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गोवर्धन
ना 16 का डोला। ना 46की छाति घर में घुस के मारेगे बटा क्योंकि लोहार है हमारी जाती ©गोवर्धन लोहार
Ek villain
सरस्वती नदी को केंद्र में रखकर संपादित पुस्तक निरूपा सरस्वती के लोक कल्याण समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत ने अपने वक्त में भारतीय इतिहास को उसकी सत्यता पर गर्व पूर्व में उठाए गए सवालों का कटाक्ष किया उन्होंने अंग्रेजों की मनसा को रिटर्न करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने बताया कि भारत का ना तो कोई राणा गोरव है और ना ही धन गौरव वेद पुराण भंग के नशे में गए गीत भारतीय इतिहास को पोलका पीते हैं यह बताते हुए मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया कि भारतवर्ष की प्राचीनता और सनातन की सत्यता को स्थापित करना होगा इसके लिए विद्वानों और नई पीढ़ी को प्रमाण देना होगा कि इतिहास के पन्ने बदल दिए गए भाषा बदल दी गई है गुलामी के कालखंड में बदले हुए प्रमाण पर भाषा को ही प्राथमिकता दी है इसके लिए आवश्यक है कि स्थापित करने के लिए तैयार की जाए जो प्रमाणित करने वाले और उसके गौरव को स्थापित करने वालों को इस पर आगे बढ़ना ही होगा होनी चाहिए इसके बाद हत्या को महत्व देने से इतिहास को बदलता है शब्दों का चयन करता है तो उसकी अगर हम प्राचीन भारत को लिख रहे हैं होते हैं वार्ड के स्थान पर यदि जाति का प्रयोग कर देते हैं तो इससे अर्थ ही बदल जाता है प्राचीन भारतीय इतिहासकार लेखन में जब सेलिब्रेशन को केंद्र में रखकर लेखन किया गया तो इससे भारत के शब्दों के प्रयोग में पूरा प्रदेश से बदल दिया गया ©Ek villain #प्रमाणिक लेखन से छूटेगा कोहरा #Moon
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ओह दिनवा तोहरा घरवा से उठा ले जाईब..। कॉलगेटवा से दातावा घिसले बानी..। लालका लिपिस्टिक त लाली पॉप लागेलु..। ©all Indian song lover (Vikash Kumar) ओह दिनवा तोहरा घरवा से उठा
Ganesh Kumar Verma
आओ अंगीठी जलाए, कि कोहरा बहुत है। अपना सूरज उगाएं, कि कोहरा बहुत है। मटर के खेत देख आएं, कि कोहरा बहुत है। फुटबाल खेल आएं, कि कोहरा बहुत है। चलो दौड़ हम लगाएं, कि कोहरा बहुत है। या रजाई में लुकायें, कि कोहरा बहुत है, नहाएं या नं नहाएं, आज कोहरा बहुत है। ऑफिस जाएँ की नं जाएँ, आज कोहरा बहुत है। 💐सुप्रभात 💐 😃😃😃😃 क्रमशः.... मन की कलम से..... ©Ganesh Kumar Verma # मन की कलम से 💐कोहरा