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Manaswin Manu
अवसाद को स्वीकारना ही आध्यात्म है इससे घबराना, घबरा कर लोग ढूंढना, रिश्ते बनाना यही बंधन है बंधन, कभी खुशी, कभी घुटन, कभी उत्सव, कभी स्मृति है खुशी, घुटन, उत्सव, स्मृति ये सब छलावे हैं छलावे नश्वर हैं और नश्वर हैं सारे प्रयास नश्वर हैं सारे प्रयास प्रयास प्रसिद्धि के, दायित्वों के निर्वहन के, अर्थोपर्जन के सारे प्रयास थकान हैं और थकान से मुक्ति का एक मात्र तरीका है अपने अवसाद को स्वीकारना ......................................................... अवसाद को स्वीकारना मुक्ति का मार्ग है पर इस मार्ग को मुश्किल बना देती हैं 'आशा' और 'प्रेरणा' आशा कि 'पराजय' और 'अवसाद' क्षणिक हैं, प्रेरणा कि तिमिर के उस पार कोई शाश्वत प्रकाश है, आशा भ्रम है और प्रेरणा है अपने अवसाद को स्वीकार न कर पाने वाले कमजोर कायरों की कविता प्रेरणा कविता है और ये कविता लाती है पैसा, प्रसिद्धि, रिश्ते, गर्व इत्यादि अन्य संसारिकताएं सांसारिकता मोह है मोह है मुक्ति का सनातन बैरी किंतु मुक्ति किस्से ? संसार से ? क्या हम स्वयं संसार नही ? तो स्वयं से और संसार से मुक्ति का उपाय क्या ? उपाय है ये देख पाना कि : संसार संधान है और मुक्ति साध्य । इस देख पाने के मार्ग में बाधक हैं, सारी प्रेरणाएं, सारी आशायें, सारे प्रयास जिनसे जन्म लेती है तृष्णा, भटकन और बन्धन प्रेरणा, आशा, प्रयास, तृष्णा, भटकन और बंधनों का गिर जाना ही है अवसाद सो अवसाद ही मुक्ति है अवसाद को स्वीकारना है स्वीकारना इस तथ्य को कि हम मुक्त हैं। ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #depression
Manaswin Manu
गंगा की अविरल निर्मलता और हरि-हरा का धाम हूँ मैं राम-लखन के झूले का हिलता डुलता विश्राम हूँ मैं रभ्या के तप की भूमि हूँ भावों का भावावेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं योग हूँ मैं, आरोग्य हूँ मैं जप, पूजा हूँ और ध्यान हूँ मैं सीधा, सुंदर और सहज, सरल गंगा आरती का गान हूँ मैं जगहित प्रभु ने विषपान किया शिव शंकर का संदेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ऋषिकेश हूँ मैं, ऋषिकेश हूँ मैं ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Rishikesh
Manaswin Manu
जब आर्यमा गुम हो निशा में हो तमस जब हर दिशा में रत्नाकर जब रो रहा हो भाग्य मेरा सो रहा हो हर तरफ जब हो उदासी देह घायल, नेह प्यासी कहीं भी कोई आश ना हो किसी पे जब विश्वाश ना हो तब भी तुम्हारा साथ होगा हाथों मे तुम्हारा हाथ होगा और धड़कन झूम कर के मुझसे यह कहती रहेगी ये वही है -- ये वही है ये ही है सदभाग्य तेरा ये है मन का मीत तेरा ये सनातन प्रीत तेरा ये हृदय का हर्ष तेरा ये ही है उत्कर्ष तेरा ये धड़कनों की सतसई है जो कमी थी, वो यही है है जो ये तो सब सही है ये वही है -- ये वही है ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Sristy #sristysinghvarid
Manaswin Manu
