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Best मचल Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ramkishor Azad

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Rishi

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Rakhi Jain

मन मीन 🐳कि तरह.....

मचल रहा....

हर पल तुमसे....

मिलने को ये तरस रहा....

मिल जाओ....

जो कभी तुम हमे ....

खिल खिल जाए.....

गुलाब की तरहां ....🌹🧚‍♀️ #मन #मचल

OMG INDIA WORLD

#OMGINDIAWORLD ❤💕हसरतें #मचल #गईं #जब #तुम्हें #सोचा #एक #पल #के लिए दीवानगी क्या होगी जब तुम मिलोगें उम्र भर के लिए❤💕 #शायरी

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❤💕#हसरतें #मचल #गईं #जब #तुम्हें #सोचा #एक #पल #के #लिए  #दीवानगी #क्या #होगी #जब #तुम #मिलोगें #उम्र #भर #के #लिए❤💕

©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 
❤💕#हसरतें #मचल #गईं #जब #तुम्हें #सोचा #एक #पल #के लिए  दीवानगी क्या होगी जब तुम मिलोगें उम्र भर के लिए❤💕

OMG INDIA WORLD

*#हजार बार कहा है #कलाई मत #पकड़ा करो...* *#बात #चूड़ियों की नहीं #जज्बात #मचल जाते है....... #OMGINDIAWORLD #शायरी

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*#हजार बार कहा है #कलाई मत #पकड़ा करो...*

*#बात #चूड़ियों की नहीं #जज्बात #मचल जाते है.......

©OMG INDIA WORLD *#हजार बार कहा है #कलाई मत #पकड़ा करो...*

*#बात #चूड़ियों की नहीं #जज्बात #मचल जाते है.......
#OMGINDIAWORLD

Amit Saini

#standingalone अमित सैनी

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अकेले खड़े होना
 दुनिया को पीछे छोड़ देना 
मचल मचल के तू अब
दुनिया की राहों को फोड़ देना 
तू जो सोचे उस पर अमल है करना 
अकेले खड़े होना 
दुनिया को पीछे छोड़ देना #standingalone अमित सैनी

Rehan Mirza

#विचार #कविता #कहानी #शायरी #कला #संगीत #कॉमेडी #nojotonews Gita tr.soumya chaudhary (madhubala) sonam mishra (Youtuber) Mansi bansal🌸 Sanjay Sanju Panwar

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जो  सोचूं  तुझको  तो सोचें भी मुस्कराती हैं।
तुझे  जो   देखूं  तो  आंखें  भी  मुस्कराती हैं।

बदन  का  मेरे  हर  एक  रोम झूम उठता है।
तू   पास  हो  तो  ये  बाँहें  भी  मुस्कराती हैं।

हरम में, दैर में, या मयकदे  की चौखट पर।
जो  मांगूं  तुझको  दुआएं  भी मुस्कराती हैं।

खुली  फ़ज़ाओं  में  जब  नाम  तेरा लेता हूँ।
मचल  मचल  के  हवाएं  भी  मुस्कराती हैं।

वो साथ चलता है मेरे तो क्या कहूँ "रेहान"।
ये    झूमती    हुई    राहें  भी  मुस्कराती हैं। #विचार #कविता #कहानी #शायरी #कला #संगीत #कॉमेडी #nojotonews Gita tr.soumya chaudhary (madhubala) sonam mishra (Youtuber) Mansi bansal🌸 Sanjay Sanju Panwar

dayal singh

bachpan ke din

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जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है।

हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और ‍खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और ‍चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है।

वो सपने सुहाने ...

छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन।

तोतली व भोली भाषा

बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं।

जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया?

जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है।

वो पापा का साइकल पर घुमाना...

हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां?

साइकलिंग

थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी।

लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी।

हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन!
मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!!
राह तक रहा हूँ मैं!!!जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है।

हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और ‍खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और ‍चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है।


वो सपने सुहाने ...

छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन।


तोतली व भोली भाषा

बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं।

जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया?

जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है।

वो पापा का साइकल पर घुमाना...

हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां?

साइकलिंग

थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी।

लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी।

हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन!
मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!!
राह तक रहा हूँ मैं!!! bachpan ke din

Amit Saini

#beautifulheart अमित सैनी

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Beautiful Heart  चल मचल हवा में फल 
छोड़ दे सारे काम
गुजर अब तू जिस गली  महका दे उसकी नली  
चल मचल हवा में चल करके तू अपना नाम
  बिखेर दे सारी यादों को होगा उसका अच्छा अंजाम 
चल मचल हवा में फल 
ए दिल 
लेकर सबका नाम
 पकड़ ले अपनी मंजिल को
 अरे मंजिल का यही अंजाम #beautifulheart अमित सैनी

river_of_thoughts

Feelings never ends but, मुद्दते हुई -
गली से गुजरे उनकी 
और उनसे
कसम तोड़ कोई , गुस्ताख़ी कर जाना फिर से...
तबियत हैं जनाब, मचल उठे तो
मचल जाने भी दे, रूठ जाने भी।

@manas_pratyay #कविताई #कविता_अबकी_होली_बहकने_दे_साक़ी
@manas_pratyay©ratan_kumar
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