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Poetry with Avdhesh Kanojia

सैनिकों को नमन #शहीदोंकोनमन सैनिकों को नमन --------------------- व्यर्थ बातें करने में ही क्यों समय नष्ट सब करते हैं। उनके बारे में भी सोचो

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सैनिकों को नमन
---------------------
व्यर्थ बातें करने में ही क्यों
समय नष्ट सब करते हैं।
उनके बारे में भी सोचो
जो सीमा पर लड़ते मरते हैं।।

शून्य से भी नीची ठंड में 
करते वे रखवाली हैं।
उन्ही के कारण घरों में हमारे
होली और दिवाली है।।

है कोई अन्य जो ऐसी
स्थितियों में टिक पाता?
अरे। न होते सैनिक जो हमारे
अस्तित्व हमारा मिट जाता।।

जिस देश की आन बचाने को
भगत सिंह जैसे मरते हैं।
उसी देश की रखवाली
सीमा पर सैनिक करते हैं।।

त्यागे हैं सारे सुख संसाधन
परिवार का मोह भी छोड़ा है।
अवधेश करे क्या प्रशंसा उनकी
जितना भी कहे वह थोड़ा है।।

इन वीरों की गाथा का क्षेत्रफल
बहुत बहुत ही विशाल है।
शत्रु चिता के निर्माता और
ये शत्रु के काल हैं।।

मानव नहीं हैं देव हैं ये
सैनिकों का धरे हैं भेष।
इनके चरणों में नतमस्तक है
यह भारतवासी अवधेश।।

✍️अवधेश कनौजिया©

 #NojotoQuote सैनिकों को नमन
#शहीदोंकोनमन

सैनिकों को नमन
---------------------
व्यर्थ बातें करने में ही क्यों
समय नष्ट सब करते हैं।
उनके बारे में भी सोचो

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 1 - मा फलेषु कदाचन 'आप यहाँ!' नगर का प्रतिष्ठित डाक्टर - वह डाक्टर जिसे स्नान-भोजन को ठिकाने से समय नहीं मिलता, इस प्रकार अपनी जमी-जमाई चिकीत्सा की दुकान छोड़ कर सुदूर देहात में एक नन्हा-सा तंबू डालकर आ टिकेगा, इसकी कोई कैसे सम्भावना कर सकता है। 'मैं चिकित्सक हूँ - अत: इस समय मुझे यहाँ होना ही चाहिये था।' डाक्टर अवधेशजी चटपट उठ खड़े हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर आगन्तुक को नमस्कार किया।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
1 - मा फलेषु कदाचन

'आप यहाँ!' नगर का प्रतिष्ठित डाक्टर - वह डाक्टर जिसे स्नान-भोजन को ठिकाने से समय नहीं मिलता, इस प्रकार अपनी जमी-जमाई चिकीत्सा की दुकान छोड़ कर सुदूर देहात में एक नन्हा-सा तंबू डालकर आ टिकेगा, इसकी कोई कैसे सम्भावना कर सकता है।

'मैं चिकित्सक हूँ - अत: इस समय मुझे यहाँ होना ही चाहिये था।' डाक्टर अवधेशजी चटपट उठ खड़े हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर आगन्तुक को नमस्कार किया।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

SrAvadheshT

#Poetry

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राम नाम की महिमा  गाओ 
खुशियों से जीवन महकाओ 
उर मे राम की तरंग चलाओ 
जीवन मे उमंग भर लाओ 

अवधेश की महिमा अपार है 
दिल से चाहो तो भव पार है

राम नाम सुमिरन करके राह सफल हो जाती है 
राम नाम को उर मे रखो मनोकामना पूर्ण हो जाती है 
-अवधेश

Anil Siwach

||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों #Books

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||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' 

प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों


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