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Rajshree
hshhshsjsbbbbbbjkkb jjjsvsjskbjjjskkkbsiikjbs ©Rajshree #leavinghome #gharsedoor #Home #chhathpuja #chhat #bihar #goingaway
Deeksha Joshi
वो बचपन, वो यादें... वो दोस्तों से वादें.., वो अपनों का प्यार.. वो भाईयों का दुलार.., वो बहनों से झगड़े.. और उनके ही कपडे.., वो दादी की लोरी.. वो दादा जी की Story.., वो अपनी सी गलियाँ.. वहाँ फूलों की कलियाँ.., वो सड़कें , वो रस्ते .. वो शहर याद आता है.., आज भी मेरा.. मुझे घर याद आता है....!! "मुझे घर याद आता है" घर से दूर हो कर ही घर की अहमियत का एहसास होता है। Collab करें YQ Bhaijan के साथ। #yqbaba #ghar #bachpan
Sarika Tripathi
छोटी दीवाली इस लिए मानते हैं, क्यूंकि एक दिन में दिल नहीं भर पाते, और उनको घर की ओर भगाने के लिए, जो सोच रहे थे, इस बार घर नहीं जाते । छोटी दिवाली की बहुत सारी शुभकामनाएं 🙏 #deepawali #diwali #chotidiwali #ghar #gharsedoor #happydiwali
YourQuote Bhaijan
مجھے گھر یاد آتا ہے "मुझे घर याद आता है" घर से दूर हो कर ही घर की अहमियत का एहसास होता है। Collab करें YQ Bhaijan के साथ। #gharsedoor #collab
Chirag Joshi
घर से दूर रहकर समझ आया, चांद घर की छत से ही मामा लगता है ©Chirag Joshi #ghar #gharsedoor #GharKiYaad #Nojoto #nojothindi #hindi_shayari #Shayari
Brijesh Parmar
घर से दूर बहुत ही खुशनुमा वो सुबह थी और माँ के हाथ से बन रहे नाश्ते की खुश्बु उसको और भी खुशनुमा बना रही थी पापा चाय पीते पीते अखबार पढ़ रहे थे और माँ से मेरे बारे में कुछ पूछ रहे थे गहरी नींद में होते हुए भी मुझे ये सब एहसास हो रहा था अब जल्दी से उठकर मम्मी-पापा के साथ नाश्ता करना था तभी कुछ आवाज़ मेरे कानों में पड़ी और में उठ गया उठकर देखा तो ना घर था ना घरवाले थे और ना ही माँ के हाथ का नाश्ता अलार्म की आवाज़ थी जो मुझे ऑफिस जाने के लिए उठा रही थी क्योंकि में तो घर से दूर था...... ©Brijesh Parmar #gharsedoor #family #Darknight
Kundan Victorita
सबब गुरबत की ना पुछिए रब्त जब बिखर चुका है आरज़ी आसियां ढ़ूंढ़ने को ये दिल अब निकल चुका है ©Kundan Victorita #Life #Shayar #Shayari #gharsedoor #alonesoul
Supriya Kumari
होली आकर गुजर भी जाती है, और सुबह से रात चारदीवारी में कट जाती है पहले एक जमाना था जब रंगो में डूबे होकर भी, रंगो से बचने को छिपते थे और अब सामने गाल भी बढ़ा दे, तो गाल बेरंग ही रह जाते है पहले अपनों में भी अपनों को ढूंढते थे, खास गुलाल के लिए और अब तो जिन्हें अपना बोल रंग लगा दे वो बहाना ढूंढते है हम सच में बहुत बड़े हो गए है हम। पुआ - पकवान जिसे ना पूछते थे हम, अब तो लगता है बिसरी कहानी के कलाकार हो गए है एक जमाना था जब एक होली घर से दूर फिल्मी बनाना था और अब अरसा हो गया है, तब से घर की होली को तड़पता ये दिल सच में बहुत बड़े हो गए है हम। दो भांग की गोली मिल जाती ठंडाई में, चार दोस्त मिल जाते होली की शाम में यही अधूरी ख्वाहिश थी, जो पूरी करनी थी आने वाले जवानी के साल में और देखो भांग तो मिल भी गई, पर नशा चढ़ाने वाले यार ही नहीं सच में बहुत बड़े हो गए है हम। बुरा ना मानो होली है, कहकर सब पर रंग चढ़ाना था छोटे से घर में नहीं, बड़े मैदान में रंग जमाना था और देखो हर होली में दिल बुरा मान, कमरे में कैद है सच में बहुत बड़े हो गए है हम। थोड़ी बचपना फिर से ले आऊ वो, जिंदगी से अलग खुशी कि दौड़ पिचकारी संग लगाऊ अब ये ख्वाहिश फिर से जागती है, की अपनों को गुलाल फिर से लगाउ अब पर फिर से खुद के ख्वाहिश को समेत, सिमट जाते है हम हां सच में बहुत बड़े हो गए है हम। #holi #hapoyholi #gharsedoor #hindi