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Parasram Arora
सूखी हुई घास को नमी देने वाली उस ओस क़ी नन्ही बूँद ने कभी धन्यता पाने क़ी अपेक्षा नही रखी क्योंकि वो जानती है कि अगले कुछ क्षणों मे सूरज अपनी प्रखर किरणों को भेजनें वाला हैऔर उस घास को फिर सुखा देगा उस ओस क़ी नन्ही बूँद क़ी नमी को पीकर तों वह किस मुँह से धन्यवाद पाने क़ीअपनी पात्रता सिद्ध करें.. क्योंकि अल्प समय के लिये सूखी घास को नमी देकर उसने कोई बड़ा उपकार का काम नही किया है ©Parasram Arora पात्रता
Parasram Arora
अतीत की दैदीप्यमान गाथा क़े किरदार थे राम कृष्ण मोहम्मद और इशू जिन्होंने अपने अपने युगों को संभाला था तराशा था ज्ञान और प्रेम का संदेश देकर ये संदेश दीया था क़ि जीवन का खजाना अकूत है इसकी गहराई अथाह है l अभी तुम स्वर्ग मे होने का तजुर्बा . यहां जीतेजी ले लो क्या पता मरने क़े बाद कोई स्वर्ग हो न हो पर कम से कम स्वर्ग मे रहने की पात्रता तो तुममें आ ही जायेगी # पात्रता.......
somnath gawade
वरिष्ठांचे व्हाट्सएप मेसेज फक्त पुढे फॉरवर्ड करणाऱ्यांना फॉरवर्ड अधिकारी म्हणायला हरकत नाही. 😂🤣 #फॉरवर्ड अधिकारी
SK Poetic
एक बार की बात है नारद जी को विवाह करने का मन हुआ।एक राजकुमारी का स्वयंवर हो रहा था।सभी राजा महाराजा स्वयंवर में आए हुए थे। नारद जी भी भाग लेने जा रहे थे ।उन्होंने सोचा कि स्वयंवर में जाने से पहले मैं विष्णु जी से मिलकर उन्हीं का रूप मांग लू।प्रभु दयालु है वह अपना रूप मुझे प्रदान कर देंगे।राजकुमारी स्वयंवर की माला मेरे गले में डाल देगी और वो मुझसे ही विवाह कर लेंगी।नारद जी यही सोचकर विष्णु जी के पास गए और उनसे उनके रूप की मांग कर दी।विष्णु जी ने उनसे कहा ठीक है जिसमें आप का कल्याण हो मैं वही करूंगा।उन्होंने अपना नरसिंह वाला रूप नारद जी को दे दिया। नारद जी फूले नहीं समा रहे थे। वह स्वयंवर में जाकर बैठ गए।राजकुमारी वरमाला लेकर घूमने लगी । नारद जी के पास से गुजरी तो उनका नरसिंह वाला रूप लेकर आगे बढ़ गई। राजकुमारी ने वरमाला दूसरे के गले में डाल दिया। नारद जी काफी दुखी हो गए।भगवान के पास गए और क्रोध में उन्होंने पूछा कि प्रभु आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?तब जाकर प्रभु ने उनसे कहा कि आपका कल्याण विवाह में नहीं था।आपको संसार का कल्याण करना हैं। इसलिए मैंने आपको वह रूप दिया था।दुनिया में कोई भी चीज उसी को मिलती है जो उसका अधिकारी होता। ©S Talks with Shubham Kumar अधिकारी #Krishna
Gurudeen Verma
शीर्षक - बूथ लेवल अधिकारी(बीएलओ) ---------------------------------------------------------------- (शेर)- नहीं कोई इन पर दया, यह कैसा कानून है। बीएलओ के रूप में इनका, करता हर कोई खून है।। नहीं कोई अधिकार इनको, पीड़ा अपनी सुनाने का गुलाम की तरह इनको काम लेना, सभी में जुनून है।। ----------------------------------------------------------------- नाम है बीएलओ, यानि बूथ लेवल अधिकारी। नहीं कोई अधिकार इनको,पिसे दुनिया सारी।। इनपे नहीं जुल्म करो। इनकी भी कदर करो।। नाम है बीएलओ,यानि-------------------------।। बना रखा है बैल कोल्हू का, बूथ लेवल अधिकारी को। डांट देता है हर कोई आकर, बूथ लेवल अधिकारी को।। नहीं मिलता सम्मान उनको, ताने देती दुनिया सारी। नाम है बीएलओ, यानि ----------------------------।। इनपे नहीं जुल्म करो,-----------------------------।। मतदान केंद्र पर सारी व्यवस्था, ये बीएलओ करते हैं। इनके संग व्यवहार सभी, बहुत बुरा ही करते हैं।। चुनावों में नहीं मिलती है, सुविधा इनको सरकारी। नाम है बीएलओ, यानि ----------------------------।। इनपे नहीं जुल्म करो,----------------------------।। नहीं कोई आजादी इनको, अपनी पीड़ा कहने में। इनके साथ है संघ सभी, बस राजनीति करने में।। हर कोई इनको कहता है, एक आफत और बीमारी। नाम है बीएलओ, यानि-------------------------।। इनपे नहीं जुल्म करो,--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #बूथ लेवल अधिकारी
Ek villain
धार्मिक कार्यक्रमों में पूजा शुरू करने से पहले कलश स्थापना की जाती है कलसा मिट्टी से लेकर धातु तक होता है कलश स्थापित करते समय प्रथम दृष्टि देख लिया जाता है कि कल शानदार से टूटा या गंदा तो नहीं है कल से यदि चटका हुआ या क्षेत्र युक्त होता तो उसमें रखा हुआ जल इस्तेमा रहकर बह जाएगा यदि अंदर का हिस्सा गंदा होगा तो कल से मैं जो जल भर जाएगा वह भी गंदा होकर रहेगा इससे अपेक्षित प्रयोजन सिद्ध नहीं हो सकेगा मनुष्य को भी पंच भौतिक तत्वों से निर्मित सरूपी को पवित्र और स्वच्छ रखना चाहिए जिस प्रकार टूटे-फूटे कल से मैं नहीं रह सकता है वैसे ही मनुष्य के शरीर यदि मानसिक विकारों के चलते स्वच्छ नहीं है तो प्राकृतिक से निरंतर निकलती कृपा से मैं पूरी तरह वंचित हो जाएगा सूर्य चंद्रमा आकाश तारों से तारों से निरंतर उर्जा निकल रही है इसलिए प्राकृतिक को मां और देवी की संज्ञा दी गई है जिस प्रकार मां संतान को अपनी दृष्टि चिंतन और परिश्रम से निरंतर शक्तिमान बनाती है वही काम पूरा कर दें कि लोग मां भी करती रहती है निरंतर प्रगति होती प्रकृति कृपा आशीर्वाद के लिए सुपात्र होना आवश्यक है सोनिया राजद की कलश क्यों ना हो यदि वह वर्षा ऋतु में पलट कर रखा जाए तो गाना बर्बरता भी बावजूद भरा नहीं सकेगा ©Ek villain #सो पात्रता #selflove