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दो-चार दिन शोक मनाओगे
 फिर अपने रास्ते अपने पैर बढ़ाओगे 
कौन किसके लिए कब रुका है
आखिर तो सबका ही सिर झुका है
 मुकद्दर को अपनी कौन लड़े 
वह देखो लाखों हैं खड़े 
अपनी लड़ाई लड़ते
 जिंदगी की मशगूल बातों में पड़ते 
भूल कर उस दरवाजे को
 जिस को पार करने को 
ना कोई है आतुर जाने को 
पर जानिब क्या कहिए
 बस देखते रह जाओगे 
दो-चार दिन शोक मनाओगे
 फिर अपने रास्ते ,अपने पैर बढाओगे। #मशगूल #मुकद्दर #शोक #बस #जानिब

Dr Parmod Sharma Prem

#जानिब @ डा० प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर #शायरी

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रोहित 'हीरू' मिश्रा

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Santosh Kumar Jamwal

ये भी क्या इन्साफ है उसका मेरे मौला तेरी जानिब से,
वो चूमकर माथा मेरा, मुझसे खफा होने का बदला लेती है।।

#जानिब #इन्साफ_और_बदला

Maroof alam

गजल/शायरी

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गजल

राह मे रूसवाईयों की जानिब
चलते रहे तनहाइयों की जानिब
सफर में जो भी साया मिला
सजदे किये परछाइयों की जानिब
वो उथले मे खोज रहा है
डूबा हूँ मैं गहराइयों की जानिब
जिन्होंने छोड़ा दर खुदा का
चले वो गुमराहियों की जानिब
ऐ मेहरबां मुझे आवाज न देना
लोटूंगा न कजराहियों की जानिब
ऐ रहबर कोई राह बता दे
उलझा हूँ मैं दोराहियों की जानिब
तूने हंसकर अंगड़ाई जो ली 'आलम'
झुक गये सब अंगड़ाईयों की जानिब

मारुफ आलम गजल/शायरी

Bajrangautam

प्रेम का पैरहन...... पैरहन = पोशाक, शब = रात, रकीब = शत्रु, जानिब =तरफ़, ओर, पैकर= आकार,रूप "प्रेम का पैरहन पहन के निकला था, तुम्हारे साथ मैं। और हां कई शब गुजारे है, तुम्हारे इंतज़ार में #कविता #nojotophoto #नफ़रत #bajrangbhagat #bajrangautam #aapkejazbaat

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 प्रेम का पैरहन......

पैरहन = पोशाक, शब = रात, रकीब = शत्रु, जानिब =तरफ़, ओर, पैकर= आकार,रूप

"प्रेम का पैरहन पहन के निकला था,
तुम्हारे साथ मैं।
और हां कई शब गुजारे है,
तुम्हारे इंतज़ार में

Mohammad Ibraheem Sultan Mirza

!!जहाँ देखो ज़माने में बगावत ही बगावत है!! !!मेरी जानिब चले आवो मेरी जानिब मुहब्बत है!! !!तुम्हें मालूम है दुनियाँ में रुसवा कौन होता है!! !!शराफत है शराफत है शराफत है शराफत है!! !! हमेशा ठोकरों से पेट भरता है गरीबों का! ! !!अमीर ए शहेर तेरे ज़र तेरी दौलत पे लानत है!!

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!!जहाँ  देखो  ज़माने में  बगावत  ही  बगावत है!! 
!!मेरी जानिब चले आवो मेरी जानिब मुहब्बत है!! 

!!तुम्हें  मालूम  है  दुनियाँ में रुसवा कौन होता है!! 
!!शराफत  है शराफत है  शराफत है  शराफत है!! 

!! हमेशा  ठोकरों  से  पेट  भरता  है  गरीबों  का! ! 
!!अमीर ए शहेर  तेरे ज़र  तेरी दौलत पे लानत है!! 

!! हमी  ने रास्ता  छोड़ा हमी  मंज़िल से  भटके हैं!! 
!!हमें तुझसे नहीं रहबर  हमें खुद से  शिकायत है!! 

!! जो  झूठा है  उसे  खामोश  रहेने  में  भलाई  है!! 
!!जो  सच्चा है उसे तो गुफ्तगू करने की आदत है!! 

!!उसे तो मुफलिसी हर दिन नये करतब दिखाती है!! 
!!जिसे  समझे थे  हम दरवेश  ये अहेले करामत है!! 
...

मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, !!जहाँ  देखो  ज़माने में  बगावत  ही  बगावत है!! 
!!मेरी जानिब चले आवो मेरी जानिब मुहब्बत है!! 

!!तुम्हें  मालूम  है  दुनियाँ में रुसवा कौन होता है!! 
!!शराफत  है शराफत है  शराफत है  शराफत है!! 

!! हमेशा  ठोकरों  से  पेट  भरता  है  गरीबों  का! ! 
!!अमीर ए शहेर  तेरे ज़र  तेरी दौलत पे लानत है!!

VIVEK GUPTA VG (AAZAAD PARINDA)

ये रास्ता उसी जानिब की तरफ जा रहा है
वो रोज़ मोहब्बत में झूठी कसमें खा रहा है

वो सोच रहा है की पुराना दौर लौट आएगा
वो फिर से अलमारियों में तोहफे सजा रहा है

बाज़ार के खेल में कीमत लगाई जाएगी तेरी
तू अब भी बिकने से क्यों इतना घबरा रहा है

इस जहाँ में सब दूसरे के दर्द का मज़ा लूटते हैं
हर किसी को क्यों तू अपनी तकलीफ सुना रहा है

सावन में छोटी छोटी शाखों पे नए फूल खिलते हैं
तू क्यों बार बार जंगल के पेड़ों में आग लगा रहा है। #ग़ज़ल
#मोहब्बत
#जानिब
#ज़िंदगी

SUSHANT KUMAR

#भटक रहा हूं दरबदर ना है कोई ठौर ठिकाना, इश्क के जानिब गवा बैठे हम अपना खाना पीना l तमन्ना थी संग जीने की, ना बन सका अफसाना, हम जिनसे आस लगाए थे, उनका बदल गया ठिकानाl अरमान सारे बिखर गए, छलक गया पैमाना, मोहब्बत की आरजू दिल मे लिए मैं बिखर गया दिवाना l भटक रहा हूं दरबदर ना कोई ठौर ठिकाना ,

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"आरजू-ए-इश्क मे अक्सर बवाल होता है, 
गंवाकर नींद रातों की, बुरा हाल होता है l
तमन्ना लिए वफा की , मोहब्बत की राहों मे भटकना होता है, 
हवस और जफा का साम्राज्य देख! मोहब्बत पे पछताना होता है l"

✍️✍️✍️✍️Read full in caption ✍️✍️✍️✍️ #भटक रहा हूं दरबदर ना है कोई ठौर ठिकाना,
इश्क के जानिब गवा बैठे हम अपना खाना पीना l

तमन्ना थी संग जीने की, ना बन सका अफसाना,
हम जिनसे आस लगाए थे, उनका बदल गया ठिकानाl
अरमान सारे बिखर गए, छलक गया पैमाना,
मोहब्बत की आरजू दिल मे लिए मैं बिखर गया दिवाना l
भटक रहा हूं दरबदर ना कोई ठौर ठिकाना ,

wishU

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मुझे उस जानिब की तलाश  है,
जो मेरे जानिब से जा कर मिलता है।।
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