#law#justis जो नज़र बंधा है ,उसकी नज़र में सब बराबर हैं
जो तराज़ू एक ओर झुकी है, उस पे सब बारबार है
झुठ, सच, ईमान, बेईमान सब बराबर हैं
काला, सफ़ेद, लाल, हरा सब बराबर है
जिस पे टिक्की सब की आख़री,आश सब बराबर हैं
यह #इंसाफ के मंदिर में, क्या इंसाफ बराबर है ??
-Azad ताहिर #विचार