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abhisri095
मैं, मैं हूँ सिर्फ और सिर्फ मैं कोई और नही... हो सके तो इस बात का बेहद एहतराम रखना।। #पहचान #पत्र...
DURGESH SRIVASTAV
(परिवार)किसी घर मै एक साथ रहना परिवार नहीं कहलाता बल्कि एक साथ जीना एक दूसरे को समझना और एक दूसरे कि परवाह करना परिवार कहलाता है ©DURGESH SRIVASTAV #Sawera # परिवार कि असली पहचान
Jyoti Mahajan
परिवार मेरी पहचान मेरे परिवार से है मेरे संस्कार मेरे परिवार से हैं मेरा अस्तित्व मेरे परिवार से है मेरी इज्ज़त और शान मेरे परिवार से है जो सीखा मैंने सब परिवार से है जीवन में हासिल किए मुकाम परिवार से अनुशासन का पालन सीखा परिवार से है सब्र धारण करना सीखा परिवार से है संघर्षों से लड़ना सीखा परिवार से है सपने बुनना और पूरे करना सीखा परिवार से है परिवार है तो आत्मविश्वास है परिवार से खुले रहते खुशियों के द्वार है परिवार ही मेरे जीवन का आधार है इसी से मेरी सब खुशियां साकार है मुझे हमेशा अपने परिवार पर मान हैं यही मेरी दुनिया और जहान है अकेले दम पर कोई महान नहीं बनता बड़ों का आशीर्वाद गर साथ है तो कोई हरा नहीं सकता मनभावन कविताएं आत्मविश्वास है परिवार से ©Jyoti Mahajan #परिवार #एक पहचान 🙏🙏 #Dussehra2021
nirzara prem prakash
सारी दुनियां मुझे पसन्द करे ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है मेरी। बस जो मेरे अपने हैं वो मुझे कभी नापसन्द न करें क्योंकि मेरी पुरी दुनियां तो वही हैं। love you mummy papa and my family 🥰🥰 ©Nirzara Prem Prakash मेरा परिवार मेरी पहचान भी और जान भी
Srk writes
एक दिन अपना पत्र मुझ पे नाज़िल हो गया,, 🤎 उस को पढ़ते ही मिरी सारी ख़ताएँ मर गईं ©Srk writes #पत्र,, प्रेम पत्र
Shubhada
पुन्हा एकदा भग्न तळ्याशी पाऊल हे अवघडते एकांतीचा सूर गवसण्या शब्द विणावे म्हणते मर्मसुखाचे लेवून अत्तर उत्तर का गहिवरते अभिलाषेच्या ओंजळीतली शब्द प्रभा थरथरते चांदणंवाटा शोधत जेव्हा प्रतिमेत कला बावरते ती प्रतिमा घेऊन ऊराशी निनावी पत्र लिहावे म्हणते शुभदा© पत्र
पूर्वार्थ
पत्र प्रेम भरा जब मैने उसे लिखा, उस कागज में उनका ही चेहरा दिखा, फिर याद आया उनका फंसाना, वो भूल गए हमें याद है वो मौसम सुहाना, लिखा की तुम बिन अधूरे है हम, तुम्हारी ही याद हमें हर रोज है आती, कभी तो जागते रहते है रातों को करवटें बदलकर, कभी आंखों में ही कट जाती है रातें, कभी दिल बहुत उदास होता है, जब तुम्हारा ही अहसास होता है, लाख रहें मेरे पास हरदम खोए रहते है, ये दिल तो सिर्फ़ तुम्हारे ही पास होता है, फूल खिलते है रोज बिन तेरे क्या सुगंध, तुम्हारे लिए ही शायद है उनमें सुगंध, ऋतु बदली मौसम बदला हम खुद न बदलपाएं, ये प्रेम की रीत है चलो हम ही इसे निभाएं, खुश तो हो तुम भी हमारा है क्या, रहना नित हंसते हुए इससे अच्छा क्या, हंसी तुम्हारी रोते को हंसा देती है, दुखियों के सब दर्द मिटा देती है, आंखे तो सच में बहुत ही प्यारी है, ये सिर्फ़ प्रेम बरसाने बाली है, चेहरा दिल को बहुत शुकून देता है, शून्य को भी शिखर कर देता है, पत्र नही ये दिल के जज्बात है, इस दिल के सबसे ख़ास ही आप है,, ©पूर्वार्थ #पत्र