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Mukesh Meet

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रिंकी✍️

बूढ़ी आंखे , झुलसे चेहरे हां अब नजर नही आते नजर नही आते है अब वो ईंटो और खप्पड़ों से बने घर जो मिट्टी से जुड़े थे फिर भी मजबूत थे लेकिन अब सब टूटा- टूटा नजर आता है वक़्त बिखर सा गया परिवार के नाम पर #बिखराव #डर #यकदीदी #यकबाबा

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बूढ़ी आंखे , झुलसे चेहरे 
हां अब नजर नही आते
नजर नही आते है अब वो 
ईंटो और खप्पड़ों से बने घर
जो मिट्टी से जुड़े थे फिर भी मजबूत थे
लेकिन अब सब टूटा- टूटा नजर आता है
वक़्त बिखर सा गया
परिवार के नाम पर 
अब परिवार कहाँ नजर आता है
बड़ी बड़ी इमारतों में रहने लगे है
हम दो और हमारे दो को ही परिवार
बस अब कहने लगे है
जिनके साथ खेला करते थे अब वो दुश्मन बने
दिखावटीपन इनका गहना बना
अब खुद को एक दूसरे से ऊंचा दिखाना पेशा रहा
जिसने इस काबिल बनाया की
 दो रोटी पर खुद को पाल सके 
अब वो बूढ़े माँ बाप 
बृद्धा आश्रम में रहने लगे है
 बूढ़ी आंखे , झुलसे चेहरे 
हां अब नजर नही आते
नजर नही आते है अब वो 
ईंटो और खप्पड़ों से बने घर
जो मिट्टी से जुड़े थे फिर भी मजबूत थे
लेकिन अब सब टूटा- टूटा नजर आता है
वक़्त बिखर सा गया
परिवार के नाम पर

Nikita

इधर उधर की बातें करते 
                   कुछ फासले पर खड़े रहे
        मैंने संभालने का हौसला ना दिया
         और वो बिखरने से डरता रहा!!

©Nikita #Nightlight 
#बिखराव

Pushpa Rai...

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LOL

जब तलक मौज में हूँ अपनी.. सलामत हूँ मैं
जिस रोज फन ये छिना मेरा समझना कि बिखर गया
©KaushalAlmora Song of d night : मन भरया (B-praak)
#रोजकाडोजwithkaushalalmora 
#latenightthoughtbazaar 
#kaushalalmora 
#मौज
#फन 
#बिखराव 
#yourquote

Sanjiv Chauhan

घर से निकलते हैं तो नहीं होता पता किधर जाते हैं,
हर तरफ होती हैं तेज हवाएं बस बिखर जाते हैं

कितना आसान  होता है लफ्जों पे भरोसा करना
कोई बोल दे कहीं कुछ, हम उधर जाते हैं।

नया शहर है अंजान डगर हैं, रातें अधजगी हैं, थके थके दिन हैं
सुबह निकलते हैं नई उम्मीदों के साथ,रात होते -होते थककर घर आते हैं।

लाखों की भीड़ में कहीं खो दिया है खुद को,
 मिलने किसी रोज खुद से चलो घर जाते हैं।

यूं तो कितना कुछ होता है जिंदगी में हर रोज,
हादसे मगर पुराने सोचकर हम मर जातें हैं।

शाम होते होते खुद में सिमट जाते हैं अब हम,
होती है सुबह फिर से बिखर जाते हैं।

©Sanjiv Chauhan #बिखराव
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