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"दर्द गूंजता रहा उस रोज! फिर एक बच्चा रोया था
उम्र में तो छोटा था , काम तले बहुत दबा था
पढ़ाई लिखाई का शौक तो था, शायद किसी गरीब का बच्चा था
भूख ज्यादा थी पर पैसा कम था, काम के अलावा दूसरा कोई चारा न था
मालिक ने पहली बार उसे जलाया था, उस मालिक में गुस्सा बहुत था
आज तो वो खूब चिल्लाया था, फिर उसने खुद को बहुत समझाया था
रोज का रोज यही होता था हर दिन नए तरीके से उसे ये जुर्म सहना था
फिर एक दिन मालिक ने देखा काम के समय जबान से
चंद अंग्रेजी के लफ्ज़ और हाथो में कलम था
मालिक ने जोर से मारा उसे, ये सब जुर्म सहने के लिए अभी वो बच्चा था
उस रोज वो न रोया न चिल्लाया था मगर उसका दर्द उसकी गरीबी ने बे-खौफ चीखा था
- diks'shruti'"