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Best नवनीतठाकुर Shayari, Status, Quotes, Stories

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नवनीत ठाकुर

White लबों से मोहब्बत की बातें तो बहुत करता है,
 पर देखना, आँखों से इश्क़ जताना आता भी है कि नहीं।

 वो बात-बात पर कसमों की सौगात तो देता है, 
पर देखना, वादों को निभाना आता भी है कि नहीं।

 तुम तो कर रहे हो जिस गाड़ी का इंतेज़ार, 
पहले ये तो पता करो कि ऐसी कोई गाड़ी आती भी है कि नहीं।

जो कहता है कि साथ निभाएगा उम्रभर, 
ज़रा देखो,वो राहों में ठहर पाता भी है कि नहीं।

हर कोई मोहब्बत का दावा तो कर जाता है, 
मगर दिल की दुनिया बसाना आता भी है कि नहीं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

इश्क़ वो दरिया है, जो बहता ही रहता है,
जिसे किनारों की फ़िक्र हो, वो डूब कहाँ पाता है।

अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो सब्र भी निभता है,
जिसे वक़्त परखना पड़े, वो प्यार कहाँ होता है!

ये सिर्फ़ लफ़्ज़ों का खेल नहीं, जज़्बात की दुनिया है,
हर कोई इश्क़ का दावेदार नहीं होता है।

जो हर मोड़ पे शक करे, उसे यक़ीं कहाँ मिलता,
जिसे चाहत निभानी हो, वो शिक़ायत कहाँ करता!

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

जो आंखों से छलका नहीं अब तक कभी, 
उस अश्क़ का मैख़ाना किसने देखा। 

तेरी यादों के साये में गुज़रती हैं रातें 
तेरे बिन कोई दिल का ठिकाना किसने देखा ।

ऐ साक़ी, तेरी नज़र से पिला दे मुझे ऐसा जाम
 कि फिर से होश में आना किसने देखा ।

 तेरी राहों में रखे हैं दिल के ये अरमान, 
कि हर मोड़ पे तेरा अफसाना किसने देखा ।

 जिसे दुनिया कहे फ़कत एक गुज़रती कहानी, 
वो मेरी आँखों का वीराना किसने देखा

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

जो ग़रीबों की बस्ती में रोशन न हो, 
ऐसा बिजली का इक जाल डाला रहे। 

जो कहे सच, वही सबसे ख़तरनाक , 
झूठ हर मोड़ पर हमसे आला रहे।

ख़्वाब महलों के सबको दिखाए मगर, 
उसकी तिज़ोरी पे ताला रहे।

बस सियासत का मीठा निवाला रहे,
भीड़ ढोलक रहे, राग सबसेआला रहे।

 वादे हों ऊँचे, हकीकत निचली, 
हर गली में नया इक हवाला रहे।

जिसको ईमानदारी ने भूखा रखा,
 वो सियासत के क़दमों में डाला रहे। 

हर ग़लत बात को भी सही कह सके, 
ऐसा हर एक बन्दा निराला रहे।
 
रंग बदलने की आदत हो जिसमें,
 ऐसा झूठा कोई मसाला रहे।

 क़ौम जलती रहे, वो तमाशा करे,
 और हाथों में सत्ता का प्याला रहे।

ये जो कुर्सी की बाज़ीगरी है यहाँ,
हर तरफ़ एक छल का उजाला रहे।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

किस्मत के सिक्के उछाले थे चाहतों ने,
 मगर हर दफ़ा बस ख़ाली ही पहलू निकलता।

 जो नाम था लिखा किसी के लबों पे कल तक,
 वही नाम अब अजनबी सा मचलता।

साँसों में थी कभी जिसकी ख़ुशबू बसी, 
अब उसी की यादों से दिल जलता।

 अधूरी मोहब्बत का अंज़ाम पूछ मत,
 हर रोज़ एक ख़्वाब राख सा बिखरता।

जो बातें कभी रूह तक थीं समाई,
 अब उनकी गूँज भी धुंधला सा चलता।

 सुकून था जिसका पहलू कभी,
 अब उसी की यादों में दिल मचलता।

दिल के आईने में वो तस्वीर अब भी है,
 मगर हर रोज़ धुंध का परदा सा पड़ता।

 कभी जो था दर्द का मरहम कोई, 
आज वही जख़्म बनकर उभरता।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

"ख़ुद को परखना न कभी इन निगाहों से," 
"हम जो चमके तो सूरज को भी जलाएंगे।"

"इतने हल्के मत लो हमें," 
"हम जो गिरे तो हवा निकल जाएगी।"
"सहते-सहते अब आदत सी है," 
"पर जो बरसे तो सज़ा निकल जाएगी।"

"आँधियों से कहो ज़ोर आज़मा लें,"
 "हम जो उठे तो दिशा बदल जाएगी।"
"शेर हैं, सिर्फ़ ख़ामोश बैठे हुए,"
 "गर दहाड़े तो सदा गूंज जाएगी।"

