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"न बाहर आ यहां खौफ हथियार का है,,मिट जाएगी तेरी हस्ती,यार भी तेरा आशिक़ गोरिल्ला वार का है.
सर कटे या पैर सारा कसूर ही तलवार का है,,बहुत होगई सर झुकाने की रिवायत वक़्त के आगे,अब तो वक़्त आगया यलगार का है.
बेखौफ चलाता है क़लम अमन अब,,सुना है सूरज भी ग़ुलाम रात का है।"