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Anita Mohan

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chirag mittal

#yqbaba #yqdidi #YQBhaiJaan YourQuote Baba YourQuote Didi Penman Diary वक़्त के #दरख़्त से चंद #लम्हे तोड़ जी क्या लिए हम जनाब वक़्त तो हमारे पीछे ही पड़ गया

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वक़्त के दरख़्त से चंद लम्हे तोड़ जी क्या लिए हम जनाब 
वक़्त तो हमारे पीछे ही पड़ गया  #yqbaba #yqdidi #yqbhaijaan YourQuote Baba YourQuote Didi Penman Diary

वक़्त के #दरख़्त से चंद #लम्हे तोड़ जी क्या लिए हम जनाब 
वक़्त तो हमारे पीछे ही पड़ गया

RAHUL VERMA

_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "दरख़्त" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial दिया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: #tree #पेड़ #वृक्ष #YourQuoteAndMine #urduhindi_poetry #aamirshaikh

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 कटी हुई टहनियां भी कहां पर छांव देती हैं। 
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती है  _Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "दरख़्त"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial दिया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Pravesh Kumar

सघन-सा वृक्ष यूँ बचपन में सड़ रहा क्यूं है...
अभी-से बोझ दरख्तों पे पड़ रहा क्यूं है...
ज़मीन-ओ-आसमाँ तेरे लिए भी है बाक़ी
बेड़ियाँ पावों में ज़माना जड़ रहा क्यूं है...
बेतरह छीन के कैसे तेरे हिस्से की ख़ुशी.
यूँ अपने ताज में सितारे जड़ रहा क्यूं है।
तुम्ही तो हो धरा पे जैसे स्वयं सृष्टि हो
माहौल तेरे लिए ही बिगड़ रहा क्यूँ है।।
किसी के बाग़ की उन नन्ही-नन्ही कलियों को,
हवस के जाल में कोई जकड़ रहा क्यों है।। #बालिकादिवस #राष्ट्रीय_बालिका_दिवस   #बचपन #दरख़्त #yqbaba #yqdidi #ग़ज़ल #mythoughts

CalmKazi

Part 4 of गाथा-ए-दरख़्त Click on #GathaEDarakht for more parts. छड़ी इतना खुश हूँ के खुद को अब बदज़ात समझता हूँ । #Hindi #tree #poem #रूप #yqbaba #हिंदी #कविता #voice #yqdidi #रंग #Stick #भाव #yopowrimo #uses #calmkaziwrites

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इतना खुश हूँ के खुद को 
अब बदज़ात समझता हूँ ।
ख़ुदी को खामोश करने, 
दुखों से गले मिलता हूँ ।।

क्योंकि वो रोती नहीं
हँसती सुनाई देती है ।
उन आंसुओं में शायद
हस्ती दिखाई देती है ।

मैं तो हाथ थामे 
सड़क पर आगे बढ़ाता हूँ ।
खुले मैदानों में 
पीछे हट जाता हूँ ।

पहले था घना दरख़्त
आज भी उतना ही तना हूँ ।
उनकी छाँव न है मेरी,
पर सहारा बना हूँ । Part 4 of गाथा-ए-दरख़्त

Click on #GathaEDarakht for more parts.

छड़ी

इतना खुश हूँ के खुद को 
अब बदज़ात समझता हूँ ।

Jai Gupta

कल यकायक सच से सामना हुआ
तो अंतःकरण में सिमटी ऊर्जा का
प्रस्फुटन हुआ और उस वक़्त ज्ञात
हुआ कि क्यों सच कभी कभी 
धाराप्रवाह में दिखने वाला अचानक
सारे रिश्तों को झंझोड़ दिया करता है

ठीक वैसे ही जैसे दरख़्त के साये का
आलिंगन तब तक ही सुखदायी होता
है जब तक कि उसकी शाखाएं हमें
अपनी गोद मे लिए है 
और जिस दिन शाखाएँ बेजान हुई
उस दिन उस गोद से वंचित एहसास
मार डालेगा अन्तःकरण को✍️✍️ #दरख़्त 
#सच 
#आलिंगन 
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#yqtales 
#yqquotes
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