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Diwan G
ये वादियाँ यूँ ही मेरे मन को नहीं भाती, कि मेरा मनमीत भी इन्हीं पहाड़ों से है। गर्मियाँ शहरों की मुझे बेचैन कर जाती, मेरा रिश्ता गुनगुनी धूप व जाड़ों से है।। ©Diwan G #पहाड़ #पहाड़न #पहाड़ी #रिश्ता #सर्दी
naveen
¥जै मल्लिकार्जुन महादेव¥ मुझे समझने की कोशिश मत करना मैं दिमाग से आता हूं और दिल में बैठ जाता हूं ना ही कोई समझ पाया मुझको और नाही समझाता हूं मैं पहाडी़ छोरा हूं छोरी ये तुझको मैं बतलाता हूं पहाडी़ हू पहाड़ से वहीं पिथौरागढ़ से 🌺🌺नवीन🙏🏻🙏🏻 पहाडी़ हूं पहाड़ से
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दूर कहीं पहाड़ों मे एक शोर सा है शांति का एक ऐसा शोर जिसे सुनने का मन करे जिसमे रहने का मन करे जहा जाकर बस जाने का मन करे अपने किसी प्रिय के साथ मधुर हवा, निर्मल जल और पवित्र वातावरण पक्षियों की आवाज भी इतनी साफ कि किसी संगीत की जरूरत न पड़े नदियों का कल कल बहना खेतो की हरियाली एक असीम शांति प्रदान करती है हृदय को चलो एक बार फिर से पहाड़ों को उनकी हरियाली लौटाए चलो एक बार फिर से पहाडो को उनकी शान लौटाए चलो एक बार फिर से पहाड़ों को उनके पहाड़ी लौटाए।। ©Sapna #पहाड़ी #पहाड़
एस पी "हुड्डन"
पहाड़ों में जन्म मिलना तो रहा है सौभाग्य मेरा "हुड्डन" मगर! गलती रही कि पहाड़ों के बीच दिल पत्थर ना बना सका। ✍️"हुड्डन"🙏 #पहाड़ों_में_जन्म
HIMANSHU ARMY
पथरीले रास्ते पर पथरीले रास्ते पर चलना तो हुनर है जिंदगी का...... और उस हुनर के हम पुराने शेर हैं..... पहाडी पहाडी
" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
*पहाड़ी लड़की* ज़हन में बसी है मेरे एक प्यारी सी लड़की, अक्सर याद आती है मुझे, वो पहाड़ी लड़की। पहली दफ़ा उदास था मन मेरा जाते वक्त, उसके शहर से , उसकी वज़ह थी शायद, वो पहाड़ी लड़की । एक वक्त तक तो अनजान थे हम एक दूजे से, चंद मुलाक़ातों में अपनो सी लगी , वो पहाड़ी लड़की। कैसा होगा हमसफर तुम्हारा, पूछता है ज़माना मुझसे, उनके सारे सवालों का जवाब है, वो पहाड़ी लड़की। पढ़ने की कोशिशों में हूं जिसे, एक बंद किताब है, वो पहाड़ी लड़की। भुला नहीं सकता उम्रभर जिसे, एक खूबसूरत एहसास है, वो पहाड़ी लड़की। लगा के काजल आंखों में निकलती है सर-ए-बाज़ार, कर देती है कड़ी दोपहर में में शाम, वो पहाड़ी लड़की। उसके नाम सी ही "शीतलता" है उसके लहज़े में , लब होते है खामोश, सिर्फ़ निगाहों से बात करती है, वो पहाड़ी लड़की। सुना है छुप जाता है चांद भी उसे देखकर बादलों में, जब बन संवर के घर से निकलती है, वो पहाड़ी लड़की। पंछी भी शांत होकर सुनते हैं उसे , जब गीत कोई गुनगुनाती है वो पहाड़ी लड़की। झील सी गहराई है उसकी उन आँखों में , ख़ुद में शहर की सारी वादियां समेटे है, वो पहाड़ी लड़की। बरस पड़ती है जमकर अक्सर काली घटाएं, जुल्फें जब हवा में लहराती है, वो पहाड़ी लड़की। सुना है वो पलके झुकाए तो शाम, उठाए तो सुबह , ख़ुद में सारी कायनात समेटे है , वो पहाड़ी लड़की l शायर हूं अदना सा मैं, क्या ही लिख सकता था , ख़ुद खुदा ने लिखा जिसे, एक खूबसूरत ग़ज़ल है , वो पहाड़ी लड़की। लोग पूछते हैं अक्सर उसके शहर को ना छोड़ पाने का सबब "शमी", हर पहर खींचती है मुझे अपनी तरफ, वो पहाड़ी लड़की। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #पहाड़ी_लड़की 💚