कविता

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ऐ गोंडवाना धरती अउर आदिवासी हरे हमर पहचान ,
कतका इहां हमर पुरखा मन 
हो हे बलिदान ।
इहा के माटी मा 
हो हे मोर जनम ,
   

Love Gondwana

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#Butterfly

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #Trees #ज़िन्दगी

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क्या हुआ अगर थोड़ा सा मिट्टी कपड़ो पर लग गया तो 
मिट्टी का शरीर मिट्टी में ही मिल जाएगा 
पत्थर दिल इंसान देखें हैं मैंने जैसे पत्थर ही हो 
मगर वक्त आने पर पत्थर भी मिट्टी हो जाएगा 
मेरे बारे में उसने ने खत लिखी थी 
फिर क्या मैंने खत जला दिया मिट्टी हो गया 
मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल जायेगा 
तुझे खबर भी न होगी कब मिट्टी हो गया 
मैंने आज स्याही से लिखा है इस गजल को 
दवात जमीन पर गिरा सब मिट्टी में मिल गया 

मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल जायेगा।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#Trees

Rudra chhattarpal singh shandilya

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #Mic #कविता

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हम बच्चे गोंडवाना के,
ऐसा कुछ कर जाएंगे, 
हमें भी दूर दूर तक लोग याद रख पाएंगे, 
जन्म लिया इस गोंडवाना भूमी पर ,
इस भूमी का ऋण चुकाएंगे, 
नया प्रकाश नई रोशनी चारो ओर फैलाएंगे, 
हम बच्चे गोंडवाना के, 
गोंडवाना भूमी में हम जन्म लिए, 
नहीं भुले हम उनकी कुरबानी जिन्होंने हमें रास्ता दिखाया, 
उनकी कुरबानी व्यर्थ न जाने देंगे, 
हर सपना सकार कर दिखायेंगे ,
भ्रष्टाचार,गरीब को मिटा कर तरक्की की राह पर ले जायेंगे।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#Mic
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