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Amit Singhal "Aseemit"

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Bharat Bhushan pathak

जि़ंदगी एक खुली किताब 
कभी अँधेरा तो
कभी आफ़ताब।

©Bharat Bhushan pathak #walkalone#आफ़ताब#जि़ंदगी#nojoto#nojotohindi

Simant Sharma

क्षितिज: वह स्थान जहां धरती और आकाश मिलतें हुए से प्रतीत होते हैं आफ़ताब: सूरज, सूर्य इल्तिजा: प्रार्थना, निवेदन सवाब: अच्छे कार्य का फल खुली किताब की तरह मुझे मिली है ज़िन्दगी... #खुलीकिताब #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #अनकहेअल्फ़ाज़

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इस तरह गुज़र रही है जिंदगी, खुली किताब की तरह
ढलता हूँ क्षितिज पे मद्धम हो कर, आफ़ताब की तरह
मुझे आरज़ू ना रही कुछ पाने की, ना खोने का डर हैं
बस इल्तिजा है, तुम्हें पाने की, किसी सवाब की तरह

 क्षितिज: वह स्थान जहां धरती और आकाश मिलतें हुए से प्रतीत होते हैं
आफ़ताब: सूरज, सूर्य
इल्तिजा: प्रार्थना, निवेदन
सवाब: अच्छे कार्य का फल

खुली किताब की तरह 
मुझे मिली है ज़िन्दगी...
#खुलीकिताब #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine

Satish Chandra

मेरे इश्क का उन्होनें कुछ ऐसे हिसाब किया

खुद को जलाकर उन्होने मुझे आफ़ताब किया । #आफ़ताब

#इश्क

#YQdidi

#YQbaba

Satish Chandra

कैसे कहूँ आप मेरे लिए आफ़ताब हो

सर से लेकर पाँव तक गुलशन-ए-गुलाब हो। #FreakySatty

#SattyShaayri

#YQdidi

#हिन्दी #ऊर्दू

Juhi Grover

जिस्म के तलबगार बहुत देखे, पत्थर होने को जी चाहता है,
रूह ही मर गई लोगों की, खुद की रूह मारने को जी चाहता है।

एहसास-ए-इश्क को जिस्म-फरोशी का नाम यों ही दे दिया,
प्यार, मोहब्बत, इश्क़ जैसे लफ़्जों को दफ़नाने को जी चाहता है,

नफ़रत का दिया नये ज़माने में रोशन होने का इशारा कर रहा है,
ज़िन्दगी का ज़िन्दगी से विश्वास देख, शमशान होने को जी चाहता है।

ज़िल्लतें ज़माने की बेइन्तहा यूँ सहन करनी मुश्किल होती जा रही है,
ज़िन्दगी से बेज़ार हो खुद ही खुद का क़त्ल करवाने को जी चाहता है।

कब तक यूँ ही तीरगी का मंज़र ज़माने का तआरुफ़ करवाता रहेगा,
बस अब जहाँ को आफ़ताब से मुखा़तिब करवाने को जी चाहता है।

चारों तरफ तन्हाई के मंजर का नज़ारा मौत सरेआम दिखाता है,
बर्बादियों का ज़िक्र छोड़ बर्बादियों से नज़र मिलाने को जी चाहता है।

भगवान् जाने कब थमेगी ये उभरती ग़लतफ़हमी की फैलती का़लिख,
अब तो मौत के अन्दर से गुज़र कर ज़िन्दगी होने को जी चाहता है। #cinemagraph
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