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"बादल बारिश, तितली भौंरे और हम-तुम!
जुगनू चांद सितारे सारे.. और हम-तुम!
दरिया साहिल,सहरा जंगल,सर्द हवा,
इश्क मुहब्बत के सब मारे.. और हम-तुम!
धुंध निगाहों में, मंज़िल खोई सी कहीं,
दर-दर फिरते वो बंजारे.. और हम-तुम!
मद्धम मद्धम जलता सूरज, शाम हसीं,
डूबते दरिया के वो किनारे.. और हम-तुम!
रस्मो-रि्वाज की दुनिया में सहमे सहमे,
टूटे-फूटे ख़्वाब हमारे..और हम-तुम!
ढूंढते फिरते इक दूजे को शहर-शहर,
रोते-गाते हंसते नज़ारे..और हम-तुम!
दर्द जुदाई, क़ुर्ब विसाल के ये लम्हे!
जलते बुझते ये अंगारे.. और हम-तुम!"