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Shivam Tiwari

इक #हिन्दू की गद्दारी से,
#चित्तौड़ हुआ #शर्मिंदा था।

जब #रणभेरी थी #दक्खिन में,
और #मृत्यु फिरे मतवाली सी,

और वीर #शिवा की तलवारें,
भरती थीं खप्पर #काली सी।

किस #म्लेच्छ में रहा जोर,
जो #छत्रपती को झुका पाया,

ये #जयसिंह का ही रहा द्रोह,
जो वीर #शिवा को पकड़ लाया।

गैरों को हम क्योंकर कोसें,
अपने ही #विष बोते हैं,

#कुत्तों की गद्दारी से,
#मृगराज पराजित होते हैं।

#बापू जी के मौन से हमने
#भगत सिंह को खोया है,

धीरे हॉर्न बजा रे पगले,
देश का हिन्दू सोया है ।

©Shivam Tiwari #Winters

Shivam Tiwari

इतिहास गवाह है हमेशा किले के दरवाज़े अंदर से ही खोले गए है।
 #शिवाजी की शमशीरें,
#जयसिंह ने ही रोकी थीं,

#पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,
#जयचंदों नें भोंकी थी ।

#हल्दीघाटी में बहा लहू,
शर्मिंदा करता पानी को,

#राणा_प्रताप सिर काट काट,
करता था भेंट भवानी को।

#राणा रण में उन्मत्त हुआ,
#अकबर की ओर चला चढ़ के,

#अकबर के #प्राण बचाने को,
तब #मान_सिंह आया बढ़ के।

इक #राजपूत के कारण ही,
तब वंश #मुगलिया जिंदा था,

©Shivam Tiwari #Silence

महेन्द्र

🚩🇮🇳⚔️🏹 *इतिहास गवाह है हमेशा किले के दरवाज़े अंदर से ही खोले गए है।*

 #शिवाजी की शमशीरें,
#जयसिंह ने ही रोकी थीं,

#पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,
#जयचंदों नें भोंकी थी ।

#हल्दीघाटी में बहा लहू,
शर्मिंदा करता पानी को,

#राणा_प्रताप सिर काट काट,
करता था भेंट भवानी को।

#राणा रण में उन्मत्त हुआ,
#अकबर की ओर चला चढ़ के,

#अकबर के #प्राण बचाने को,
तब #मान_सिंह आया बढ़ के।

इक #राजपूत के कारण ही,
तब वंश #मुगलिया जिंदा था,

इक #हिन्दू की गद्दारी से,
#चित्तौड़ हुआ #शर्मिंदा था।

जब #रणभेरी थी #दक्खिन में,
और #मृत्यु फिरे मतवाली सी,

और वीर #शिवा की तलवारें,
भरती थीं खप्पर #काली सी।

किस #म्लेच्छ में रहा जोर,
जो #छत्रपती को झुका पाया,

ये #जयसिंह का ही रहा द्रोह,
जो वीर #शिवा को पकड़ लाया।

गैरों को हम क्योंकर कोसें,
अपने ही #विष बोते हैं,

#कुत्तों की गद्दारी से,
#मृगराज पराजित होते हैं।

#बापू जी के मौन से हमने
#भगत सिंह को खोया है,

धीरे हॉर्न बजा रे पगले,
देश का हिन्दू सोया है ।

जय श्री राम🚩🚩🚩🚩
🚩🇮🇳

©Mahendra Kumar #Dark

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
2 - शरण या कृपा?

'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के #Books

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|| श्री हरि: ||
2 - शरण या कृपा?

'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के


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