युग के आरंभ से अब तक किसी मनुष्य के हृदय में उत्पन्न प्रेम की सबसे गहरी और सच्ची भावना जैसी रही होगी तुम्हारे लिए मेरा प्यार वैसा ही है तुम्हारी सुंदर निश्चल आँखें और सीधी सच्ची बातें किसी पेशेवर झूठे को भी किसी मासूम बच्चे सा निर्मल कर देती हैं तो कहो मैं कैसे अपवाद रहता ? तुम्हारा प्यार, इनकार, गुस्सा सबकुछ स्वीकार है मुझे समय के अंत तक तुम्हारी प्रतीक्षा भी स्वीकार है किन्तु फिर भी एक उद्विग्नता है कि हम शीघ्र-अतिशीघ्र साथ आ जाएं ताकि इस छोटे - नश्वर जीवन मे तुम्हारे साथ थोड़ा अधिक समय बिता सकूँ ©Manaswin Manu #100Loveletters #Manaswin_Manu
Manaswin Manu
मैंने प्रेम में प्रतीक्षा की है और प्रतीक्षा के हर छन में मैंने तुमसे उतना प्यार किया है जितना किया जाता है एक पूरे युग में मेरी सारी समझदारी इस एक प्रश्न के आगे हार गई थी कि बेहतर क्या है सृष्टि में पाने योग्य जो कुछ है उन सबको पाना या बिना किसी आश्वाशन के केवल तुम्हारी प्रतीक्षा करना और बिना उत्तर जाने भी मैंने तुम्हारी प्रतीक्षा को चुना ©Manaswin Manu #100loveletters #letter1 #Manaswin_Manu
Manaswin Manu
Is anything around me real ? Do anything exist ? What if I reject all existence? The question comes "who is rejecting ?" My thoughts are rejecting. And "Who is thinking ?" Its me. So if I think, I am, I exit. (*Rene descartes*) I exist atleast as a thinking being. So my existence is certain. And existence of anything other then me, This sun, the moon, the earth, seasons, day & night, rivers and mountains, their existence is still questionable. But for me they exist. Because I can experience them. So if for me, my experience is the basis of existence of this universe. Then anything I say About this universe, Should be an absolute subjective truth. And all my thoughts, Should me my truth. Supported by the existence of this universe, Truth without exaggeration. So I am saying this, For you My friend, My love letter ,My sunflower. You exist for me And your existence Make the spring dance The rain sing The evening red And the nights dark The stars twinkle The moon smile You do this Just by existing. Just the fact that you exist makes this world a better place You make me a better human. Your existence inspires me to become better To become selfless To become loving And for this I will always love you I will always love us I love you ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Her
Manaswin Manu
चौदह भुवनों के जो स्वामी जो सकल सृष्टि के रक्षक है वो महाकाल वो महारुद्र वो जो दुर्गुण के भक्षक हैं चंद्र, सूर्य, और अग्नि तीनो हैं जिनके त्रिनयन बने वो विश्वरूप, वो रामेश्वर हर स्वास कि जिनका पवन बने वो नीलकंठ, वो गंगाधर शशिशेखर, औघड़दानी है वो शिव शम्भू, वो शर्भेश्वर डमरूधर, वो शूलपाणि है वो आदियोगी, वो आदिगुरु जग के कर्ता, जग के कारण वो त्रिपुरारी, पार्वतीपति जिनके भक्त स्वयं हैं नारायण वो पशुपति, वो भूतनाथ वो सबसे भोले भाले है कोई देव हो या कोई देवराज महादेव सभी से निराले है नंदी जिनके वाहन है जो ध्यान मगन सन्यासी है गले में सर्प, तन पर भभूत वो जो श्मशान निवासी है जो सगुन रूप में ध्यानी है निर्गुण हो खुद ध्यान रूप जो सबमे हैं, और कही नही वो शिव शाश्वत आनंद अनूप वो एकलिंग जिनकी पूजा में रत ये सारी सृष्टि है वो हवि, यज्ञमय, शून्य रूप जिनमे लीन समष्टि है हम हाथ जोड़ कर प्रभु तुम्हारी वंदना करें है वामदेव, पंचवक्त्र हम तुम्हारी अर्चना करें हे सामप्रियः स्वरमयी हे विरूपाक्ष त्रिनयन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #aadiyogi #shiv
