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Rajat Baghel
सोचता हूं की अच्छा लिखूं , लेकिन हर बार लिखकर कागज को फ़ाड़ देता हूं। ©Rajat Baghel लेखक की कलम से #touchthesky
Chandan Pandey
कुछ कहे या ना कहे मगर कुछ समझ लेता हूँ मै, दिल की गहराई के कोनों को भी पढ़ लेता हूँ मै, मुझे मोहब्बत इश्क से गिला तो नहीं मगर, चालसाजों की महफिलों को अक्सर ढूढ़ लेता हूँ मै...!! ज़िंदगी वीरान सी लगती है मगर होंसला तो है, ज़िंदगी खुशनुमा तो नहीं मगर गमज़दा तो है, परवाह ये नहीं की अंधेरे के उस पार रोशनी होगी या नहीं, खुशी तो इस बात पर है की अंधेरे के उस पार रोशनी की उम्मीदें तो है..!! महफिलें लोगों की समशान सी हो गई है, गुलजार रहती थी जिनकी रातें गुलफ़ाम सी हो गई है, समय मिलता नहीं अक्सर कहता था जो व्यक्ति, आज समय उसी के आगे बर्बाद सी हो गई है...!! समय अक्सर लोगों को पाठ पढ़ा ही जाता है, अबगुणों से सराबोर व्यक्ति को गुण सिखा ही जाता है, जो कहते नहीं थकते थे की दुनिया मेरे पीछे है, समय क्या कर सकता है समय दिखा ही जाता है...!! *समाजसेवी, कवि, लेखक, चंदन पाण्डेय* लेखक की कलम से निकले हैं अल्फ़ाज
दीपक एकलव्य
सोचो !जो शब्द मैं अपनी, किताब में लिखूंगा, वो जिंदा रहेंगे, या तुम्हारी आलोचना ! (दीपक एकलव्य) लेखक दीपक एकलव्य की कलम से
kamal
याद आता रहा वहीं जिसको भुलाता रहा मैं इस तरह खर्च हुआ वक्त जितना बचाता रहा मैं कमल कमल की कलम से
kamal
रह सा गया नूर उसका ही आंखों में फिर कई मुद्दत से चांद नहीं देखा मेंने कमल की कलम से
Kamal King
रातें जो काटी है मेंने तेरे इंतज़ार में मेरे सनम एक बार कह तो दे कि तुझको हमसे प्यार नहीं #NojotoQuote कमल की कलम से
Writer_DEEP@k.
⚔ एक योद्धा⚔ जब राष्ट्र अंग्रेजी बेड़ियों में जकड़ा था। जब भूखे भेड़ियों ने चारों ओर कोहराम रचा था। नोच रहे थे देश की आबरु को चारों ओर चिखो का शमशान बना था।2 उस वक्त एक सर खड़ा चीखो की आवाज में 2 शायद उसके अंतःमन मे द्वंद्व रचा था तभी तो गिद्धो के पहरों के बीच अकेला खड़ा था। रक्त के दलदल से निकला वो ना कोई फरिश्ता था।2 था एक आम ही सिर्फ उसका आत्मबल सबसे बड़ा था। कहानियों और किस्सों में सुना दानवो का नाश करने आया वो भगवान था।2 लेकिन लगता है खुद की स्मरण में रचा पहले इतिहास उसने स्वप्न में देखा अंग्रेजी बेडियो का होता नाश तो उसने वह ना जानता था कितना रक्त बहेगा नदियों और सरिताओ में लेकिन वो जानता था आजाद होगा वतन कई परीक्षाओं में कुछ आत्मघाती कुछ देशद्रोही हुए तो क्या हुआ। अनगिनत सर कटाने वाले खड़े होंगे।2 चारों ओर मोत को गले लगाये वीरों के तूफा चल रहे होंगे। अंग्रेजी बेडियो को तोड़ अकाश में आजाद पक्षी उड़ रहे होंगे।2 खुद की कलम से #अनोखे लेखक by jit rajput