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गुस्ताख़शब्द
प्रणय प्रलय का पर्याय, वो अनंत अविनाशी है। नीलकंठ औ चंद्रशेखर भी, झाँकी उसकी ही काशी है। तांडव धैर्य- धीर- धरम, आशुतोष ग्रहों की राशि है। प्रेत वही औ वही उपाय, प्रेरणा उसकी अभिलाषी है। ©गुस्ताख़शब्द #Sawankamahina #प्रणय #प्रलय #धैर्य #धर्म #गुस्ताख़शब्द #आशुतोष #उपाय
Kundan Singh 9117
Kundan Singh 9117
#प्रलय उनका ऐसा जेसे “#जन्नत” का नजारा हो….,, तिनका भी #हीरा बन जाये जब मेरे “महाँकाल” का #सहारा हो..!! llॐll?#जय_श्री_महाँकाल?llॐll ©Kundan Singh 9117 #Oscar #प्रलय उनका ऐसा जेसे “#जन्नत” का नजारा हो….,, तिनका भी #हीरा बन जाये जब मेरे “महाँकाल” का #सहारा हो..!! llॐll?#जय_श्री_महाँकाल?llॐll
Peeyush Bajpai
एक एक करके अब श्मशाम कर देगी.. ये धरती खुद को फिर रेगिस्तान कर देगी.. जितने सितम हुए इसपर चुप चाप सहती रही.. खून का घूंट पीती रही, अँखियाँ बहती रही.. कोई भी हो सबको अब गुमनाम कर देगी.. ये धरती खुद को फिर रेगिस्तान कर देगी.. मानो या न मानो,मानव एक सय्याद है.. अपनी सब करनी का लेखा उसको याद है.. ये बनाया वो बनाया किया सब बर्बाद है.. विष तू भरता गया, चख तो कैसा स्वाद है.. प्रतिशोध का समय है, प्रलय का आगाज़ है.. अस्तित्व में जो है वो मिटेगा ये रिवाज़ है.. अपने होने का अब परवान कर देगी.. ये धरती खुद को फिर रेगिस्तान कर देगी.. एक एक करके अब श्मशाम कर देगी.. ये धरती खुद को फिर रेगिस्तान कर देगी.. -✍पीयूष रंजन बाजपेयी 'नमो' #prb #नमो #EarthIsOnResetMode #प्रलय
kavi manish mann
प्रकृति तेरे कुकृत्यों पर कब तक शोक मनाएगी, हे मानव! पुनः भयंकर रूप धरेगी पुनः सबक सिखाएगी, हे मानव! फिर शिव शंकर का डमरू बाज़ेगा, जमकर तांडव होगा फिर। महादेव की तीसरी आंँख खुलेगी फिर से सुनामी आएगी, हे मानव! #प्रकृति #मानवताशर्मसार #प्रलय #त्रिनेत्रधारी #महादेव #मौर्यवंशी_मनीष_मन
vasundhara pandey
इधर प्रतीक्षा उधर अपेक्षा गहरा सागर डगमग नैया... एक-एक छोर मग़र हम दोनों ने थाम रखा है. चित्र फ़ेसबुक से चोरी #प्रतीक्षा #प्रलय #ros #YourQuoteAndMine Collaborating with Roli Abhilasha
Aprasil mishra
"प्रकृति और समाजिक पीड़ा : पुनर्सृष्टि निर्माण हेतु प्रकृति से आह्वान" ( अनुशीर्षक में देखें) तुम कौन हो...? अज्ञात हो, पर नेह की... बरसात हो। व्यवहार तेरा सौम्य है, अनभिज्ञ सा संवाद हो। तृण तुल्य भी परिचय नहीं, पर देख लो विस्तार हो। संजालिका के पट तले, तुम त्यज्ज्नी अधिकार हो।
Umrain Ahmed (Akhtar)
क्या होगा रोज़-ए-महशर "अख़्तर" हम गुनाहगारों का हाल क्या होगा _Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "रोज़-ए-महशर" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: