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Deep bawara
नदीम साहब के बेगम के किस्से (13) कितना रोई थी नदीम साहब की बेगम जब उसकी सिल टूटी थी हां मगर मजे भी तो उसके बाद ही आए थे दुख और सुख दोनो एकसाथ आह,,, उसके बाद तो जैसे अनवर रोज रोज नदीम साहब के बेगम की ठुकाई करता वो अकेला तो नही था जो नदीम साहब के बेगम की ठुकाई किए लेकिन पहली ठुकाई में जो लहू बहा,,, वो उसे आज भी याद है,,, वैसा लहू फिर तो ना बहा नदीम के साथ तो कितनी बार उसने मजे किए लेकिन उससे तो नदीम साहब की बेगम को जैसे कभी मजे आए ही नहीं फिर,,, खून की तो बात ही बेकार,,, ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #restzone #नदीम #erotica
bheem vishawkarma(jigar)
Nadeem Hussain
क्या हुए आप को वो सारे वादे पूछती है जनता पूछती है जनता घोषणा पत्र में जिले की माँग पूछती है जनता पूछती है जनता मनेन्द्रगढ़ मेडिकल कॉलेज की कहा पूछती है जनता पूछती है जनता मनेन्द्रगढ़ कैंसर रिशर्च सेंटर कहा पूछती है जनता पूछती है जनता और कितने साल का होगा इंतजार पूछती है जनता पूछती है जनता - नदीम हुसैन मनेन्द्रगढ़ नगरवासियो से मेरा अनुरोध है कि नगर के विकास के लिए हमे एक जुट होना होगा चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल से हो #sunrays Sakshi Devangan #नदीम
मोहम्मद मुमताज़ हसन
बेबस हैं बेघर हैं परेशान हैं हम दाग़ दाग़ ज़मीं के निशान हैं हम आंखें हैं कहानी लब पानी पानी हाँ के मज़दूर हैं किसान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं परेशान हैं हम हाँ के मज़दूर हैं किसान हैं हम बीवी है भाई है छोटे बच्चे हैं ज़ख़्म हक़ीक़त दर्द सच्चे हैं मीलों चल रहे धूप में जल रहे रास्ता देदे आज बेजान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं परेशान हैं हम हाँ के मज़दूर हैं किसान हैं हम गुर्बत के मारे लोगों सड़क पे हैं लहू पीने वाले दाता फ़लक पे हैं सर पे बोझ उम्रभर की कमाई अपने जैसी लाशों पे हैरान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं परेशान हैं हम हाँ के मज़दूर हैं किसान हैं हम भीख कैसे लेते खानदानी खुद्दार थे माँ की दवा दो रोटी के तलबगार थे बहन को विदाई भाई को पढ़ाई देते सीने के अंदर तड़पते अरमान हैं हम बेबस हैं, बेघर हैं परेशान हैं हम हाँ के मज़दूर हैं किसान हैं हम ये क़यामत गुर्बत के साथ नयी नहीं ख़बर वालों तक ख़बर भी गयी नहीं बहुत शर्मिंदा हैं किस लिये ज़िंदा हैं बेवक़्त, बेदर्द वक़्त की दास्तान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं ...... कफ़न बाँध के चले हैं और चलना है मिट्टी में निकले गर दम निकलना है कभी आओ देखना मेज़बानी हमारी कितने अमीर दिल के सुल्तान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं ..... नहीं निकला देखने को घर से कोई कैसे रुसवा लौट रहा शहर से कोई बहुत नादाँ थे भोले भाले गाँव वाले ख़ुद भी ऐ उम्मीद लहूलुहान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं ...... तुमपे आये ये दिन तो सह न सकोगे महल वालों मेरे साथ रह न सकोगे मेले की ठेले की खेत की रेत की और तामीर में नदीम पहले उनवान हैं हम बेबस हैं बेघर हैं परेशान हैं हम हाँ के मज़दूर हैं,किसान हैं हम #नदीम हसन चमन सलमान रावि की रिपोर्ट देखकर । #मजदूर #🎤गीत
Nadeem Bin Parveen
"मुआशरे की तरक्की गर वाकई चाहते हो #नदीम बेटियों को #जहेज़ से ज़्यादा #तालीम दीजिए मुआशरा=समाज,
😍Deepmu_deepmu😍
नेटवर्क नहीं आ रहा ,भाई भी साथ हैं ,मंडे को आॅफिस से आने के बाद बात होगीं ,इस तरह नदीम ने अलविदा कहा । और शबा नें भी परेशान ना करते हुए बोल दिया , अल्लाह हाफिज़ ...! नदीम कभी इन्फोर्म नहीं करते थे की कहाँ हैं वो,शबा ने भी ना चाहते हुए अपना ली थी ,ये बात। मंडे को करीब 39 कालॅस ओर ढेरों मैसेज किए,नदीम ने नजरअंदाज किए। ये सिलसिला करीब 7 दिन चला , सोच भी नहीं सकते शबा की क्या हालत हुई होगी ,इन दिनों ।
Anjali Ani
मुश्किल थोड़ी आन पड़ी तो घबराने से क्या होगा..? जीने की तरकीब निकालो मर जाने से क्या होगा..? #नदीम साद #शायरी #उम्मीद