"गिर पड़े तो भी उठा देंगे ख़ुद को," 
"हम सहारे के नहीं, हौसले हैं हम।"
"भीख में मिलती नहीं रोशनी हमको," 
"अपनी मेहनत के चिराग़ों से जले हैं हम।"

"सर झुकाना हमें आया नहीं अब तक," 
"सिर्फ़ सच के ही तक़ाज़ों पे झुके हैं हम।"
"छीन ले वक़्त अगर रोटियाँ हाथों से,"
 "अपने लहू से भी पेट भर लेंगे हम।"

"जो भी आया हमें आज़माने यहाँ," 
"देखते ही देखता रह गया है हमको।"
 "अब भी ख़ामोश हैं तो सब्र का तक़ाज़ा है,"
 "वरना हर वार की गूँज गगन तक जाएगी।"

"'नवनीत' धूप में तपकर भी खड़े हैं,"
 "छाँव बेचेंगे नहीं, दरख़्त हैं हम।"

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

थक गए हो तो ज़रा देर ठहर जाओ ‘सफ़र’, 
क़ाफ़िला रुका तो मंज़र भी बदल जाएगा।

अभी जो काँटों से दामन उलझ जाता है,
 कल इन्हीं शाख़ों पे साया भी नज़र आएगा।

जो गिरा है अभी, हौसला रख ज़रा,
 ख़ुद यही वक़्त तुझे फिर से उठा लाएगा।

ज़ख़्म गहरे हैं मगर दर्द को मत रोक अभी, 
इक नई सुबह तिरी रूह को सहलाएगा।

हम तो दरिया थे मगर रेत पे बहना पड़ा, 
वक़्त बदलेगा तो रुख़ भी बदल जाएगा।

ज़िंदगी की हर इक चाल समझ आई मुझे,
 कोई रोता ही नहीं, वक़्त रुला जाएगा।

अंधेरों से घबराने की आदत मत डाल,
 रात गहरी है तो तारे भी चमक जाएँगे।

रास्ते मोड़ बदलते हैं, मगर याद रखो, 
जिसको मिट्टी में मिलाओगे, शजर होगी वही।

मैंने देखा है 'नवनीत' वक़्त की आँखों का हुनर,
 आज जो ख़्वाब है, हक़ीक़त में ढल जाएगा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

मसअला सिर्फ़ जीने का रह गया
 ज़िंदगी का कोई मक़सद कहाँ रहा

हर नए दौर की ये आदत रही
 कोई गिरता रहा, कोई चलता रहा

अब तो मज़हब भी तिजारत बन गया 
क़ौल बदला गया, दाम बढ़ता रहा

नाम मुफ़लिस का लिया सब ने 'नवनीत' 
पर फ़क़ीरों का चूल्हा भी जलता रहा

अब सियासत भी नफ़ासत से खेलती है 
सिर्फ़ चेहरा बदलता रहा, हाल रहता रहा

सच की महफ़िल में हमने ये देखा 
जो भी बोला, वो ख़तरे में रहता रहा

जिसको चाहा था हमने दुआओं में
 कल आज वही हाथ झटकता रहा

हमने सोचा कि मिट्टी का दिल होगा
 पर पत्थरों सा कोई टूटता रहा

इस तमाशे में शामिल सभी थे
 मगर हर कोई ख़ुद को बचाता रहा

 जो भी सच्चा था, वो तनहा रह गया
 झूठ वालों का सिक्का ही चलता रहा

इश्क़ वालों ने की थी इबादत 
मगर उनका सज्दा सरे-राह बिकता रहा

हमने हर मोड़ पे देखी हैं चालें नई 
शह भी मिलती रही, खेल चलता रहा

'नवनीत' इस दौर में सच बोल कर 
हम भी सोचें कि क्यूँ कर फँसता रहा

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

हर सवाली को जवाबी चाहिए
बस हमें ही सब्र दानी चाहिए

शैख़ महफ़िल में थे, तौबा हुई
सुबह फिर से इक कहानी चाहिए

इश्क़ वाले भी सियासत सीख लें
अब मुहब्बत को जुबानी चाहिए

शहर में आग लगी थी कल 'नवनीत'
आज फिर बस्ती पुरानी चाहिए

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर

नवनीत ठाकुर

रहगुज़र में कोई रुकता नहीं
अब मुसाफ़िर भी ठहरता नहीं

शैख़ का हुक़्म हुआ था 'सवाब'
पर निगाहों से उतरता नहीं

इश्क़ में हमने भी धक्के सहे
फिर भी ये दिल है कि डरता नहीं

हुक्मराँ रोज़ बदलते रहे
पर ये हालात सँवरता नहीं

'नवनीत' अब ये तमाशा देखो
जो भी गिरता है, बिखरता नहीं

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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