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"पूनम की चांद का अनुपम तेज, मुख में निर्मल वाणी है
दिव्य ज्ञान की ज्योति तुझमें, महिमा अगम बखानी है
सुर ताल लय तुझसे मैया, कंठ में तुझसे वाणी है
तुझसे ही साधु परमात्मा संग चतुर और ज्ञानी है
मुख से जाती नहीं बखानी, महिमा अपरंपार है मैया
वेद पुराण का ज्ञान समेटे जग में तू विख्यात है मैया
कमल पुष्प के आसन पर सदा तेरा आवास है मैया
श्वेत वस्त्र धारण करती है, पग मे नूपुर झंकार है मैया
मयूर हंस की तेरी सवारी, शोभा अपरंपार है मैया
कर में वीणा लेकर करती सरगम का संचार हे मैया
अनुपम गहनों से अलंकृत, दिव्य तेरा श्रृंगार है मैया
अनुपम शोभा से भी अतिशय चमके तेरा ज्ञान रे मैया
कण कण में निर्मलता तेरी, ज्ञान का तू भंडार है मैया
सकल विश्व की बाधा हरती, सब करती साकार हे मैया
तुझसे ही बुद्धि विवेक संग ज्ञान का विस्तार है मैया
द्वंद क्लेश तू सदा मिटाती, करती दूर अंधकार रे मैया
तू हरती अपने शिष्यों के, मन का हर संताप हे मैया
भक्ति में तेरी अनुपम शक्ति, दिव्य तेरा प्रताप है मैया
मैं बालक तू माता मोरी, मैं तो हूं नादान रे मैया
हर ले मेरा अंधकार तू , दे दे आशीर्वाद हे मैया
ज्ञान बिना कुछ नहीं है संभव धर्म-कर्म सम्मान रे मैया
तेरी अलौकिक शक्ति से ही जग का है उद्धार रे मैया
सूर्य चंद्र की तेज तुझी में, मौसम सदाबहार है मैया
तू ही करुणा तू ही शक्ति, तू ही विद्या तू ही मुक्ति
तुझसे ही अनुराग है मैया
, तू ही आशा तू ही कृति तू ही वैभव तू ही तृप्ति
तुझमें लय संसार है मैया
अवसान तिमिर का करती हो, दिव्य तेरा गुणगान है मैया
शिष्यों को सही राह दिखाती, तेरी जय जयकार है मैया
©✍️verma priya"