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i am Voiceofdehati

असली है #अपना_गांव #प्रात:कालीन_सूर्य
#देहाती_बाबा #nature #photogrophy #yqsnatni
#voice_of_village

Gopal Dutt

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प्रात: प्रात कर प्राणी परम प्रकृति के सुख को,हर लेगी शीतल पवन प्राणी तेरे दुख को।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
17 - सात्विक त्याग

कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन।
संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।।
(गीता 18।9)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 4 - मनुष्य क्या कर सकता है? 'पशुपतिनाथ। मुझ अज्ञानीको मागे दिखाओ।' उस ठिगने किन्तु सुपुष्ट शरीर वृद्ध के नेत्र भर आये। उसके भव्य भाल पर कदाचित ही किसीने कभी चिन्ता की रेखा देखी हो। विपत्ति में भी हिमालय के समान अडिग यह गौरवर्ण छोटे नेत्र एवं कुछ चपटी नाक वाला नेपाली वीर आज कातर हो रहा है -'भगवान । मुझे कुछ नहीं सूझता कि क्या करूं। मनुष्य को तुम क्यों धर्मसंकट में डालते हो? तुम्हें पुकारना छोड़कर मनुष्य ऐसे समय में और क्या करे? तुम बताओ, म

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
4 - मनुष्य क्या कर सकता है?

'पशुपतिनाथ। मुझ अज्ञानीको मागे दिखाओ।' उस ठिगने किन्तु सुपुष्ट शरीर वृद्ध के नेत्र भर आये। उसके भव्य भाल पर कदाचित ही किसीने कभी चिन्ता की रेखा देखी हो। विपत्ति में भी हिमालय के समान अडिग यह गौरवर्ण छोटे नेत्र एवं कुछ चपटी नाक वाला नेपाली वीर आज कातर हो रहा है -'भगवान । मुझे कुछ नहीं सूझता कि क्या करूं। मनुष्य को तुम क्यों धर्मसंकट में डालते हो? तुम्हें पुकारना छोड़कर मनुष्य ऐसे समय में और क्या करे? तुम बताओ, म

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 39 - आम चूसते आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही। वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये। रात्रि में वृक्

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।।श्री हरिः।।
39 - आम चूसते

आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही।

वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये।

रात्रि में वृक्

Ankit pandey

उधार हूँ मैं- प्रात से प्रत्येक पल मैं मेघ के गढ़-गढ़ रहा हूँ प्रात की जो रात बीती उसमें अम्बर चढ़ रहा हूँ प्रात में थी निशा निष्ठुर, उसके संग कुछ खेलता मैं प्रात की जो बात बीती उसकी नीचे जड़ रहा हूँ, रैन के कुछ पोखरों में,माटी की कुछ कोपलों में बैन मीठे मधुर कोकिल के सुहाने सुन रहा हूँ #Poetry #Life #Love #Passion #Hindi #mylove #poem #writer #kavishala #hindikavita #hindinama #mylife #nojotopoem

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 उधार हूँ मैं-

प्रात से प्रत्येक पल मैं मेघ के गढ़-गढ़ रहा हूँ
प्रात की जो रात बीती उसमें अम्बर चढ़ रहा हूँ
प्रात में थी निशा निष्ठुर, उसके संग कुछ खेलता मैं
प्रात की जो बात बीती उसकी नीचे जड़ रहा हूँ,
रैन के कुछ पोखरों में,माटी की कुछ कोपलों में
बैन मीठे मधुर कोकिल के सुहाने सुन रहा हूँ
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