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@thewriterVDS
"कबीर" बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि खजूर का पेड़ बेशक बहुत बड़ा होता है लेकिन ना तो वो किसी को छाया देता है और फल भी बहुत दूरऊँचाई पे लगता है। इसी तरह अगर आप किसी का भला नहीं कर पा रहे तो ऐसे बड़े होने से भी कोई फायदा नहीं है। . ©@thewriterVDS #कबीर #बड़ा #जैसे #पेड़ #खजूर #छाया #फल #अति #दूर #yogaday
Anita Saini
आसमान बाप सा बरसता है वो किसे थामता है ! साहब गोद माँ की पुकारती है बाहें फैलाकर धरती के वक्ष पर ही सो सकता है प्राणी! आसमान बाप सा बरसता है वो किसे थामता है ! साहब गोद माँ की पुकारती है बाहें फैलाकर धरती के वक्ष पर ही सो सकता है प्राणी! #आसमान #गिरना #लटकना #खजूर #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal
Àmjàď Hûßāîñ
#Pehlealfaaz निकाह #मस्जिद में हो___और दहेज में एक #कुरान और एक #जायनमाज़,, मिठाई में #खजूर हो ____और हक़ #महर में फजर की नमाज़ निकाह #मस्जिद में हो___और दहेज में एक #कुरान और एक #जायनमाज़,, मिठाई में #खजूर हो ____और हक़ #महर में फजर की नमाज़
Anil Siwach
tehzibasheikh👩💻
शक्तिप्रद : आमाशय और हृदय को बल देती है। रक्त उत्पन्न करती है। शरीर को मोटा करती है। काम शक्ति बढ़ाती है। खजूर क्षय-रोगियों के लिए लाभदायक है। 6 खजूर 500 ग्राम दूध में उबालकर सर्दियों में सेवन करें। बहुत ताकत देंगें। मधुमेह और ऐसे रोग जिनमें मीठा खाना हानिकारक होता है और रोगी मीठा खाने की इच्छा व्यक्त करता है, वहां खजूर का सेवन कर सकते हैं। खजूर मीठा होता है।❤💓👈💪 tehzibasheikhnozato my
tehzibasheikh👩💻
खजूर का सेवन हड्डी की मजबूती प्रदान करता है। मजबूत हड्डियां हमारे इंटरनल ऑर्गन्स का बचाव करती हैं और एजिंग प्रोसेस धीमा कर देती हैं। खासकर महिलाओं के लिए मजबूत हड्डियों का होना बेहद जरूरी है इसलिए अपनी डाइट में खजूर जरूर शामिल करें। खजूर में कुछ महत्वपूर्ण विटामिन जैसे विटामिन सी और डी पाए जाते हैं जो स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाते है। ये आपकी स्किन को ज्यादा स्मूद और सॉफ्ट बना देता है। tehzibasheikhnozato my
Pravin Kumar
कल शाम की बात है फिर वही जज़्बात है, कल शाम की बात है, सवाई माधोपुर से जयपुर आना था. स्टेशन पर पटना से अजमेर जानेवाली ज़ियारत एक्सप्रेस खड़ी दिखी. सेकेण्ड एसी के सामने टीटी खड़ा था, उससे टिकट बनवाई और चढ़ने लगा.मुझसे आगे चार लोग और थे, सब तीसरे कम्पार्टमेंट के आगे जाकर ठिठकते और फिर आगे बढ़ जा रहे थे. मैंने सोचा, कोई नया अध्यादेश आ गया होगा, मैं भी वहाँ जाकर ठिठका और अंदर देखा तो पता चला कि आदित्यनाथ और ओवैसी जैसे लोग भी किसी के काम आ सकते हैं. अंदर एक मुस्लिम परिवार था, सिर्फ पति तथा पत्नी, ढेर सारी जगह पड़ी थी, लेकिन कोई उनके पास नहीं बैठा. मैंने उनसे इज़ाज़त मांगी और बदले में वो सज़्ज़न अखबार से मेरे लिए सीट साफ़ करने लगे. उनकी उम्र को देखते हुए मुझे बड़ा अजीब लगा और मैंने उन्हें रोका, वो मुस्कुराने लगे. कुछ देर बाद बोले, "आपके पहले चार लोग रुके थे, लेकिन हमे देखकर आगे बढ़ गए" मैंने कहा, "मेरी अच्छी किस्मत" और हम सब हंस पड़े. बातों-बातों में पता चला कि उनका बेटा दुबई रहता है, उसी ने उनके लिए पैसे भेजे हैं, अजमेर जाने के लिए, फिर उन्होंने एक खजूर का पैकेट निकाला और मुझे देते हुए कहा, "इसे चखियेगा जरूर, इसका बीज इतना नरम है कि उसे भी खाया जा सकता है". फिर पता चला कि उन्हें पता नहीं था कि इस ट्रेन में पैंट्री नहीं है और उन लोगों ने कल शाम के बाद सिर्फ बिस्किट और खजूर ही खाया है. मैं बाथरूम के बहाने बाहर आया और अपने मित्र को प्याज़ कि कचौड़ी लेकर स्टेशन आने को कहा. मुझे लगा उनके "खजूर जिहाद" का बदला मैं "कचौड़ी जिहाद" से चुका सकता हूँ. पुरे रस्ते हमारे बीच हर मुद्दे पर बात हुई, उनकी साफगोई का मैं कायल हो गया. जयपुर में जब मैंने उन्हें कचौड़ी दी, वो बिलकुल हैरान थे, दोनों ने खाया, कमाल की बात थी, खा वो रहे थे, और संतुष्ट मैं हो रहा था. वो मेरे साथ बाहर आये और कहा, "अच्छा हिन्दू भी होता है, मुसलमान भी, वैसे ही बुरा हिन्दू भी होता है, मुसलमान भी. सब इस बात पर टिका है कि हमारी मुलाकात किस "टाइप" के हिन्दू या मुसलमान से होती है". वो जा चुके थे. मैं मन ही मन भगवान से ये प्रार्थना कर रहा था कि हर हिन्दू की मुलाकात ऐसे ही मुसलमान से हो, और उधर ट्रेन में शायद वो भी ऐसी ही कोई दुआ मांग रहे होंगे. मैंने दूर तक देखा, सिर्फ "लव" नज़र आया. "जिहाद" का कहीं नामो-निशान नहीं था. नोट- "जिहाद" शब्द का प्रयोग सिर्फ प्रासंगिक है. इसके असली अर्थ से कृपया इसे न जोड़ें.
Anil Siwach
Anil Siwach
SamadYusufzai
हम रोज़े क्यूँ रखते हैं? हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ??? 7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा। सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।