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Best ढूँढता Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ankit

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सौरभ अश्क

अब मुहब्बत भला कौन करता है

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Revenge हमारीं हँसी में भी वो अक्स ढूँढता हैं
कितना पागल है मुहब्बत में घर ढूँढता है

जमीं बाँट कर चैन की खोज में चला था
भला माँ को बेच कौन सा खुशी ढूँढता है

वो यतीम था तो कुदरत ने जन्नत आता की
अब कौन जन्नत में यहाँ गुजर बशर करता है

तुम यूँ ही उसके सदमें में बर्बाद हो अश्क
भला जख्म पर यहाँ कौन ऐतबार करता है 

घर बसा लिया है अपना अजनबी के साथ
अपनों से यहाँ कौन रिश्ता तय करता है अब मुहब्बत भला कौन करता है

V.k.Viraz

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तन्हाईयाँ मुझे ढूँढती हैं

मैं तन्हाइयों को ढूँढता हूँ।

कुछ इस तरह अंधरों में मै

परछाइयों को ढूँढता हूँ।

Qalb

#sukun

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कभी यादों में किस्से, किस्सों में तुम्हारी बात ढूँढता हूँ

कभी ढूँढता हूँ रात में सुकून, कभी सुकून में रात ढूँढता हूँ... #Sukun

अंदाज़ ए बयाँ...

रावणों के दौर में क्यों राम ढूँढता है, ईर्ष्या की जलती धूप में छाँव ढूँढता है, नहीं मिलता न्याय ग़रीबों को माँगकर, स्वार्थ के बाज़ार में क्यों काम ढूँढता है। चाहे जो सम्मान तो कुछ ऐसे कर्म कर, गर्व हो भगवान को इंसानी धर्म पर, अंत में रुकसत तू जो हो इस जहान से, दुश्मन भी दे दुआएं तुझे झोलियाँ भरकर।

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अंकुश

रावणों के दौर में क्यों राम ढूँढता है,
ईर्ष्या की जलती धूप में छाँव ढूँढता है,
नहीं मिलता न्याय ग़रीबों को माँगकर,
स्वार्थ के बाज़ार में क्यों काम ढूँढता है।

चाहे जो सम्मान तो कुछ ऐसे कर्म कर,
गर्व हो भगवान को इंसानी धर्म पर,
अंत में रुकसत तू जो हो इस जहान से,
दुश्मन भी दे दुआएं तुझे झोलियाँ भरकर।

रविकुमार... रावणों के दौर में क्यों राम ढूँढता है,
ईर्ष्या की जलती धूप में छाँव ढूँढता है,
नहीं मिलता न्याय ग़रीबों को माँगकर,
स्वार्थ के बाज़ार में क्यों काम ढूँढता है।
चाहे जो सम्मान तो कुछ ऐसे कर्म कर,
गर्व हो भगवान को इंसानी धर्म पर,
अंत में रुकसत तू जो हो इस जहान से,
दुश्मन भी दे दुआएं तुझे झोलियाँ भरकर।

Ajay Kumar

#poem

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बिना  कुछ  किए, बिना  कुछ  कहे 
जब  लोगों  की  नजरों  में  बुरा  बन  जाता  हूँ 
तब  खुद  को  ढूँढता   हूँ 
कभी  कभी  अपने  ही  आप  में  जब  उलझा  हुआ  होता  हूँ 
तब  खुद  को  ढूँढता  हूँ 
जब  किये  हुए  गलतियों  और  गवायें  हुए  मौकों  का  खामियाजा भुगतता हूँ 
तब  खुद  को  ढूँढता  हूँ 
अपने  स्वार्थ के  लिए  लोगों  को  जब  भीड़  में  भागते  हुए  देखता हूँ 
तब  खुद  को  ढूँढता  हूँ

Mirza

आकर शहर में गाँव ढूँढता है वो , काट कर पेड़ों को छाँव ढूँढता है वो । #story

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2 Years of Nojoto आकर शहर में गाँव ढूँढता है वो , काट कर पेड़ों को छाँव ढूँढता है वो । आकर शहर में गाँव ढूँढता है वो , काट कर पेड़ों को छाँव ढूँढता है वो ।

Ajaz Ahmad

मेरी खता थी कि मैं ढूँढता रहा उसे गली-गली,
               शायद खुद में ढूँढता तो पा जाता।

मेरी ख़ता थी कि मैं लबे-ए-इज़हार न कर सका,
                       शायद कर देता तो पा जाता।

मेरी खता थी कि मैं इश्क़-ए-इन्तेहा करता रहा,
              शायद बेइन्तहा करता तो पा जाता।

मेरी खता थी कि मैं अजनबी से था उसके रूबरू,
                   शायद हमनशीं होता तो पा जाता।

मेरी खता थी कि मैं माँगता रहा लोगो से,
         शायद रब से माँगता तो पा जाता।

~एजाज़ अहमद #मेरी #ख़ता

Mishra Ji Saurabh Shekhar

बहुत दूर हूँ अब, मैं अपने शहर से 
बिछड़ जो गया वो शहर ढूँढता हूँ
वो गलियाँ, वो साथी, वो बचपन की यादें
सुबह, शाम, दिन, दोपहर ढूँढता हूँ
कहानी, वो किस्से, वो परियों की बातें
सुना दे कोई, ऐसा दर ढूँढता हूँ
बिताए थे जिसमें वो, बचपन के लम्हे
जो बिखरा हुआ है, मैं वो घर ढूँढता हूँ #NojotoQuote #घर
#बचपन
#बचपन_की_यादें
#मेरा_शहर

Sakshi

Face depicts many things, It's up on You that how you Take these things & how you React. #Quotes

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ये चेहरा 
ये चेहरा सबब ढूँढता हैै,
तेरे होने की कशिश ढूँढता है;
ये चेहरा छिपाता बहुत है,
ये चेहरा जताता भी बहुत है;
गर तुम समझो तो | Face depicts many things, It's up on You that how you Take these things & how you React.
#Quotes
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