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"क्या कहेंगे लोग, हमेशा तुम्हें इस बात का ग़म रहा हैं
तुमनें सही कहा कि सब तुमनें ही तो दिया है मुझे
मैं वापिस कर दूगीं तुम्हें .....वो सारी मुस्कुराहटें,
वो सारी यादें, वो ढेर सारा प्रेम,अथाह विश्वास ,
जो तुमनें मुझे कभी उधार दिया था...
हाँ ये सच है कि मैं...उन्हें अपना मान बैठी थी
क्योकि ख़ुद को तुमसे अलग कहाँ समझा था....
मगर तुमनें मेरी हर चीज़ का हिसाब किया,
मुझसे जवाब माँगे ,उन रातों के,उन करवटों के
जो मैंने तुम्हारें प्रेम के ही इंतिज़ार में बिताई थी,
लेकिन अब तुमसे कोई शिकायत नहीं है मुझे
क्योकि मैंने कुछ भी तुम्हारा दिया अपने पास
नहीँ रखा..."