Manaswin Manu
चौदह भुवनों के जो स्वामी जो सकल सृष्टि के रक्षक है वो महाकाल वो महारुद्र वो जो दुर्गुण के भक्षक हैं चंद्र, सूर्य, और अग्नि तीनो हैं जिनके त्रिनयन बने वो विश्वरूप, वो रामेश्वर हर स्वास कि जिनका पवन बने वो नीलकंठ, वो गंगाधर शशिशेखर, औघड़दानी है वो शिव शम्भू, वो शर्भेश्वर डमरूधर, वो शूलपाणि है वो आदियोगी, वो आदिगुरु जग के कर्ता, जग के कारण वो त्रिपुरारी, पार्वतीपति जिनके भक्त स्वयं हैं नारायण वो पशुपति, वो भूतनाथ वो सबसे भोले भाले है कोई देव हो या कोई देवराज महादेव सभी से निराले है नंदी जिनके वाहन है जो ध्यान मगन सन्यासी है गले में सर्प, तन पर भभूत वो जो श्मशान निवासी है जो सगुन रूप में ध्यानी है निर्गुण हो खुद ध्यान रूप जो सबमे हैं, और कही नही वो शिव शाश्वत आनंद अनूप वो एकलिंग जिनकी पूजा में रत ये सारी सृष्टि है वो हवि, यज्ञमय, शून्य रूप जिनमे लीन समष्टि है हम हाथ जोड़ कर प्रभु तुम्हारी वंदना करें है वामदेव, पंचवक्त्र हम तुम्हारी अर्चना करें हे सामप्रियः स्वरमयी हे विरूपाक्ष त्रिनयन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #shiv
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आँखों से आँसू सा, फिसलना हमारा मायूस होके शाम सा, ढलना हमारा प्यार देखा उसने, मेरा टूटना भी देखा देखा ही नही उसने, संभलना हमारा ये सच है जब गया वो, मन बहुत दुखी था जीवन था सूना सूना, दिल बहुत था रोया पर सोचता हूँ अब ये, जो पाया था ठीक था वो ? या ठीक ही हुआ जो, पाकर उसे है खोया देखा था उसने उसपर, मन मचलना हमारा देखा ही नही उसने, ये बदलना हमारा प्यार देखा उसने, मेरा टूटना भी देखा देखा ही नही उसने, संभालना हमारा ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #mentalHealth
Manaswin Manu
मन तुम्हारे संग लगा था अब कहीं लगना कठिन है तुम बिना रोना कठिन है तुम बिना हँसना कठिन है मन ने देखे थे सुनहरे स्वप्न कुछ तुमसे मिलन के स्वप्न टूटे है तो अब फिर तुम बिना सोना कठिन है तुम बिन जगना कठिन है तुम जो मुझको भाग्य रेखा से परे जाकर मिले थे जब तप्त अधरों की छुवन से नेह के पाटल खिले थे उस एक अनुभव के सहारे भाग्य को छलना कठिन है है अलग राहें हमारी साथ अब चलना कठिन है मैं गगन हूँ तारिकाएं है बहुत तुम एक चंदा तुम अलग कुछ यूँ हुए ज्यों गगन से चाँद टूटे कल्पना भी जिसकी न थी वो ही अनहोनी हुई है कब गगन ने यह था सोचा जो अभी घटना घटी है अब तिमिर है, कालिमा है जंग जीवन मे छिड़ी है एक सन्नाटा है बिखरा पास में कोई नही है पर व्यथा यह दो घड़ी की अंत मे सब ठीक होगा फिर नई आशा मिलेगी फिर नया उतसाह होगा सुख हो या हो दुख सभी का एक सच मैंने है जाना कोई न चिर साथी बनेगा दोनों को है बीत जाना जानता हूँ पर जानकर भी है कठिन यह मान पाना प्रेम का दुख जब मिले तो ज्ञान का पलना कठिन है आशा के दीपक से विरह की रात का ढलना कठिन है ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #Light