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Morgan malla (MAGICAL-INK(14❤19)
कन्या भ्रूण हत्या से बड़ा कोई पाप नही होता, इस सज़ा का कोई पच्छताप नही होता, जो लोग उजाड़ते है एक बेबस माँ की कोक , शायद उन लोगो को खुदा का भय नही होता।। #कन्या_भ्रूण_हत्या #कन्या_भ्रूण_हत्या_रोको #शान्ती #स्केट्च मेड बाई - मॉर्गन मल्ला #कार्टून स्केट्च आर्टिस्ट
Chandan Gusain
(पहाड़ी भुला और शहरो का भेजी) कनि के चलालो भेजी कनि के चलालो -2 अफी ता तुम रेन्दी दिल्ली देहरादूण भेजी कनि के चलालो-2 ह्मुखु बुना भेज पहाड़ी लूण भेजी कनि के चलालो -2 अफी ता तुम बस्या दिल्ली देहरादून भेजी कनि के चलालो। अफी ता तुम चोमीन पिजा खेकी बण्या लाल भेजी कनि के चलालो-2 ह्मुखु बुना पुनगोड्यू संभाल भेजी कनि के चलालो -2 कनि की चलालो भेजी कनि की चलालो अफी त तुम बस्या दिल्ली देहरादून भेजी कनि के चलालो अफी ता तुम साहब बण्या राल भेजी कन के चलालो-2 ह्मुखु बोल्दा कफल भेज लाल लाल भेजी कनि के चलालो-2 कनि के चलालो भेजी कनि के चलालो अफि ता तुम बस्या दिल्ली देहरादून भेजी कनि के चलालो अफी ता तुम घोर निऑण कई साल भेजी कनि के चलालो -2 ह्मुखु बुना कुड़ी धुरपाई संभाल भेजी कन के चलालो-2 अफी ता तुम बस्या दिल्ली देहरादून भेजी कन के चलालो अफी ता तुम बण्या माला माल भेजी कन के चलालो-2 मेरी गात में नि रई यख खाल भेजी कन के चलालो कन के चलालो भेजी कन के चलालो अफी ता तुम बस्या दिल्ली देहरादून भेजी कन के चलालो #कनि_के_चलालो_भेजी-
Shariq Taqi
मुझको तन्हाई अता हो या ख़ुदा। दिल नहीं लगता है बज़्म-ए-ग़ैर में। कनुप्रिया ©Shariq N Taqi कनु #lovebirds
जग..... जौरवाल
आज तो यार दिमाग में जंग ही लग गयी,तूझसे दूर जाने की वजह या तेरे पास ना आने की वजह। कन्फ्यूज
Anand Kumar Ashodhiya
कन्या भ्रूण हत्या हम हरियाणे के छोरे हैं, दूध के भरे बखोरे हैं शिक्षा दीक्षा माड़ी है, पर कोठी बँगला गाड़ी है खेती का अम्बार है, पैसे की भरमार है सारे ठाठ बाठ हैं, फिर भी बारह-बाट हैं बाकी सारी मौज़ है, पर कुंवारों की फ़ौज़ है समाज में सन्नाटा है, छोरियों का घाटा है छोरे सबने प्यारे हैं, सबके दुलारे हैं छोरी एक आँख भाती नहीं, माँ भी छोरी को ज़नाति नहीं सबने चाहिए छोरे वारिस, इसलिए छोरां की होती बारिश छोरियां का सूखा पड़ग्या, हरियाणे का रुक्का पड़ग्या छोरी कम, छोरे ज्यादा, इब कर लो वारिस पैदा छोरी पैदा होती नहीं, शादी म्हारी होती नहीं ज़िन्दगी झण्ड है , फिर भी हमने घमण्ड है कन्या भ्रूण हत्या यहाँ, रोज रोज होवै है मरी हुई इंसानियत, गफलत में सोवै है छोरियां की कमी के कारण, दुल्हन खरीदते हैं कोख में ही मार छोरी, अपणा ज़मीर बेचते हैं छोरे ऊँचे, छोरी नीची, दोयम दर्ज़ा देते हैं औरतों को मर्दों से, नीचा ही समझते हैं अब भी समय है, समझ जाओ, जाग जाओ घर में औरत को, बराबरी का दर्ज़ा दिलाओ औरतों को शिक्षित करो, कन्याओं को दीक्षित करो माँ, बहिन, बेटी बहू को, इज़्ज़त बख्शा करो कन्या भ्रूण हत्या रोको, कन्या की रक्षा करो फिर देखना हरियाणे में कैसी खुशियां छायेंगी मै हरियाणे की बेटी हूँ, कन्या गर्व से दोहराएंगी रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया कॉपीराइट © 2015-16 #कन्याभ्रूणहत्या #हिन्दीकविता
सुरेश चौधरी
आदिशंकराचार्य रचित कनकधारा स्त्रोत्र का हरिगीतिका छंद में अनुवाद , प्रिय स्व.चिदनानाद शुक्ल द्वारा। आज से एक कड़ी उनकी छंद बद्ध रचनाओं की उनको समर्पित ....... अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। हरि प्रीति पुलकित अंग ज्यूँ श्री अंग में जाकर पड़े ज्यूँ भ्रामरी कलियों में अलसित तरु तमालन जा अड़े धन धूरि धूसर जा के गृह ऐशर्वय जिन गृह दास है उन अम्ब की अविलम्ब दृष्टि आवें मो पर खास है कनकधारा श्लोक 1