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A. Ruhan

Media #aRuhan #शायरी

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Breaking news यह नस्ल कुछ यकिनन, टुकड़ाखोर लगती है।
इतने लाचार कभी, रीढ़वाले इंसान नहीं होते।

यही आसपास लगता है, रूह बिकती होगी।
वरना प्राइम टाइम के शो, यूं बेइमान नहीं होते।

©A. Ruhan Media #aRuhan

A. Ruhan

सब के लिए अच्छा होना,
यहां अच्छा नहीं होता।

अच्छे लोगों के साथ,
अक्सर अच्छा नहीं होता।

#Ruhaan #aachha

#aRuhan

A. Ruhan

आलीशान मेज लगाकर, 
उसपे फ़कीरी रची है।

लाखों के कुर्ते पहनकर, 
ग़रीब को ग़रीबी बेची है।

#Ruhaan #garibi

#aRuhan

A. Ruhan

अब मेरी पैरवी करने, चाकर बच्चा बहुत हुआ हैं।

मेरी फ़कीरी दिखाने में, मेरा ख़र्चा बहुत हुआ हैं।

A. Ruhaan #फ़क़िरी #aRuhan

A. Ruhan

मेरी मजबूरी को हथियार बनाके,
 वो मुझपे चलातीं रहीं।

ज़ख्म इससे भरते नहीं ये सोच कर,
 हम दवा बदलते रहे।

A. Ruhaan #मजबूर #aRuhan

A. Ruhan

#Worldsmileday मेरी खुशी को देखकर तू अंदाजा ना लगा।

ज़ख्मों की कब्र पर यह मुस्कान खिली है।

A. Ruhaan #Smile #aRuhan

A. Ruhan

यह कौन सी नई बात है?, निगेटिव लोग अच्छे नहीं होते।
सच है! निगेटिव सोच से, कभी कोई सपने सच्चे नहीं होते।

पर एक बात यहां हुज़ूर, आपको जरूर माननी पड़ेगी
सच तो सिर्फ़ सच रहेगा, कभी सच के कोई पहलू नहीं होते।

देखकर ज़मीनी तस्वीरें, मुझे निगेटिव कहने वाले साहब
फ़ीलगुड कोई दवा नहीं, इससे सवाल कभी हल नहीं होते।

A.Ruhaan #RaysOfHope #aRuhan

A. Ruhan

Alcohol लगता है अब उसे, इश्क हुआ है मुझसे।
मेरा महबूब यारों, ग़ज़ब का शातिर निकला।

कल रोक के उसने, मुझे गले से लगाया।
जब आंसू छुपाने मैं, मयख़ाने में चल निकला।

A. Ruhaan #शातिर #aRuhan

A. Ruhan

यहाँ कितना आसान है किसी की नज़रों से उतर जाना।

काफी है, हकीकत देखकर मुंह से सच निकल जाना।

A.Ruhan #Truth #aRuhan

A. Ruhan

ना दवा से काम चलें, ना दुआ का होता हैं असर
कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

और आप कहते हो बार बार, मेरी बात पे ग़ौर करो
बगावत पे उतरा है दिल, और  छूटे हैं पसीने इधर।

भूचाल बातों का मन में, बेइमान ज़बान खामोश है
बस एक इशारा तुम से और, हद से हम जाएंगे गुज़र।

घर तो नहीं है मेरा यहां, ना कुछ करोबार चल रहा है
छोड़े से भी ना छोड़ा जाएं, कम्ब्खत हमसे तुम्हरा शहर।

वो तेरी गली के कई बुजुर्ग, थोड़े ना हमारे दोस्त हैं
ताल्लुक जारी है इसलिए, की हो तेरी गली का सफर।

तेरे मोहल्ले में सोचता हूं, लगा दूं चाय-काॅफी की दुकान
बस चाय से तुझे इश्क है, और हमें चाहिए तेरी नज़र।

कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

A.Ruhan #ghazal #aRuhan
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