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Raj Shekhar Kumar
काम है ज्यादा और मेहनताना कम है किसे बताएँ,कितने मुश्किल में हम है इस प्राइवेट नौकरी का हाल न पूछो यहाँ पैसा ही ख़ुशी है और यही गम है कबसे ख़ून चूसा जा रहा है मजदूरों का इनके लिए सरकार बस बनाती नियम है मेरे जेब का वज़न डराता है मुझे,क्योंकि घर जाना है,त्यौहारों का मौसम है इस तन्हा शहर में तन्हाई से बचा देती है इस मुफ़लिस के पास जो कलम है #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan#मजदूर#मुफ़लिस
Mukesh Rahi
साहेब याद रखना अपने घरों में अंधेरा कर के हमने ये चिराग जलाया है #राही #चिराग #मुफ़लिस Ritika suryavanshi Suman Zaniyan Neetu_$harmA❤POete$$✒ सार (एक एहसास) Gauri Gupta
Ak Amit Rajak
बच्चे की फुलझड़ी रह गई आधा किलो मिठाई कई सपनों को बेचकर मुफ़लिस की रोटी आई बच्चे की फुलझड़ी रह गई आधा किलो मिठाई कई सपनों को बेचकर #मुफ़लिस की रोटी आई
Rafik Diwan
वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था, गाना बजाने गलियों में उसकी, मेरा आना जाना था। ऐसे ही क़भी हम राहों में, एक दूजे से टकरा ही गए,, कितना खुशनुमा उसका मुझसे, मेरा उससे नैना का टकराना था।। वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था।। चाहत नही थी उसको, जैसे खेल कोई पुराना था, वक़्त रहते मैंने क़भी भी, उसको नही पहचाना था। वो तो थी इस दुनियाँ में, मुझ मुफ़लिस की सारी दुनियाँ,, उसकी नज़र में मुझसे पहले, शायद सारा ही ज़माना था।। वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था।। होगी जुदाई में इश्क़ यारो, इस बात से मैं अनजाना था, क़िस्मत ने भी कितना कठिन, लिखा दर्द का अफसाना था। हकीकत सोच भागा किया मैं, जिसके पीछे उम्रभर,, सच्चाई नही कोई "रफ़ीक़", प्यार का इक फ़साना था।। वो महलो की रानी थीं, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था,, गाना बजाने गलियों उसकी, मेरा आना जाना था।। #Nashad💔👉👀 Diya A. S. Shivam-The Untold S
DINESH SHARMA
#OpenPoetry प्यार का संदेश देने वालों का नाम पत्थरो पे खुदा मिला लहू का रंग एक है ,कब किसी का किसी से जुदा मिला मुफ़लिसों में रोटियां बांटकर खाने से ही मिलता है ख़ुदा बेजुबान की कुर्बानी से क्या कभी किसी से ख़ुदा मिला ©दिनेश शर्मा 08.08.2019, 06:00 AM #मुफ़लिस #कुर्बानी #लहू #प्यार
Jahnvee
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाता हूँ बेशक़ मुफ़लिस हूं लेकिन ग़ैरतमंद हूँ किसी के आगे झोली नहीं फैलाता हूँ घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ #मुफ़लिस #nojotourdu #nojotohindi #nojoto
!~ kh@n
जनाब.. जाने कौन सी दुआ लग जाये दिल को, दर पे आये मुफ़लिस को कुछ दिया करो (मुफ़लिस .. ग़रीब, निर्घन) 🤗क्या समझे❓
Aditya Kaushik
कुछ बातों पर रुला दिया कुछ एक पर हंसा दिया वो सौदागर ज़ालिम ही था मेरे घर का सौदा करा दिया था मीठा-मीठा सा ज़हर प्यार कह कर पिला दिया कुछ रोज़ तुझसे बातें की इक रोज़ उसने मना लिया कुछ बदगुमानी थी तेरी कुछ इश्क़ मेरा लाचार सा मेरी मोहब्बत का भी पर क्या खूब किस्सा बना दिया रूहों का वो सिलसिला जो था तेरे मेरे दरमियाँ क्यों वो करीब आया तो ये शख़्स तूने भुला दिया मैं तो मुफ़लिस था ही पर मेरा इश्क़ भी फ़ीका ही था मेरी क़ुरबतों का हर निशां दो चार दिन में मिटा दिया --बदगुमानी(शक़, distrustfulness) --मुफ़लिस( ग़रीब, Poor) कुछ बातों पर रुला दिया कुछ एक पर हंसा दिया वो सौदागर ज़ालिम ही था मेरे घर का सौदा करा दिया
Rajesh Raana
कौन कौन किस कारस्तानी में है , सब कुछ मेरी निगेहबानी में है । किसी दिन काट सरहद पर सर्द रात, पता चले खूं तेरा कितना रवानी में है । तुम यूँ न जाओ अधूरा किस्सा सुनकर , किरदार मेरा आना अभी कहानी में है। पानी पीकर भी गुजारा करते है मुफ़लिस, पता करो तो जरा , क्या दूध पानी में है । लोग मुझसे जरा फासले से ही मिलते है , थोड़ा अंदाज़-ए-तल्खी मेरी बयानी में है। - राणा © कौन कौन किस #कारस्तानी में है , सब कुछ मेरी #निगेहबानी में है । किसी दिन काट #सरहद पर #सर्द #रात, पता चले #खूं तेरा कितना #रवानी में है । तुम यूँ न जाओ अधूरा #किस्सा सुनकर , #किरदार मेरा आना अभी #कहानी में है।
Subrat Anand
मशरूफ हो कभी तो कुछ पल सही मुफ़लिस बन देख आना, सुना है तपा कर आग में खुद को उनकी रोटियाँ पकती है...!! मशरूफ हो कभी तो कुछ पल सही मुफ़लिस बन देख आना, सुना है तपा कर आग में खुद को उनकी रोटियाँ पकती है...!! #मशरूफ #आराम #मुफ़लिस #गरीब #subrat #nojotohindi #nojoto #nojotonews #kavishala #2liner