हो गया प्रभात निकल रहा दिनकर, देख रहे स्वर्ग से ब्रह्मा विष्णु शंकर। बिखेर रही प्रकृति अद्भुत दृश्यों को, मिले जीवनदान भोर से मनुष्यों को। हो रही प्रकृति प्रकाश.
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