मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली।
पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं।
मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का।
अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का।
अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी।
जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी।
तुम जिसे कहते थे चतुराई,
देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई #Ocean#yqbaba#yqdidi#yqhindi#environmentday#loveenvironment