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खामोशी और दस्तक
बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। ©खामोशी और दस्तक बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा।
kavi manish mann
इस संकट की घड़ी में मुझे अटल बिहारी बाजपेई जी की एक कविता याद आ रही है। कृपया कैप्शन में पढ़े🙏✍️✍️ बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना ह
Mr.Poet
बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना ह
Anit kumar kavi
रोशनी अंधकार को दूर कर ये उजियारा फैलाती है ये रोशनी जब होती है तो भटके को राह दिखाती है इसकी एक ही लौ मन को सम्बल देती ये रोशनी जब होती है तो भय सारे हर लेती है । रोशनी उजियारे का प्रतीक
pooja negi#
भले दियों के उजालों मे, जगमगाया हो पूरा देश... पर लोग अपने दिलो का अंधकार, फिर भी ना मिटा पाए.. पूजा नेगी #अंधकार
arvind bhanwra
#SolarEclipse2019 ज्यों सूरज को ग्रहण की काली छाया धूमिल कर सके कुछ समां मानिंद त्यों अंधकार भी क्षणिक है वजूद को ना सके हिला। अंधकार ।
utsav_advik_ranjan
छात्रों और मूल्यांकन की दयनीय स्थिति कोरोना वैश्विक महामारी से बाधित शैक्षणिक सत्र 2019-20 का विभिन्न बोर्डों के परिणाम धीरे-धीरे सभी राज्यों में लगभग आ चुके हैं. इस बार भी नए फ़ैशन के चलन के अनुरूप नंबरों का प्रसाद बच्चों के बीच खूब बंटा है. हरियाणा बोर्ड के टॉपर का प्राप्तांक शत प्रतिशत है. यही हाल सीबीएसई टॉपर का भी है, 600 में 600 अंक. जी हां, उत्तरपुस्तिका में कहीं भी कोई त्रुटि नहीं, रत्ती भर भी नहीं. सभी कसौटियों पर अव्वल, सभी विषयों में विद्वान. और विषय भी कैसे, अंग्रेजी, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र जैसे. भाषा में भी पारंगत, संस्कृत को तो जैसे नया जीवनदान दिया हो. हमें तो लगा था कि संस्कृत का कोई जानकार बचा हीं नहीं है भूतल पर. लेकिन हम इन ज्ञानीयों से वंचित थे. धन्य हो सीबीएसई का जिसने ऐसे बच्चे दिए हैं जिनका संस्कृत पर पकड़ महर्षि वाल्मीकि से भी बढ़िया है. आईसीएसई, और अन्य राज्य बोर्डों की भी स्थिति भिन्न नहीं है. और इन सब चीजों के मध्य कहीं यूपी बोर्ड भी है जहां हिंदी भाषी लोग सबसे ज्यादा हैं. यहाँ के नतीजे थोड़े हट के लेकिन शर्मिंदा करने वाले हैं. यहाँ के 8 लाख छात्र हिंदी में उत्तीर्ण हीं नहीं हो पाए हैं, और ये संख्या तो पिछले वर्ष 10 लाख थी. और रूह तो तब कांप उठती है जब ये पता चलता है कि वहां के लाखों छात्रों ने हिंदी विषय को चुना हीं नहीं. निश्चित तौर पर हमारे पैर जड़ों से काफी हद तक उखड़ चुके हैं. हम आधुनिक होने की चाह में बेशर्म बनते जा रहे हैं. अगर जल्द हीं भारत सरकार इन सब घटनाओ का संज्ञान नहीं लेती है, तो मेरा यकीन मानिए हालत बदत्तर होना अभी बचा है. ~उत्सव रंजन #अंधकार